डीएम दिव्या मित्तल ने सहमति जताई, सिंचाई विभाग भी तैयार
भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों ने डीएम से मिलकर रखी अपनी बात
चुनार, मिर्जापुर (सच्ची बातें)। अहरौरा कमांड के किसानों के लिए राहत वाली खबर। इंतजार का अंत हुआ। अहरौरा बांध से कभी भी पानी छोड़ा जा सकता है। इसकी उल्टी गिनती शुरू हो गई है। सिंचाई विभाग ने सीमित ही सही, टेल तक पानी पहुंचाने की योजना बना ली है।
दरअसल मिर्जापुर की जिलाधिकारी दिव्या मित्तल Divya Mittal ने सिंचाई विभाग के अभियंताओं की कार्यप्रणाली से आजिज आकर बांधों के संचालन की जिम्मेदारी खुद ले ली है। उनका सख्त निर्देश है कि उनके आदेश के बिना किसी भी बांध से पानी न छोड़ा जाए। अब अहरौरा बांध में करीब दस दिन पंसाल से नहरों व नदी में पानी देने लायक हो गया है। 320 फीट से ज्यादा जो भी पानी है, वह इस समय धान की रोपाई के लिए पर्याप्त है। इस समय करीब 331 फीट पानी बांध में है। 320 फीट पानी नल जल योजना के लिए सुरक्षित रखना है।
बुघवार को भारतीय किसान यूनियन का एक प्रतिनिधिमंडल जिलाध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह के नेतृत्व में जिलाधिकारी से मिलने जिला मुख्यालय पहुंचा। आजादी के अमृतकाल में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित मेरी माटी-मेरा देश कार्यक्रम के चलते डीएम जिला मुख्यालय पर उपलब्ध नहीं थीं। पता चला कि वह हलिया ब्लॉक में हैं। जिलाध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह, प्रदेश महासचिव प्रह्लाद सिंह सहित कुछ किसान नेता हलिया गये। जमालपुर ब्लॉक के भदावल गांव निवासी वीरेंद्र सिंह व कुछ लोग मिर्जापुर से ही अपने-अपने घर लौट गए।
प्रदेश महासचिव प्रह्लाद सिंह ने बताया कि जिलाधिकारी से हलिया ब्लॉक के गोर्गी गांव में मुलाकात हुई। वहां पर नहरों में पानी छोड़ने के लिए उनसे कहा गया। जिलाधिकारी ने गंभीरता से सुना और आश्वस्त किया।
सिंचाई खंड चुनार के सहायक अभियंता केके सिंह ने बताया कि भारतीय किसान यूनियन के नेतागण के माध्यम से उनको यह पता चला है। गुरुवार को जिलाधिकारी से मिलकर उनसे अनुमति प्रदान करने का निवेदन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सीमित पानी है, लेकिन इसे टेल तक पहुंचाने का पूरा प्रयास किया जाएगा। इसके लिए कार्ययोजना बना ली गई है। इस कार्य में जनभागीदारी ज्यादा रहेगी। सिंह ने बताया कि गुरुवार की रात तक बांध से पानी छोड़ दिया जाएगा।
आपको बता दूं कि इस वर्ष अभी तक पर्याप्त पानी न बरसने से गरई कमांड में धान की रोपाई काफी प्रभावित है। कृषि विभाग के आंकड़े चाहे जो हों, लेकिन 25 फीसद से ज्यादा रोपाई नहीं हो सकी है। बिकसी माइनर के किनारे के बसे गांव बिकसी, बियरही, खड़ेहरा, हसौली, करजी, मुड़हुआ, ढेढ़वां, मझखानी, ओड़ी, गोगहरा, चैनपुरा, हमीदपुर, बहुआर, डोहरी में धान क रोपाई को कौन कहे, नर्सरी भी सूखने लगी थी। बारिश न हुई होती तो अब तक नर्सरी साफ हो गई होती। यही हाल चौकिया ब्रांच, शेरवा राजवाहा, देवरिल्ला माइनर, बेलहर राजवाहा भी है। गरई नदी भी सूखी है।
सिंचाई विभाग टेल तक पानी पहुंचाने के लिए कटिबद्ध है। नदी में पानी हो जाने तथा नहरों से खेतों की सिंचाई होने की स्थिति में भूगर्भ जल का स्तर ऊपर आ जाएगा। फिर किसान डीजल पंपसेट या मोनोब्लॉक से पानी निकाल लेंगे। अभी तक केवल सब मर्सिबल पंप सफल है। जून में जो कुएं सूखे थे, आज भी सूखे ही हैं।