किसी दबाव में काम नहीं करने के दिए संकेत
-मोदी सरकार 2.0 की प्रतिलिपि है एनडीए 3.0 मंत्रिमंडल
-उड्डयन छोड़ सारे अहम मंत्रालय रहे भाजपा के पास
-विभाग बंटवारे में किसी दबाव में झुकते नहीं दिखे मोदी
हरिमोहन विश्वकर्मा, नई दिल्ली। एनडीए 3.0 सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंत्रियों को मिली जिम्मेदारी से यह साफ़ इंगित हो रहा है कि भले ही भाजपा बहुमत से पीछे रह गई हो, भले ही एनडीए के अन्य दलों का सरकार बनाने -चलाने में सहयोग हो, लेकिन मोदी सरकार अपने पिछले दो कार्यकालों की तरह ही धमक और दृढ़ निश्चय से काम करेगी और साथी दलों के आगे नहीं झुकेगी।
एक तरह से देखा जाए तो केंद्रीय मंत्रिमंडल का स्वरूप मोदी की पिछली दो सरकारों से ज्यादा अलग नहीं है और इसे मोदी 2.0 सरकार की कॉपी ही कहा जा सकता है। ऐसे कयास लग रहे थे कि एनडीए के बड़े सहयोगी टीडीपी और जेडीयू जैसे दल गृह, रेल, रक्षा और वित्त मंत्रालय जैसे विभागों के लिए मोदी पर दबाव बनाएंगे। कुछ हद तक ऐसा हुआ भी लेकिन बंद कमरे में मामले सुलझा लिए गए।
मंत्रिमंडल बन जाने के बाद जरूर अजित पवार वाली एनसीपी की नाराजगी की खबरें आईं लेकिन वे मुद्दा नहीं बनीं। शिवसेना शिंदे और एक दो और दल भी असंतुष्ट लगे लेकिन फिलहाल विवाद जैसी कोई बात नहीं। यहां तक कि मोदी ने आरपीआई अध्यक्ष रामदास आठवले को मंत्री बना दिया जिनके दल से कोई भी सांसद जीतकर नहीं आया फिर भी कोई आवाज नहीं आई।
लोकसभा चुनाव में एनडीए को 292 सीटों पर जीत मिली है, ऐसे में इस सरकार में एनडीए के सहयोगी दलों की भूमिका काफी अहम है। दरअसल इस बार भाजपा बहुमत के आंकड़े से 32 सीट दूर रह गई और 240 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी। यही वजह है कि इस बार मोदी सरकार में एनडीए के अन्य दलों की भूमिका काफी अहम है। हालांकि सरकार के गठन से पहले माना जा रहा था कि इस बार मंत्रिमंडल में बदलाव हो सकता है और कुछ बड़े मंत्रालय सहयोगी दलों के खाते में जा सकते हैं।
लेकिन जिस तरह से मोदी सरकार में मंत्रिमंडल का बंटवारा हुआ है, उसमे फिलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा है। गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, रेल मंत्रालय, सड़क एवं परिवहन मंत्रालय, कृषि मंत्रालय ये तमाम अहम मंत्रालय भाजपा के पास ही हैं। इससे भी अहम बात यह है कि अधिकतर मंत्रालयों में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया गया है और पूर्व के मंत्रियों को ही इन मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
अमित शाह को एक बार फिर से देश का गृहमंत्री बनाया गया है, राजनाथ सिंह के पास फिर से रक्षा मंत्रालय आ गया है, एस जयशंकर फिर से विदेश मंत्री बने रहेंगे। अश्विनी वैष्णव भी रेल मंत्री बरकरार रहेंगे। निर्मला सीतारमण पहले की तरह वित्त मंत्री बनी रहेंगी। सड़क एवं परिहवन मंत्री के तौर पर नितिन गडकरी अपनी भूमिका फिर से निभाते नजर आएंगे। इसके साथ ही शिक्षा मंत्रालय, पोर्ट एवं शिपिंग, अल्पसंख्यक मंत्रालय, कानून मंत्रालय टेक्सटाइल, बाल कल्याण मंत्रालय, पेट्रोलियम मंत्रालय जैसे अहम मंत्रालय भी भाजपा के पास ही हैं।
इन अहम मंत्रालयों के बंटवारे के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया है कि अहम मंत्रालयों में जिस तरह से योजनाओं को आगे बढ़ाया जा रहा था, उसकी रफ्तार पर कोई ब्रेक नहीं लगेगी और पूर्व के मंत्रियों को ही इस जिम्मेदारी को आगे भी निभाने के लिए कहा गया है। पिछली सरकार में अहम मंत्रालय जो भाजपा के पास थे, उसमे से सिर्फ एक ही मंत्रालय ऐसा है जो सहयोगी दल के खाते में गया है।
सहयोगी दलों के पास एक मात्र अहम मंत्रालय नागरिक उड्डयन मंत्रालय गया है, जोकि पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास था। इस बार टीडीपी सांसद राम मोहन नायडू को नागरिक उड्डयन मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया है। ऐसे में जिस तरह से इस लोकसभा चुनाव में भाजपा पूर्ण बहुमत से दूर जरूर रह गई है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रालयों के बंटवारे से यह स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की है कि उनकी सरकार लगातार तीसरी बार भी पहले की ही तरह आगे चलती रहेगी।