जनप्रतिनिधियों की अनदेखी का शिकार है ‘धान का कटोरा’
-सावन में हाहाकार मचाने वाली गरई नदी बिल्कुल सूखी
-जिम्मेवारों की अदूरदर्शिता की भेंट चढ़ गए अहरौरा बांध व जरगो डैम
-अहरौरा के साथ ही जरगो कमांंड में भी धान की रोपाई बुरी तरह प्रभावित
-जमालपुर ब्लॉक के ही निवासी सिंचाई मंत्री स्वतंंत्रदेव सिंह भी अपेक्षित ध्यान नहीं दे रहे हैं
राजेश पटेल, चुनार (सच्ची बातें)। मिर्जापुर जिले का ‘धान का कटोरा’ कहा जाने वाला जमालपुर क्षेत्र जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा की भेंट चढ़ गया। जिम्मेवार अधिकारी भी आंख मूंदे हुए हैं। इस आलम यह है कि अहरौरा तो अहरौरा, जरगो कमांड एरिया के किसान भी धान की रोपाई नहीं कर पा रहे हैं। जमालपुर ब्लॉक के ओड़ी गांव निवासी प्रदेश के सिंचाई मंंत्री स्वतंत्रदेव सिंह से भी किसानों का मोह भंग होता जा रहा है।
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जरगो बांध की मौजूदा स्थिति
सावन माह में गरई नदी हर साल फुफकारती थी। तटबंध टूट जाते थे। इसी के किनारे सिंचाई मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह का गांव ओड़ी है। इस साल नदी के पेटा में कहीं-कहीं बच्चे क्रिकेट खेल रहे हैं तो कही मवेशियों को चराया जा रहा है। आलम यह है कि छुट्टा मवेशियो व जंगली जानवरों के लिए पीने तक का पानी नहीं है।
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यही हाल जरगो जलाशय का है। सात नदियों व 27 नालों को बांधकर बनाया गया यह डैम इसके पहले इस स्थिति में कभी नहीं था। हर घर नल-जल योजना ने बांध के साथ कमांड के किसानों का भी बंंटाधार कर दिया है। किसानों द्वारा गेहूंं की एक सिंचाई कम करके धान की नर्सरी के लिए संचित पानी को भी नल-जल योजना के जिम्मेवारों ने बहा दिया। नर्सरी तो किसी तरह से डाल दी गई। कुछ-कुछ दिन के अंंतराल पर हो रही हल्की बारिश से जिंदा भी है, लेकिन रोपाई कैसे होगी, असल सवाल यही है।
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जरगो कमांंड की मुख्य नहर की तलहटी सूखी है। किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं। बारिश हो तो धान की रोपाई शुरू करें।
दरअसल जिले के प्रमुख धान उत्पादक क्षेत्र भुइली और भगवत की सिंचाई समस्या को दूर करने के लिए जो भी योजनाएं बनाई गईं, उनमें दूरदर्शिता का अभाव है। बाणसागर परियोजना का बड़ा शोर हुआ। इसी के सहारे नल-जल योजना को भी जरगो बांध के ही सहारे लागू किया गया। अब जब बाणसागर के पानी की जरूरत है तो ठेंंगा दिखाया जा रहा है।
सिंचाई मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह के गांव ओड़ी में सावन में गरई नदी की स्थिति
क्षेत्र के किसान संगठनों ने सांसद, विधायक सहित सिंचाई मंत्री से कई बार अनुरोध किया कि नरायनपुर पंप कैनाल के पानी को अहरौरा कमांड के हुसैनपुर बीयर तथा जरगो कमांड के पौनी बैरिियर तक पहुंचा दिया जाए तो समस्या का काफी हद तक निदान हो सकता है, लेकिन नेता हैं कि उनको कोई मतलब ही नहीं है।
अहरौरा बांध सुलूस की स्थिति
दरअसल ऐसा लगता है कि इस सरकार की प्राथमिकता में खेती है ही नहीं। सांसद व विधायक का भी ध्यान नहीं है। ऐसा नहीं होता तो 1976 में बने डीपीआर पर अमल किया जाता। आज 47 साल हो गए। इस डीपीआर में दिखाया गया कि अहरौरा को सोन लिफ्ट से पानी दिया जाएगा। इस योजना को अमल में लाए जाने का इंतजार करते-करते तमाम किसान दिवंंगत हो गए। बच्चे बाप बन गए और जवान दादा बन गए। इस परियोजना का क्या हुआ, कोई बताने वाला नहीं है।
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इसी तरह से 1978 में बाणसागर से पानी लाकर जरगो बांंध और अहरौरा कमांड के हुसेनपुर बीयर को देने का सपना दिखाया जा रहा है। इस डीपीआर के बने भी 45 साल हो गए। इसमें बाणसागर, अदवां, मेजा होते हुए जरगो बांध तक पानी पहुंचाने की योजना थी। जरगो से हुसेनपुर बीयर तक पानी पहुंचाकर इससे अहरौरा कमांड की भी सिंचाई की योजना थी।
अहरौरा बांध मेन कैनाल की स्थिति
ये दोनों योजनाएं सफेद हाथी साबित हुई हैं। बाणसागर परियोजना तो खुली लूट का जरिया बन गई। इसमें तैनात कुछ अभियंंता मालामाल हो गए, लेकिन न तो अहरौरा कमांड और न ही जरगो को पानी मिला। किसान खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। पहाड़ी क्षेत्र की तरह यह मैदानी क्षेत्र की भी खेती आज की तारीख में बारिश पर ही निर्भर बन गई है।
