February 8, 2025 |

70 वर्षों में हुआ क्या ?  जानने के लिए इसे पढ़ें अंधभक्त भी…

Sachchi Baten

जनता के सामने झूठ परोस रही है मोदी सरकार

 

मनोज तिवारी

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अक्सर एनडीए के नेताओं द्वारा कहा जाता है 70 सालों में कुछ नहीं हुआ। पिछले 70 सालों में आज़ादी के बाद क्या हुआ, उसका चिट्ठा लेकर हम आए हैं और आम आदमी को जानकारी होनी चाहिए कि किस तरह से पिछले 70 सालों में देश ने तरक्की की। आम जनता के सामने मोदी सरकार झूठ परोस रही है।

आज हम आज़ादी के बाद हुए देश में आर्थिक सुधार की बात करते हैं, जिसमें हम आप को बताएँगे कि भारत आज़ाद होने के बाद देश की सार्वजानिक क्षेत्र की इकाइयों ने कैसे अपनी महत्व पूर्ण भूमिका निभाई और अब सरकार सार्वजानिक क्षेत्र की इकाईओं का निजीकरण कर रही है, निजीकरण के क्या नुक्सान और लाभ हैं इस पर भी चर्चा होगी।

सबसे पहले भारत की कुछ सार्वजानिक क्षेत्र की इकाइयों को जान लेते हैं। प्रमुख सार्वजानिक क्षेत्र की इकाइयों को को महारत्न, नवरत्न, मिनी रत्न में विभाजित किया गया है-

महारत्नों में प्रमुख रूप से
-राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम
-तेल और प्राकृतिक गैस निगम
-स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड
-भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड
-इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड
-हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड
-कोल इंडिया लिमिटेड
-गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड
-भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड
-पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया

नवरत्नों की सूची में
-भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड
-भारतीय कंटेनर निगम
-इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड
-हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड
-भारत संचार निगम लिमिटेड
-राष्ट्रीय एल्युमीनियम कंपनी
-राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम
-राष्ट्रीय खनिज विकास निगम
-एनएलसी इंडिया लिमिटेड
-ऑयल इंडिया लिमिटेड
-पॉवर फाइनेंस कॉर्पोरेशन
-राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड
-ग्रामीण विद्युतीकरण निगम
-भारतीय नौवहन निगम

मिनीरत्न-1 की सूची
-भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
-एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन
-बामर लॉरी
-भारत कोकिंग कोल लिमिटेड
-भारत डायनेमिक्स लिमिटेड
-भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड
-महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड
-ब्रिज एंड रूफ कंपनी इंडिया लिमिटेड
-सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन
-सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड
-चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन
-कोचीन शिपयार्ड
-कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
-ड्रेजिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया
-एडसिल (इंडिया) लिमिटेड
-कामराजार पोर्ट
-गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स
-गोवा शिपयार्ड
-हिंदुस्तान कॉपर
-एचएलएल लाइफकेयर
-हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट
-हिंदुस्तान पेपर
-आवास और शहरी विकास निगम
-एचएससीसी
-भारत पर्यटन विकास निगम
-भारत व्यापार संवर्धन संगठन
-भारतीय दुर्लभ पृथ्वी
-भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम
भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी
-इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड
-इरकॉन इंटरनेशनल
-कुद्रेमुख लौह अयस्क कंपनी
-मझगांव डॉक लिमिटेड
-महानदी कोलफील्ड्स
-एमओआईएल
-मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड
-मिश्रा धातु निगम
-एमएमटीसी लिमिटेड
-एमएसटीसी लिमिटेड
-राष्ट्रीय उर्वरक
-राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम लिमिटेड
-राष्ट्रीय बीज निगम
-एनएचपीसी लिमिटेड
-नॉर्दर्न कोलफील्ड्स
-उत्तर पूर्वी इलेक्ट्रिक पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड
-नुमालीगढ़ रिफाइनरी
-ओएनजीसी विदेश
-पवन हंस
-प्रोजेक्ट्स एंड डेवलपमेंट इंडिया लिमिटेड
-रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया
-रेल विकास निगम लिमिटेड
-राष्ट्रीय रसायन और उर्वरक
-रेल इंडिया तकनीकी और आर्थिक सेवा
-रामागुंडम फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड
-एसजेवीएन लिमिटेड
-सिक्यूरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कार्पोरेशन ऑफ इंडिया
-साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स
-स्टेट ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया
-दूरसंचार सलाहकार भारत
-टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड
-वेस्टर्न कोलफील्ड्स
-जल और बिजली परामर्श सेवाएं
-खनिज अन्वेषण निगम लिमिटेड

