महिला आरक्षण बिलः टिकट बंटवारे में सामाजिक विविधता का ध्यान रखें राजनैतिक दल, जानिए यह बात किसने कही
बीबीसी से बातचीत में अपना दल एस की अनुप्रिया पटेल ने महिला आरक्षण बिल में ओबीसी आरक्षण की वकालत की
कहा, जाति जनगणना उनकी पार्टी अपना दल एस के एजेंडा में है शामिल
राजेश पटेल, मिर्जापुर (सच्ची बातें)। अपना दल एस की अध्यक्ष केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्री अनुप्रिया पटेल ने महिला आरक्षण बिल में ओबीसी आरक्षण की वकालत की है। उन्होंने कहा है कि राजनैतिक पार्टियों को चाहिए कि वह चुनाव में टिकट बंटवारे में महिलाओं को 33 फीसद आरक्षण दें। इस 33 फीसद में भी ओबीसी, एससी, एसटी को उचित प्रतिनिधित्व दें।
बीबीसी को दिए गए इंटरव्यू में श्रीमती पटेल ने कहा है कि देश में जाति जनगणना जरूरी है। इसके लिए वह भी विभिन्न फोरम पर अपनी बात रखती रहती हैं। उनकी पार्टी अपना दल एस के एजेंडा में भी यह शामिल है।
महिलाओं को लेकर अनुप्रिया पटेल ने कहा है कि भारतीय समाज में बहुत विविधता है। अलग-अलग जातियां हैं। अलग-अलग आय वर्ग है। शिक्षा का स्तर अलग-अलग है। कुछ महिलाएं विदेशों में पढ़ी हैं। कुछ ग्रामीण परिवेश के स्कूलों में ही पढ़ी हैं। कुछ महिलाएं आज भी ऐसी हैं, जिनका शिक्षा का स्तर बहुत नीचे हैं। कुछ ऐसी हैं, जिनके पास तक शिक्षा का अधिकार या शिक्षा की रौशनी नहीं पहुंच पाई है।
श्रीमती पटेल ने कहा कि राजनैतिक पार्टियोंं को अपने उम्मीदवार तय करने हैं। यदि हमें एक तिहाई सीटों पर महिलाओं को लड़ाना है तो उनमें भी सामाजिक विविधता हो। ओबीसी, एससी, एसटी की महिलाओं को भी मौका दें।
उन्होंने कहा कि कानून में भी इसका प्रावधान होना चाहिए। बड़ी-बड़ी पार्टियों की यह मांंग कहीं से भी गलत नहीं है। कानून में इसका जिक्र अभी नहीं है। इसलिए राजनैतिक पार्टियों को टिकट वितरण के समय इस बात का ध्यान रखना होगा, ताकि ओबीसी महिलाओं को भी उनका अधिकार मिल सके। इस गंभीर समस्या का उचित समाधान फिलहाल यही है। अबि इसका रास्ता इसी तरह से निकालना होगा।
जाति जनगणना के मुद्दे पर भी अपना दल एस अध्यक्ष ने अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि यह उनकी पार्टी के एजेंडा में है। उनकी पार्टी इसकी पक्षधर है। ओबीसी हितों को लेकर जितने में मुद्दे हैं, सभी को विभिन्न फोरम पर उठाया है। आल पार्टी मीटिंग्स, संसद में, एनडीए की बैठकों में तथा तमाम पब्लिक फोरम में भी इस बात को उठाया है।
उन्होंने कहा है कि आज बहुत सारी पार्टियां इसके पक्ष में हैं। लेकिन 2011 में कांग्रेस इसकी पक्षधर नहीं थी। उसके पहले भी नहीं थी। आज है। इसका एक पहलू यह है कि जब आप सत्ता पक्ष में होते हैं तो नजरिया अलग होता है। जब आप विपक्ष में होते हैं तो नजरिया बदल जाता है।
श्रीमती पटेल ने कहा कि देश के पास प्रमाणिक आंकड़े होने चाहिए। बिना आंकड़ा के ओबीसी कल्याण के लिए योजनाओं का निर्धारण सही तरीके से नहीं हो सकता। वह जाति जनगणना के पक्ष में हैं। फिर वही पर बात अटक जाती है। पोलिटिकल सिचुएशन पर। जिस पार्टी के पास संख्या बल होगा। निश्चित रूप से वह जो चाहेगी, वही होगा।
अनुप्रिया पटेल ने कहा कि संसद या राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व ही नहीं देना है, व्यापक प्रतिनिधित्व देना है। हर सेक्शन की महिला वहां दिखनी चाहिए। किसी एलीट वर्ग को ही नहीं लाभ देना है। क्योंकि वे भारत की सभी महिलाओं की तस्वीर पेश नहीं करतीं। सामाजिक समस्याओं का उन्मूलन जड़ के करने के लिए हमें कई तरीकों का प्रयोग करना पड़ता है। धन बल और बाहु बल की समस्या बनी रहेगी तो एक साधारण परिवेश की महिला चुनाव लड़ने की हिम्मत कैसे जुटा पाएगी। लड़ भी जाती है तो जीत कैसे पाएगी।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र जैसे-जैसे मैच्योर होता है, वैसे-वैसे इस तरह की समस्याओं के निदान के नए-नए तरीके भी निकलते हैं।
बीबीसी के एक सवाल के जवाब में श्रीमती पटेल ने कहा कि इस बिल का सभी दलों ने खुले दिल से समर्थन किया। यह अच्छी बात है। क्रेडिट की कोई बात नहीं है। खुले दिल से काम करना चाहिए।