पर्यावरण संरक्षण
शिवकुमार पांडेय ने बगीचे के पेड़ों को मान लिया बेटा-बेटी
राजेश कुमार दुबे, जमालपुर (मिर्जापुर)। इनको पेड़-पौधों से बेपनाह मोहब्बत है। उनकी देख-रेख संतान की तरह करते हैं। इतनी मोहब्बत कि इनकी देखरेख के लिए खुद की शादी तक नहीं की। बच्चों की ही तरह इन वृक्षों की आपस में धूमधाम से शादी कराई। इस शादी में गांव वालों व रिश्तेदारों के बुलाकर बाकायदा भोज भी दिया।
विकास खंड जमालपुर के ग्राम सेमरां के 85 वर्षीय शिव कुमार पाण्डेय आज भी कुंआरे हैं।इन्हें पेड़ पौधों से मोहब्बत है। आजीवन कुंआरे रहकर फलदार बृक्षों का बगीचा लगाया। अपने दरवाजे पर एक भव्य कुआं खोदवाया। इस कुएं के पानी से आज भी स्नान ध्यान एवं शिव मंदिर में रोजाना पूजा पाठ करते हैं।
बगीचे के पेड़ों से फूल आने लगे, तब उनकी खुद के पैसे खर्च करके गाजे बाजे के साथ माह मई सन् 1980 में शादी भी कराई। इस शादी में बारात निकाली, जिसमें गांव के लोग भी शामिल हुए। इतना ही नहीं, पेड़ों की शादी के बाद सेमरां गांव के लोगों को दावत भी दी। इसके साक्षी मल्लू पाल, बरती बियार, रामबृक्ष कुशवाहा सहित कई बुजुर्ग अभी भी जिंदा हैं।
बता दें कि सेमरां गांव के सामान्य किसान किशोरी पांडेय को सात औलादें थीं। इनमें राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय सींचपाल, राजकुमार पाण्डेय शिक्षक थे। दोनों बड़े भाई के बाहर नौकरी करने चले जाने के बाद शिवकुमार पाण्डेय कक्षा आठ तक की शिक्षा ग्रहण करने के बाद कुंआरे रह कर खेती किसानी करने लगे।
छोटे भाई बीरेन्द्र कुमार पाण्डेय को पढ़ाने लगे। तीन बहनों की शादी की। सबसे छोटे भाई बीरेन्द्र कुमार मास्टर की डिग्री हासिल करने के बाद भी खेती किसानी करते हैं। स्व. राजेंद्र पाण्डेय सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त हो कर रामनगर में मकान बनवा कर बस गए। राजकुमार पाण्डेय भी सेवा निवृत्त हो कर इलाहाबाद अब प्रयागराज में मकान बनवा कर अपने परिवार के साथ रहने लगे।
शिवकुमार व वीरेन्द्र कुमार सेमरां गांव में निवास करते हैं । राजेन्द्र व राजकुमार की खेती सेमरां गांव में भी है। इनका परिवार पहले से ही धार्मिक प्रवृत्तियों के साथ साथ प्रकृत प्रेमी था । पूर्वज गिरजानंद पाण्डेय ने अंग्रेजी हुकूमत के दौरान सेमरां गांव में तीन भव्य शिव मंदिर का निर्माण करा कर सन् 1871 में मारीशस चले गए।
पुनः इनके पुत्र मुरलीधर पाण्डेय ने सन् 1931 में मारीशस से आकर मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। जहां सावन माह भर मेले जैसा माहौल रहता है। समय-समय पर कीर्तन रामायण का भी आयोजित होता है। शिवकुमार ही इन मंदिरों सहित बाग बगीचे की रखवाली करते हैं।
शिवकुमार ने अपने हिस्से की जमीन सन 2000 में चकबंदी के दौरान मंदिर के नाम कर दी है। शिवकुमार पाण्डेय ने अपने हिस्से की जमीन पर फलदार बृक्षो में आम, बेल, अमरूद, आंवला, बड़हर, कटहल, जामुन, नीबू, करौंदा आदि के साथ बांस की कोठी, शीशम, नीम के पेड़ के साथ-साथ फुलवारी भी लगाई गई हैं। इसे आज भी सेमरां गांव के लोग पांडेय के बगिया की नाम से पुकारते हैं।