मिनीरत्न-2 की सूची
-भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम
-भारत पंप और कंप्रेसर
-ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया
-केंद्रीय खान योजना और डिजाइन संस्थान
-सेंट्रल रेलसाइड वेयरहाउस कंपनी
-इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स (इंडिया) लिमिटेड
-एफसीआई अरावली जिप्सम एंड मिनरल्स (इंडिया) लिमिटेड
-फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड
-एचएमटी लिमिटेड
-इंडियन मेडिसिन्स एंड फार्मास्युटिकल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड
-आईटीआई लिमिटेड
-मेकॉन
-भारतीय राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम
-पीईसी लिमिटेड
-राजस्थान इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंट्स लिमिटेड
-नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) और भारतीय सौर ऊर्जा निगम लिमिटेड (एसईसीआई)

अब आप लोगों को समझ में आ गया होगा कि मोदी सरकार किस तरह से लोगों को गुमराह करती है कि पिछले 70 सालों में कुछ नहीं हुआ। जबकि पिछले 70 सालों की बनायी गयी सरकारी क्षेत्र की कंपनियों में निवेश और विनिवेश को मोदी सरकार बढ़ावा देकर सरकारी स्वामित्व समाप्त कर रही है। इस तरह पूरे भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को स्थापित किया गया, जिनसे लोगों को रोजगार मिले। उसके साथ ही साथ अन्य छोटे उद्योग स्थापित हुए। बाद की सरकारों ने सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों में राज्य के खर्चे को कम करने के लिए निजीकरण को बढ़ावा दिया। आज भूमंडलीकरण के दौर में हर देश किसी देश में निवेश कर सकता हैष, इसलिए सरकार ने निजीकरण के रस्ते को आसान बनाया .

वर्तमान में निजीकरण अत्यंत बहुचर्चित विषय है। निजीकरण का अर्थ कई प्रकार से व्यक्त किया जाता है। संकुचित दृष्टिकोण से निजीकरण का मतलब सरकारी स्वामित्व के अंतर्गत कार्यरत उद्योगों में निजी स्वामित्व के प्रवेश से लगाया जाता है। विस्तृत दृष्टिकोण से निजी स्वामित्व के अतिरिक्त (मतलब स्वामित्व के परिवर्तन किये बिना भी) सार्वजनिक उद्योगों में निजी प्रबंध एवं नियंत्रण के प्रवेश से लगाया जाता ह। निजीकरण की दोनों विचारधाराओं का अध्ययन करने के बाद यही अधिक उपयुक्त मालूम होता है कि निजीकरण को विस्तृत रूप से ही देखा जाना चाहिये।
आइये निजीकरण के कुछ लाभ की बात कर लेते है
“व्यापार राज्य का व्यवसाय नहीं है” इस मान्यता के परिप्रेक्ष्य में निजीकरण से कार्य निष्पादन में बेहतरीन संभावना होती है। निजीकृत कंपनियों में बाज़ार के फलस्वरूप वे और अधिक दक्ष बनने के लिये मजबूर होंगे और अपने ही वित्तीय एवं आर्थिक संसाधन के निष्पादन पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेंगे। वे बाज़ार को प्रभावित करने वाले कारणों का अधिक मुस्तैदी से मुकाबला कर सकेंगे तथा अपनी व्यापारिक आवश्यकताओं की पूर्ति अधिक व्यावसायिक तरीके से कर सकेंगे। निजीकरण से सरकारी क्षेत्र के उद्यमों की सरकारी नियंत्रण भी सीमित होगा।
निजीकरण के फलस्वरूप, निजीकृत कंपनियों के शेयरों की पेशकश छोटे निवेशकों और कर्मचारियों को किये जाने से शक्ति और प्रबंधन को विकेंद्रित किया जा सकेगा। निजीकरण का पूंजी बाज़ार पर लाभकारी प्रभाव होगा। निवेशकों को बाहर निकलने के सरल विकल्प मिलेंगे, परीक्षण और कीमत निर्धारण के लिये अधिक शुद्ध नियम बनाने में सहायता मिलेगी और निजीकृत कंपनियों को अपनी परियोजनाओं अथवा उनके विस्तार के लिये धन जुटाने में सहायता मिलेगी।

