मुख्यमंत्री जी, आपदा में कमाई के अवसर तलाश रहे हैं सिंचाई विभाग के अभियंतागण
– www.sachchibaten.com महीनों से उठा रहा मुद्दा, सूखा पड़ने को लेकर किया था आगाह
-तब किसी ने गंभीरता से नहीं लिया, आज प्यास लगने पर कुआं खोदने की हो रही तैयारी
-सांसद व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने सिंचाई विभाग के अभियंताओं के साथ की बैठक, सूखे से निपटने के लिए दिए आवश्यक निर्देश
-जिलाधिकारी दिव्या मित्तल गुरुवार को करेंगी सिंचाई विभाग के अभियंताओं के साथ बैठक
मिर्जापुर (सच्ची बातें)। प्यास लगने पर कुआं खोदने का कोई फायदा नहीं होता। इसकी तैयारी पहले से की जाती है। बस इतनी सी बात न तो यहां के जनप्रतिनिधियों को समझ में आती है, और न ही जिम्मेवार अधिकारियों को। www.sachchibaten.com सूखा पड़ने की आशंका करीब दो माह पहले से लगातार जता रहा है। इस समय सिंचाई व विद्युत आपूर्ति से संबंधित जो भी समस्याएं हैं, उनके प्रति भी आगाह किया जाता रहा, लेकिन यहां किसी की सुनता कौन है। अब जब www.sachchibaten.com की सभी बातें सही साबित हो रही हैं तो सांसद भी जगी हैं और जिलाधिकारी दिव्या मित्तल भी।
मिर्जापुर की सांसद व केंद्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बैठक कर सिंचाई विभाग के अधिकारियों को निर्देशित कर दिया है, गुरुवार को जिलाधिकारी दिव्या मित्तल भी सिंचाई व विद्युत विभाग के अभियंताओं के साथ कलेक्ट्रेट सभागार में दिन के 11 बजे से बैठक करेंगी। देखने वाली बात यह होगी कि इन बैठकों का कोई सकारात्मक परिणाम भी निकलकर आता है?
सवाल इसलिए उठ रहा है कि सिंचाई खंड चुनार के एक सहायक अभियंता केपी सिंह हैं। उनकी तैनाती इसी डिवीजन में करीब छह साल है। क्या उनके लिए कोई ट्रांसफर नीति नहीं है। अपनी तैनाती के दौरान सिंचाई खंड चुनार में उन्होंने कौन सा उल्लेखनीय कार्य कर दिया है, जिसके ईनाम के रूप में एक ही खंड में इतने वर्षों तक उनकी तैनाती है।
वर्ष 2017 में एक टेंडर का नोटिस, जो बता रहा है कि केपी सिंह एक ही खंड में तभी से हैं।
यदि नहीं तो यह भी पता चलना चाहिए कि उनके सिर पर किसी उच्चाधिकारी या जनप्रतिनिधि का हाथ है, जिसकी बदौलत वह सिंचाई खंड चुनार को चारागाह के समझकर योजनाएं बनाते हैं, पास कराते हैं और फिर लूट का सिलसिला शुरू होता है। यह लिंक खोलकर पढ़ें, सब समझ में आ जाएगा…सिंचाई खंड चुनारः भ्रष्टाचार का इतिहास दोहराने की है पूरी तैयारी
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केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री व मीरजापुर जनपद की सांसद अनुप्रिया पटेल ने जनपद में कम बारिश की वजह से उत्पन्न संकट का कृषि पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभाव की अष्टभुजा डाक बंगला में समीक्षा की एवं इससे निपटने हेतु जनपद के समस्त सिंचाई अभियंताओं के साथ बैठकर आवश्यक निर्देश दिए।
आजादी के बाद पहली बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है कि जनपद के लगभग सभी डैम कम वर्षा के कारण बहुत कम भरे है । वर्तमान में कम बारिश के कारण यह संकट बढ़ गया है। इसकी वजह से जनपद के लाखों हेक्टेयर में होने वाली खरीफ की मुख्य धान की फसल की रोपाई नहीं हो पा रही है और धान की नर्सरी सूख रही है।
बैठक में विशेष रूप से बाण सागर परियोजना से प्राप्त होने वाले जल, सोन लिफ्ट के माध्यम से मिलने वाले जल और नारायणपुर पम्प कैनाल के जल को जरगो और अहरौरा कमांड में पहुंचाने हेतु विशेष चर्चा की गई। इन तीनों परियोजनाओं के जल की क्षेत्रीय आवश्यकताओं में उपयोगिता पर भी चर्चा कर इस पर भी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।
