September 16, 2024 |

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जिसके बिना कोई काम नहीं चलता, जानिए उसके बारे में…

Sachchi Baten

 

भारतीय रुपये के इतिहास से लेकर छपाई की पूरी प्रक्रिया

 

अमरेंद्र आनंद

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भारत में रुपया शब्‍द का प्रयोग सबसे पहले शेर शाह सूरी ने अपने शासन (1540-1545) के दौरान किया था। रुपये के लिए कॉटन से बने कागज और विशेष तरह की स्‍याही का प्रयोग होता है। देवास में नोटों में प्रयोग होने वाली स्याही का प्रोडक्‍शन होता है। नोट छांटने के बाद उस पर चमकीली स्याही से संख्या मुद्रित की जाती है।

Currency Of India: इस आर्थिक युग में आप रुपये के बिना जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। पानी पीने से लेकर हर जरूरी सामान खरीदने के लिए आपके पास रुपया होना जरूरी है। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाले रुपया कहां और कैसे छपता है?

भारत में करेंसी के रूप में नोट और सिक्कों दोनों का प्रचलन है। वर्तमान में भारत में क्रय-विक्रय के लिए 10 रुपये, 20 रुपये 50 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये, 500 रुपये और 2000 रुपये के नोट के अलावा 1 रुपया, 2 रुपये, 5 रुपये, 10 रुपये के सिक्के का इस्तेमाल किया जाता है। तो आइए जानते हैं कि भारत में कहां और कैसे छपता है रुपया?

शेरशाह सूरी ने शुरू किया था रुपया का प्रचलन
भारत में रुपया शब्‍द का प्रयोग सबसे पहले शेर शाह सूरी ने अपने शासन (1540-1545) के दौरान किया था। नोटों को छापने का काम भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और सिक्कों को ढालने का काम भारत सरकार करती है। सबसे पहले वाटर मार्क वाला नोट 1861 में देश में छपा था। भारतीय करेंसी रुपये पर हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 15 भाषाओं का इस्तेमाल होता है। इसके अलावा भारत सहित आठ देशों की करेंसी को रुपया कहा जाता है।

किस चीज से बनता है भारतीय करेंसी
भारतीय करेंसी रुपया के लिए आरबीआई द्वारा कॉटन से बने कागज और विशेष तरह की स्‍याही का प्रयोग होता है। इसमें कुछ कागज का प्रोडक्‍शन महाराष्‍ट्र के करेंसी नोट प्रेस और अधिकांश मध्‍यप्रदेश के होशंगाबाद पेपर मिल में होता है। भारतीय नोट का कागज इसके अलावा दुनिया के चार अन्‍य देशों में तैयार होता है। नोट छापने के लिए जिस ऑफसेट स्‍याही का प्रयोग होता है, उसको मध्यप्रदेश के देवास बैंकनोट प्रेस में बनाया जाता है। नोट पर जो उभरी हुई छपाई नजर आती है, उसकी स्याही सिक्किम में स्थित स्विस फर्म की यूनिट सिक्पा में तैयार की जाती है।

दुनिया के 4 फर्मों में तैयार होता है नोट का कागज​
भारतीय करेंसी रुपये की छपाई के लिए कागज मध्‍यप्रदेश के होशंगाबाद के अलावा दुनिया के चार अन्‍य देश से भी मंगाए जाते हैं। फ्रांस की अर्जो विगिज,  अमेरिका पोर्टल, स्‍वीडन का गेन और. पेपर फैब्रिक्‍स ल्‍युसेंटल।

इन जगहों पर छपते हैं भारतीय करेंसी नोट

देश में चार बैंक नोट प्रेस, चार टकसाल और एक पेपर मिल है। जिनमें नोट प्रेस देवास (मध्य प्रदेश), नासिक (महाराष्ट्र), सालबोनी (पश्चिम बंगाल) और मैसूर (कर्नाटक) में हैं।

देवास नोट प्रेस में साल में 265 करोड़ रुपये के नोट छपते हैं। यहां 20, 50, 100, 500, रुपये के नोट छापे जाते हैं। मध्‍यप्रदेश के देवास में ही नोटों में प्रयोग होने वाली स्याही का प्रोडक्‍शन होता है। मध्यप्रदेश के ही होशंगाबाद में सिक्योरिटी पेपर मिल है। नोट छपाई के पेपर होशंगाबाद और विदेश से आते हैं। 1000 रुपए के नोट मैसूर में छपते थे।

इस तरह होती नोटों की छपाई
नोट छापने से पहले विदेश और होशंगाबाद से आई पेपर शीट एक खास मशीन सायमंटन में डाली जाती है। इसके बाद एक अन्य मशीन जिसे इंटाब्यू कहा जाता है, उससे कलर किया जाता है। इसके बाद पेपर शीट पर नोट छप जाते हैं। इस प्रक्रिया के बाद अच्‍छे और खराब नोट की छंटनी की जाती है। एक पेपर शीट में करीब 32 से 48 नोट होते हैं। नोट छाटने के बाद उस पर चमकीली स्याही से संख्या मुद्रित की जाती है।

आरबीआई क्‍या करती है कटे-फटे नोटों का?
जब कोई नोट पुराना हो जाता है या फिर से मार्केट में सर्कुलेशन में लाने योग्य नहीं रहता है तो उसे बैंकों के जरिए जमा कर लिया जाता है। इन नोटों को फिर से मार्केट में नहीं भेजकर आरबीआई इसे नष्‍ट कर देती है। पहले इन नोटों को जला दिया जाता था। लेकिन, पर्यावरण को होने वाले नुकसान को ध्‍यान में रखते हुए आरबीआई इन नोटों को विदेश से आयात की गई मशीन से छोटे-छोटे टुकड़ों में काट देती है, जिसे गलाकर ईंट बनाया जाता है, जिसका इस्‍तेमाल कई कामों में होता है।

(लेखक देश के जाने-माने संग्राहक हैं। धनबाद में उनकी आनंद हेरिटेज गैलरी है। उनके पास नोटों, सिक्कों, डाक सामग्री, मेडल्स, अखबार आदि का थीम के हिसाब से बड़ा संग्रह है।)


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