पूर्व के सरकारी क्षेत्रों का उपर्युक्त निजी निवेशकों के लिये खोल देने से आर्थिक गतिविधि में वृद्धि होगी और कुल मिलाकर मध्यम से दीर्घावधि तक अर्थव्यवस्था, रोज़गार और कर-राजस्व पर लाभकारी प्रभाव पडे़गा।

दूरसंचार और पेट्रोलियम जैसे अनेक क्षेत्रों में सरकारी क्षेत्र का एकाधिकार समाप्त हो जाने से अधिक विकल्पों और सस्ते तथा बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पादों और सेवाओं के चलते उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। आज कई टेलीकॉम कम्पैनियन का लाभ जनता को मिल रहा है।

लाभ के साथ हानि पर भी चर्चा होनी चाहिए

निजीकरण करने से स्वामित्व वाली कंपनियों के नियम ऐसे होते हैं, जिससे पूँजीवाद को बढ़ावा मिलता है। भारत की सामाजिक संरचना समाजवादी है और भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भी समाजवाद को बढ़ावा देने की बात है। निजीकरण के पश्चात् कंपनियों की विशुद्ध परिसंपत्ति का प्रयोग सार्वजनिक कार्यों और आम लोगों के लिये नहीं किया जा सकेगा। निजीकरण द्वारा बड़े उद्योगों को लाभ पहुँचाने के लिये निगमीकरण प्रोत्साहित हो सकता है, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग की संभावना बढ़ जाएगी। मनी लॉन्ड्रिंग और व्यापारिक एकाधिकार की वजह से बाज़ार में स्वस्थ्य प्रतियोगिता का अभाव हो सकता है।

कार्यकुशलता औद्योगिक क्षेत्र की समस्याओं का एकमात्र उपाय निजीकरण नहीं है। भारत में निजीकरण को अर्थव्यवस्था की वर्तमान सभी समस्याओं का एकमात्र उपाय नहीं माना जा सकता। वर्तमान में वैश्विक स्तर पर चल रहे व्यापार युद्ध और संरक्षणवादी नीतियों के कारण सरकार के नियंत्रण के अभाव में भारतीय अर्थव्यवस्था पर इनके कुप्रभावों को सीमित कर पाना अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य है। निजीकरण के पश्चात् कंपनियों का तेज़ी से अंतर्राष्ट्रीयकरण होगा और इन दुष्प्रभावों का प्रभाव भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। इधर एनडीए की सरकार में कई सार्वजानिक क्षेत्र की यूनिट्स में सरकारी भागीदारी को कम करके उसके हिस्से निजी विवेशकों को दी गयी।

यह बात हुई सार्वजानिक क्षेत्रों के निजीकरण पर और उसके महत्व और लाभ पर, जो सरकार रोजगार देने का वायदा करती है, लेकिन निजी हाथों में देकर रोजगार के अवसर को भी कम करती जा रही है।

(लेखक प्रयागराज के वरिष्ठ पत्रकार हैं तथा बुद्धिजीवी राजनीतिक मंच नामक प्रतिष्ठित ह्वाट्सएप ग्रुप के प्रमुख एडमिन हैं।)


Sachchi Baten

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