November 11, 2024 |

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‘तू जमाना बदल’ के नायक यदुनाथ सिंह : चुनार दुर्गाजी मोड़ पर मार्ग के नामकरण का न पत्थर लगा, न प्रतिमा

सांसद व केंद्रीय वाणिज्य तथा उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने दिया था प्रतिमा लगवाने का आश्वासन

Sachchi Baten

यदुनाथ सिंह : चुनार दुर्गाजी मोड़ पर मार्ग के नामकरण का न पत्थर लगा, न लगी प्रतिमा

-सांसद व केंद्रीय वाणिज्य तथा उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने दिया था प्रतिमा लगवाने का आश्वासन

-श्रीमती पटेल के ही अनुरोध पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने की थी चुनार दुर्गाजी मोड़ से राजगढ़ मार्ग का नामकरण यदुनाथ सिंह के नाम पर करने की घोषणा 

-नामकरण की घोषणा के पौने दो साल हुए, अभी तक नहीं लगा पत्थर

-प्रतिमा के लिए सांसद अनुप्रिया पटेल से आस लगाए हैं यदुनाथ सिंह के परिजन व समर्थक

 

चुनार (सच्ची बातें)। राजनीति का स्वरूप व मायने पूरी तरह से बदल चुके हैं। अब संघर्ष का सम्मान नहीं, शस्त्र को सलाम किया जाता है। ऐसा नहीं होता तो मिर्जापुर ऐसे लोगों के हवाले न किया गया होता, जिन पर आइपीसी की संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं। मिर्जापुर में इनका ही भौकाल है। इनका ही सम्मान करना जनता की विवशता हो गई है। साहस को भी हिम्मत देने वाले तथा डर को भी डरा देने वाले चुनार के पूर्व विधायक के जीवन संघर्षों का कोई मतलब भी नहीं है।

डिप्टी सीएम ने ‘तू जमाना बदल’ के नायक यदुनाथ सिंह के नाम पर चुनार-राजगढ़ वाया सक्तेशगढ़ मार्ग का नामकरण करने की घोषणा की

 

यदि ऐसा नहीं होता तो मार्ग के नामकरण की घोषणा के पौने दो साल हो चुके हैं, अभी तक पत्थर नहीं लगा।  मिर्जापुर की सांसद व केंद्रीय वाणिज्य तथा उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने यदुनाथ सिंह की प्रतिमा चुनार के दुर्गाजी मोड़ पर लगवाने की घोषणा की थी तथा इसके लिए पत्र भी लिखा था। लगता है कि पत्राचार के बाद कोई कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी।

‘तू जमाना बदल’ के नायक यदुनाथ सिंह के नाम से जाना जाएगा चुनार-राजगढ़ मार्ग

 

चुनार विधानसभा से लगातार चार बार विधायक रहे यदुनाथ सिंह जी का निधन 31 मई 2020 की शाम हुआ था। इलाके की सांसद अनुप्रिया पटेल जी जब शोक संवेदना व्यक्त करने राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या सात (NH-7) पर नियामत पुर कलॉ गांव स्थित उनके घर पहुंची तो समर्थकों व परिजन ने दिवंगत जननेता की प्रतिमा चुनार में दुर्गाजी मोड़ तिराहे पर लगवाने की मांग की। ताकि आजादी के बाद के सबसे बड़े क्रांतिकारी यदुनाथ सिंह की स्मृति कायम रहे तथा आने वाली पीढ़ी उनके बारे में जानने के साथ ही उनके जीवन से प्रेरणा ले सके। श्रीमती पटेल ने आश्वस्त किया कि इसके लिए वह हरसंभव प्रयास करेंगी। दो साल होने वाले हैं, प्रतिमा का प्रयास कब सफल होगा, स्पष्ट नहीं हो सका है।

https://www.dailypioneer.com/uploads/2021/epaper/june/lucknow-hindi-edition-2021-06-25.pdf

हां, सांसद श्रीमती पटेल के ही विशेष अनुरोध पर जून 2021 में मिर्जापुर आए उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने चुनार में दुर्गाजी मोड़ से राजगढ़ मार्ग का नामकरण यदुनाथ सिंह के नाम पर करने की घोषणा की। स्थानीय विधायक अनुराग पटेल ने फोन करके यदुनाथ सिंह के सुपुत्र धनंजय सिंह को इस घोषणा के बारे में  विशेष तौर पर अवगत कराया था। अनुप्रिया पटेल ने इसके लिए उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का आभार जताया था। उनको धन्यवाद दिया, लेकिन आज तक संबंधित स्थान पर पत्थर नहीं लग सका है।

यदुनाथ सिंह के बारे में यदि आप नहीं जानते तो जान लीजिए कि वे आजाद भारत के सबसे बड़े क्रांतिकारी नेता थे, जो गांधीवादी थे। लोहियावादी थे। सच्चे समाजवादी थे। उनसे डर भी डरता था। साहस हिम्मत लेता था। न मौत का डर, न जेल जाने का खौफ। ‘एक पैर रेल में, दूसरा जेल में’ के हिमायती थे। अन्याय का विरोध मौके पर ही करते थे। सामने कोई हो, कोई फर्क नहीं पड़ता।

जब उनको लगा कि हाईकोर्ट से भी न्याय नहीं मिला तो न्यायालय में ही आंदोलन कर दिया। पूरी बेंच पर ही कब्जा कर लिया था। इस मामले में तीन माह की सजा भी काटी। मार्ग के किनारे ऐसे युग पुरुष के नाम का पत्थर और तिराहे पर प्रतिमा लगाने में उदासीनता का कारण समझ में नहीं आता। यदुनाथ सिंह के पुत्र धनंजय सिंह आशान्वित हैं। उनका कहना है कि देर से सही, उनके पिता के संघर्ष को सरकार समझेगी।

आपातकाल के दौरान देश में सबसे कम उम्र के जेल जाने वाले सरदार सतनाम सिंह भी उनकी प्रतिमा न लगने से व्यथित हैं। सरदार का कहना है कि उन्होंने यदुनाथ सिंह की ही प्रेरणा से अन्याय के खिलाफ जंग में अपनी पूरी जवानी लगा दी। ऐसे प्रेरणा पुरुष की प्रतिमा लगनी ही चाहिए।

यदुनाथ सिंह के राजनैतिक शिष्य नवल किशोर सिंह मानते हैं कि प्रतिमा लगाने में देर सरकारी उदासीनता है। अब संघर्ष का सम्मान कहीं नहीं है। इसीलिए राजनीति में अब ठीकेदार, माफिया किस्म के लोगों का वर्चस्व कायम होता जा रहा है। इसकी आशंका यदुनाथ सिंह ने उनसे 1993 में ही जताई थी। जो अब सच साबित हो रही है।


Sachchi Baten

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