चीफ जस्टिस की चेतावनी से ही सही, मणिपुर पर मोदी का मुंह खुला तो
-शायद यही दिन देखने का इंतजार था उनको, जिसे देख पूरा देश शर्मसार है
-पीड़ित महिलाओं में एक का आरोप, पुलिस ने ही उनको छोड़ा भीड़ के बीच
-राष्ट्रीय महिला आयोग ने ट्विटर से पूछा क्यों प्रसारित किया वीडियो
-बोले पीएम, दोषी बख्शे नहीं जाएंगे
राजेश पटेल, मिर्जापुर (सच्ची बातें) । रावण राज में भी वह नहीं हुआ, जो भाजपा के रामराज में हो रहा है। रावण ने सीता का अपहरण जरूर किया, लेकिन उसने उनको हाथ तक नहीं लगाया। यहां महिलाओं को नग्न करके भीड़ उनकी परेड करा रही है। इस पर तुर्रा यह कि जब तक सुप्रीम कोर्ट का डंडा नहीं चला, पीएम का मुंह नहीं खुला।
भाजपा शासित राज्य मणिपुर महीनों से जल रहा है। लेकिन पीएम मोदी ने न तो वहां जाकर हाताल का जायजा लेने की जहमत उठाई, और न ही एक शब्द कुछ कहा। बुधवार को पूरे देश को शर्मसार करने वाला एक वीडियो वायरल हुआ, तब सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड (डीवाई चंद्रचूड) ने चेतावनी दी कि सरकार कुछ नहीं करती तो वह खुद कार्रवाई करेंगे। इसके बाद गुरुवार को संसद का मानसून सत्र शुरू होने के पहले संंसद भवन परिसर में ही प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर संभवतः पहली बार मुंह खोला।
उधर इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक कुकी-ज़ोमी समुदाय की दो महिलाओं को नग्न घुमाने और उनके साथ यौन उत्पीड़न करने का वीडियो सामने आने के एक दिन बाद, पीड़ितों में से एक ने बताया कि उन्हें “पुलिस ने भीड़ के पास छोड़ दिया था”।
दो महिलाओं, एक की उम्र 20 वर्ष और दूसरी की 40 वर्ष, को पुरुषों की भीड़ द्वारा नग्न अवस्था में सड़क पर और खेत की ओर ले जाते हुए वीडियो में देखा जा सकता है। कुछ लोगों को दो महिलाओं को खेत की ओर खींचते और उनके साथ जबरदस्ती छेड़छाड़ करते देखा जा सकता है। 18 मई को दर्ज की गई एक पुलिस शिकायत में, पीड़ितों ने यह भी आरोप लगाया था कि छोटी महिला के साथ “दिनदहाड़े बेरहमी से सामूहिक बलात्कार किया गया”।
शिकायत में, उन्होंने कहा था कि कांगपोकपी जिले में उनके गांव पर भीड़ द्वारा हमला किए जाने के बाद वे आश्रय के लिए जंगल में भाग गए थे और बाद में उन्हें थौबल पुलिस ने बचाया और पुलिस स्टेशन ले जाया जा रहा था, लेकिन उन्हें रोक दिया गया। रास्ते में भीड़ ने उसे थाने से करीब दो किलोमीटर दूर पुलिस हिरासत से पकड़ लिया।
यह शर्मनाक वीडियो वायरल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट सख्त हुआ। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड ने इसे स्वतः संज्ञान लेते हुए सरकार को चेतावनी दी कि यह वह कुछ नहीं करती तो सुप्रीम कोर्ट को ही एक्शन लेना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर 28 जुलाई को फिर सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट की इस तल्ख टिप्पणी से सत्ताधारी दल में खलबली मच गई।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि इस तरह की घटना बिल्कुल अस्वीकार्य है और यह बेहद दु:खद है। उन्होंने कहा, ‘हम कल सामने आए वीडियो से व्यथित हैं। यह बिल्कुल अस्वीकार्य है और समय आ गया है कि सरकार दखल दे और कुछ ठोस कार्रवाई करे। सांप्रदायिक तनाव वाले क्षेत्र में महिलाओं को हिंसा भड़काने के हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाना स्वीकार्य नहीं है। यह संविधान का अपमान है।’