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क्या है उपाय
किसान नेता हरिशंकर सिंह व बजरंगी सिंह कुशवाहा ने का कहना है कि सोन लिफ्ट और बाणसागर से पानी लाना दिवास्वन के अलावा कुछ नहीं है। यदि सरकार में इस क्षेत्र की सिंचाई के लिए इच्छाशक्ति है तो नरायनपुर पंंप कैनाल व भोपौली पंप कैनाल बेहतर विकल्प हैं। नरायनपुर में गंगा नदी में बने पंप कैनाल पर 14 पंप लगे हैं। इनमें दो स्टैंंडबाय के रूप में रहते हैं। 12 चलाए जाते हैं। इसके लिए पानी की भी व्यवस्था हो गई है। हर पंंप की क्षमता 120 क्यूसेक थी। किसानों की मांग पर इनकी क्षमता बढ़ा कर 150-150 क्यूसेक किया जा रहा है। कुछ की क्षमता वृद्धि हो भी गई है। आगामी सितंबर तक सभी 14 पंपों की क्षमता वृद्धि हो जाएगी।
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क्षमता वृद्धि के बाद पानी अतिरिक्त हो जाएगा। इसी अतिरिक्त पानी को गंगा-गरई बेसिन बनाकर गरई नदी में छोड़ा जाए। गरई से अहरौरा कमांंड की नहरों में पानी देने से सिंचाई सुनिश्चित होगी। इसी पानी को हुसेनपुर बीयर से जरगो कमांड के पौनी बैरियर तक भेजकर भगवत क्षेत्र को भी आबाद किया जा सकेगा। इसमें न तो जमीन का अधिग्रहण करना है, न कोई नया निर्मााण। जरूरत है इच्छाशक्ति की।
नरायनपुर पंप कैनाल की क्षमता वृद्धि का शिलान्यास दिसंबर 2021 में ही हुआ
अहरौरा कमांड के हुसेनपुर बीयर तक पानी पहुंचाने के लिए नरायनपुर पंप कैनाल के पंपों की क्षमता वृद्ध के लिए पूजा आदि दिसंबर 2021 में ही की गई थी। इस अवसर पर चंदौली के सांसद व केंद्र में मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय तथा मिर्जापुर की सांसद व केंद्र में राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल के साथ चुनार के विधायक अनुराग सिंह भी मौजूद थे। ढोल पीटा गया कि अब हुसैनपुर बीयर को पानी की कमी नहीं होगी। डेढ़ साल हो गए। कब तक काम पूरा होगा। अभी कहा जा रहा है कि आगामी सितंबर तक पूरा हो जाएगा।
कहां है संकट
जरगो कमांड मुख्य कैनाल में बनी दीवार, ताकि पानी आगे नहर में न जाए
इसी क्षेत्र से विधायक रहे ओमप्रकाश सिंह भी सूबे में सिंचाई मंत्री थे। आज के समय में उनके सुपुत्र चुनार के विधायक हैं। ओम प्रकाश सिंह ने तो कुछ ध्यान भी दिया। भोका नाला व गरई की सफाई कराई। गरई में कुछ स्थानों पर रेगुलेटर का निर्माण कराया। हालांकि अनुराग सिंह भी क्षेत्र की समस्याओं को लेकर गंभीरता दिखाते हैं। इस साल फिर गरई के कुछ हिस्से की खोदाई हुई। इसका श्रेय वह खुद को देते हैं। राजगढ़ के विधायक रमाशंकर सिंह भी योगी सरकार-1 में राज्य मंत्री थे। अभी भी विधायक हैं। इन लोगों ने सुनिश्चित सिंचाई की ओऱ ध्यान ही नहीं दिया या उनके पास भविष्य का विजन नहीं है। अहरौरा बांध को छोड़ दीजिए, जरगो की स्थिति इतनी खराब कभी नहीं थी। दो साल से लगातार सूखा पड़ने से बांध सूखने के कगार पर है। बिना बाणसागर का पानी लाए इसी पर नल-जल योजना भी थोप दी गई। किसान विरोध करते रहे, लेकिन इनको किसी भी जनप्रतिनिधि का साथ नहीं मिला। अधिकारी मनमानी करते रहे। जरगो कमांड मुख्य नहर में बिना किसी नक्शे व परमीशन के दीवार खड़ी कर दी गई, किसी जनप्रतिनिधि ने किसानों की आवाज बनने की जहमत नहीं उठाई।
सिंचाई मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह भी नहीं दे रहे अपेक्षित ध्यान
प्रदेश के सिंचाई मंत्री जमालपुर ब्लॉक के ओड़ी गांव के मूल निवासी जरूर हैं, लेकिन उनका कार्यक्षेत्र बुंदेलखंड है। वह कभी-कभार ही गांव आते हैं। हां, अपनी मां के निधन के बाद उनका त्रयोदशाह संस्कार ओड़ी में ही किया। इस दौरान व पूरे 13 दिन गांव में रहे। 14वें दिन अलसुबह ही निकल गए। इस 13 दिनों के प्रवास में भी कई किसानों ने नरायनपुर पंप कैनाल से अहरौरा व जरगो कमांड को पानी देने की योजना बनवाने की मांग की, लेकिन वह भी अपेक्षित ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। शायद उनको यह पता नहीं है कि जिस गरई की उफनती धारा को पार करके जमालपुर पढ़ने जाते थे, नदी में तैराकी करते थे, उसमें सावन में धूल उड़ रही है।