इस बैठक में मुख्य रूप से अधीक्षण अभियंता सिंचाई कार्य मंडल, मिर्जापुर अपने अधीनस्थ अधिशासी अभियंता व सहायक अभियंता अदवां बांध प्रखंड, सिरसी बांध प्रखंड , मिजार्जपुर कैनाल प्रखंड, चुनार सिंचाई खंड और लघु डाल एवं नलकूप डिवीजन के सभी अधिकारियों के साथ उपस्थित रहे।
जिलाधिकारी 27 जुलाई गुरुवार को करेंगी समीक्षा
जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने सूखे की स्थिति के मद्देनजर कलेक्ट्रेट सभागार में गुरुवार को दिन में 11 बजे से बैठक आहूत की है। मुख्य विकास अधिकारी लक्ष्मी वीएस द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार इस बैठक में सिंचाई, विद्युत विभाग तथा जल निगम के अधिकारियों को बुलाया गया है। निर्देश दिया गया है कि वे पूरी तैयारी के साथ आएंगे।
खेती के लिए आहूत बैठक में कृषि विभाग के अधिकारी नहीं होंगे
जिलाधिकारी द्वारा आहूत बैठक में गत 25 जुलाई को आयोजित किसान दिवस पर किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दों के निराकरण पर चर्चा होगी, लेकिन इसमें कृषि विभाग के अधिकारी उपस्थित नहीं होंगे। यह आश्चर्य का विषय है कि जिस विभाग को लेकर बैठक है, उसी विभाग के अधिकारी नहीं होंगे। सीडीओ ने बैठक के लिए जो सूचना जारी की है, नीचे उसकी फोटो है, इसमें कृषि विभाग के अधिकारियों को नहीं बुलाया गया है। सांसद ने भी जो भी बैठक की, उसमें कृषि विभाग के अधिकारी नहीं थे।
जिले के प्रभारी मंंत्री नंद गोपाल नंदी शुक्रवार को करेंगेे सूखे की समीक्षा
जिले के प्रभारी मंत्री नंद गोपाल नंदी शुक्रवार 28 जुलाई को जिले में सूखे की स्थिति की समीक्षा के लिए बैठक करेंगे। इसलिए जिलाधिकारी भी सक्रिय हुई हैं। नंदी की बैठक में सिंचाई व बिजली की समस्या पुरजोर ढंग से उठेगी। देखना है कि किस तरह कि रिपोर्ट उनको दी जाती है।
सूखा को लेकर पहले ही किया था आगाह
www.sachchibaten.com ने सूखे को लेकर पहले से ही खबरों के माध्यम से लगातार आगाह कर रहा है। लेकिन अधिकारी प्यास लगने पर कुआं खोदने के अभ्यस्त हैं। उनकी योजना पर काम हो तो कुआं खोदने का पैसा पहले मिल जाए, प्यासा पानी बिन भले ही मर जाए।
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जल बिन किसी काम के नहीं हैं नल
जिस नल-जल योजना को लेकर केंद्र सरकार और उससे जुड़ी पार्टियों के नेता बखान करने से थकते नहीं थे। शायद उनको पता नहीं है कि जल रहेगा, तभी नल की उपयोगिता है। पहले जल का इंतजाम किया नहीं, हर घर के पास नल लगवा दिया।
इसी नल-जल योजना के चलते आज की तारीफ में जरगो कमांड के किसान रो रहे हैं। जिन किसानों ने कभी पानी की दिक्कत नहीं झेली, उनकी नर्सरी सूख रही है। नेता व अधिकारी सिर्फ बैठकों में मशगूल हैं। भारतीय किसान यूनियन (लोकशक्ति) और किसान कल्याण समिति जरगो कमांड के पदाधिकारियों की एक नहीं सुनी गई। नल-जल योजना की कार्यदायी संस्था मेधा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लि. के अधिकारी अपनी उंगलियों पर पर जिला प्रशासन के अधिकारियों को नचाते रहे।
जरगो कमाड एरिया की स्थिति इतनी चिंतनीय कभी नहीं होती, यदि टेस्टिंग के नाम पर जरगो बांद के पानी को बेकार में बहाया नहीं गया होगा।
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उपरोक्त लिंक इसलिए दिए गए हैं, ताकि आप यह न कह सकें कि लोकतंत्र का कथित रूप से चौथा स्तम्भ अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहा है। हमने आगाह भी किया, अनियमितताओं की जानकारी दी, किसानों के आक्रोश से भी अवगत कराया। क्रियान्वित करना तो जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों का काम है।