इसके बाद गुरुवार को मानसून सत्र शुरू होने के पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद भवन परिसर में कहा- ‘मेरा हृदय पीड़ा से भरा है, क्रोध से भरा है। मणिपुर की जो घटना सामने आई है, वह किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्मसार करने वाली घटना है। पाप करने वाले, गुनाह करने वाले, कितने हैं-कौन हैं, यह अपनी जगह है, लेकिन बेइज्जती पूरे देश की हो रही है। 140 करोड़ देशवासियों को शर्मसार होना पड़ रहा है।’
पीएम मोदी ने सभी मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया कि वे माताओं-बहनों की रक्षा करने के लिए कठोर से कठोर कदम उठाएं। अपने राज्यों में कानून व्यवस्था को और मजबूत करें। घटना चाहे राजस्थान की हो, छत्तीसगढ़ की हो या मणिपुर की हो, हम राजनीतिक विवाद से ऊपर उठकर कानून व्यवस्था और नारी के सम्मान का ध्यान रखें। किसी भी गुनहगार को बख्शा नहीं जाएगा। मणिपुर की इन बेटियों के साथ जो हुआ है, उसे कभी माफ नहीं किया जा सकता।’
बता दें कि मणिपुर में लगभग तीन महीने से हिंसा जारी है। हिंसा के बीच एक विचलित कर देने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में दिख रहा है कि भीड़ में शामिल लोग दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमा रहे हैं। उनके प्राइवेट पार्ट्स के साथ छेड़छाड़ की जा रही है। महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म के भी आरोप लग रहे हैं। विचलित कर देने वाली इस घटना की पूरे देश में चर्चा हो रही है।
मणिपुर हिंसा को लेकर विपक्ष शुरू से ही राज्य व केंद्र सरकार की निंदा कर रहा है। हिंसा को रोकने के लिए पिछले दिनों गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में पांच दिनों तक प्रवास किया था, बावजूद इसके मणिपुर में हिंसा थम नहीं रही है। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले दिनों मणिपुर का दौरा किया था और पीड़ितों से मुलाकात की थी।
लगभग पिछले तीन महीने से भड़की इस हिंसा में सैकड़ो लोग मारे जा चुके हैं। कई हजार परिवार पलायन कर चुके हैं। हजारों घर जला दिए गए।
इधर राष्ट्रीय महिला आयोग ने ट्विटर को नोटिस जारी किया है। राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने गुरुवार को मणिपुर के वायरल वीडियो पर स्वत: संज्ञान लिया, जिसमें दो महिलाओं को पुरुषों की भीड़ द्वारा नग्न परेड कराया जा रहा है। एनसीडब्ल्यू ने ट्वीट किया, “एनसीडब्ल्यू मणिपुर घटना की निंदा करता है। डीजीपी मणिपुर को तुरंत उचित कार्रवाई करने के लिए कहा गया है।” एनसीडब्ल्यू प्रमुख रेखा शर्मा ने कहा कि घटना में शामिल एक संदिग्ध को पकड़ लिया गया है। और भी लोगों के गिरफ्तार होने की उम्मीद है।
NCW condemns the Manipur incident. Taking suo motu cognizance. The DGP Manipur has been asked to promptly take appropriate action.@sharmarekha @MinistryWCD
— NCW (@NCWIndia) July 20, 2023
उन्होंने कहा, “एनसीडब्ल्यू ने वीडियो के प्रसार पर ट्विटर को जिम्मेदार मानते हुए उसे नोटिस जारी किया है।” ट्विटर के प्रबंध निदेशक से कहा है कि इसे तुरंंत डिलीट किया जाए।
NCW has formally directed the Head, Public Policy at @TwitterIndia to remove the video showing the disgraceful act of two women being paraded naked. This video compromises the victims' identities and is a punishable offense.@sharmarekha @MinistryWCD @TwitterSupport @Twitter
— NCW (@NCWIndia) July 20, 2023
इधर पूरे दिन मणिपुर की यह घटना ट्विटर पर ट्रेंड करती रही। इसमें प्रधानमंत्री से सवाल किए जा रहे हैं। मणिपुर सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग की जा रही है।