September 16, 2024 |

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कौन था देश का सबसे ज्यादा पढ़ा-लिखा नेता, आज तक कोई उनके रिकॉर्ड को नहीं तोड़ सका

Sachchi Baten

अद्भुत मेधा के धनी थे डॉ. श्रीकांत जिचकर 

-मात्र 49 साल के जीवन में मास्टर डिग्रियां 19, संस्कृत भाषा में डॉक्टरेट

-विधानसभा, विधान परिषद, राज्यसभा सदस्य के साथ विश्वविद्यालय के कुलपति भी बने

-दो बार यूपीएससी में सफलता, पहली बार आइपीएस दूसरी बार बने आइएएस

-बीए एलएलबी, एलएलएम (इंटरनेशनल लॉ), एमबीए, बिजनेस मैनेजमेंट में डॉक्टरेट, बैचलर इन जर्नलिज्म

-पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, समाज शास्त्र, इकोनॉमिक्स, संस्कृत, इतिहास, अंग्रेजी लिटरेचर, मनोविज्ञान, राजनीति शास्त्र, एनसिएंट हिस्ट्री, कल्चर, आर्किलोजी, फिलॉस्पी आदि में मास्टर डिग्री

-लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भारत के सबसे क्वालिफाइड शख्स के तौर पर दर्ज है नाम

 

नई दिल्ली (सच्ची बातें)। नेताओं की डिग्री को लेकर विवादों के दौर में मौजूदा पीढ़ी को यह भी जानना जरूरी है कि देश में सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा नेता कौन था। शिक्षा के मामले में आज तक कोई भी उनके रिकॉर्ड को तोड़ नहीं सका है। इस नेता ने तो 19 विषयों में मास्टर की डिग्री ली थी। संस्कृत भाषा में डॉक्टरेट। 42 विश्वविद्यालयों में परीक्षाएं दी थीं। अब जान लीजिए कि अद्भुत मेधा के धनी इस नेता का नाम डॉ. श्रीकांच जिचकर है। मात्र 49 साल के जीवन में वह दो बार यूपीएससी भी क्लीयर किया। पहली बार आइपीएस तथा दूसरी बार आइएएस बने।

श्रीकांत जिचकर का जन्म 14 सितंबर 1954 को नागपुर के एक मराठी परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी पहली डिग्री नागपुर यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस और एमडी में ली। इसके बाद जिचकर ने मुड़कर नहीं देखा।

उन्होंने बीएएलएलबी, एलएलएम (इंटरनेशनल लॉ), एमबीए, बिजनेस मैनेजमेंट में डॉक्टरेट, बैचलर इन जर्नलिज्म, संस्कृत लिटरेचर में पीएचडी किया। जिचकर यहीं नहीं रुके, इनके अलावा उनके नाम 19 मास्टर डिग्रियां भी थीं, जिनमें पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, समाज शास्त्र, इकोनॉमिक्स, संस्कृत, इतिहास, अंग्रेजी लिटरेचर, मनोविज्ञान, राजनीति शास्त्र, एनसिएंट हिस्ट्री, कल्चर, आर्किलोजी, फिलॉस्पी आदि शामिल हैं।

उन्होंने अपनी ज्यादातर डिग्रियां फर्स्ट डिवीजन में प्राप्त की थीं। उनके पास कई यूनिवर्सिटीज के गोल्ड मेडल्स भी थे। श्रीकांत जिचकर ने 1973 से लेकर 1990 के बीच 42 विश्वविद्यालयों में परीक्षाएं दी थीं।

यूपीएससी परीक्षा दो बार पास की। 1978 में श्रीकांत जिचकर ने यूपीएससी (सिविल सर्विस) की परीक्षा पास की, जिसमें उन्हें इंडियन पुलिस सर्विस यानी आईपीएस कैडर मिला। हालांकि, वह ज्यादा समय तक आईपीएस नहीं रहे, दो महीने के बाद ही उन्होंने आईपीएस के पद से इस्तीफा दे दिया और साल 1980 में दोबारा सिविल सर्विस का एग्जाम पास किया। इस बार उन्हें आईएएस का कैडर मिला, लेकिन चार महीने के बाद ही उन्होंने आईएएस के पद से भी इस्तीफा दे दिया।

 

सांसद, विधायक और मंत्री भी बने

श्रीकांत जिचकर 1980 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जीते और विधायक भी बने।  1980 से लेकर 1985 तक महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य रहे और सरकार में राज्यमंत्री भी बने। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के टिकट पर कटोल से चुनाव जीता था।

1986 से लेकर 1992 तक महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य के तौर पर निर्वाचित हुए। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री के तौर पर उन्होंने 14 विभाग भी संभाले थे। साल 1992 में वह महाराष्ट्र से दिल्ली, राज्यसभा सांसद के तौर पर पहुंचे।

उन्होंने साल 1992 में नागपुर में संदीपनी स्कूल की स्थापना की थी। 1998 तक राज्यसभा सांसद रहे थे। उन्होंने 1998 और 2004 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन इन दोनों चुनाव में वह बेहद कम अंतर से पराजित हुए।

संस्कृत के उत्थान में अहम योगदान

डॉ. श्रीकांत जिचकर ने महाराष्ट्र के नागपुर में कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विद्यालय स्थापित किया। उन्होंने संस्कृत भाषा में डॉक्टरेट भी किया। उनके संस्कृत में लिखे रिसर्च पेपर संस्कृत स्कूल में इस्तेमाल किये जाते हैं। यही नहीं, उन्होंने संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए 1993 में संस्कृत यूनिवर्सिटी स्थापित करने की पैरवी की थी। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुधाकर राव नाइक के कार्यकाल में जिचकर को नागपुर में संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने हेतु एक सदस्यीय कमेटी का हिस्सा बनाया गया। सरकार ने डॉ. जिचकर की स्टडी को स्वीकार करते हुए नागपुर में संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने की स्वीकृति दी और उन्हें इसका कुलपति बनाया गया।

डॉ. श्रीकांत जिचकर ने संस्कृत भाषा में किए गए अपने अध्ययन में बताया कि भारत में 3 करोड़ पांडुलिपियां संस्कृत भाषा में लिखी हुई हैं, जिनमें से केवल 16 लाख पांडुलिपियों को ही सूचीबद्ध किया गया है। संस्कृत यूनिवर्सिटी स्थापित करने से बाकी बची पांडुलिपियों को सूचीबद्ध करने और प्रकाशित करने में सहायता मिलेगी। अपनी 19 मास्टर्स की डिग्रियों के बाद डॉ. जिचकर नागपुर यूनिवर्सिटी में डॉ. ऑफ लॉ कर रहे थे, जिसमें उन्होंने दो रिसर्च पेपर्स भी सबमिट किए थे।

सड़क दुर्घटना में हुई मौत

डॉ. श्रीकांत जिचकर अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन अब तक उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भारत के सबसे क्वालिफाइड शख्स के तौर पर दर्ज है। 2 जून 2004 को नागपुर से 61 किलोमीटर दूर कोंधाली के पास सड़क दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी कार एक तेज रफ्तार ट्रक से टकरा गई और मौके पर ही उनकी मृत्यु हो गई।


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