बाबा बूढ़ेनाथ शुभ्र धातु चांदी के आभामंडल से प्रदान करेंगे अमृत-आशीर्वाद
दो स्तंभ हुए सुसज्जित : इनमें विविध रूपों की मिल रही झलक
मिर्जापुर (सच्ची बातें)। नगर की पौराणिक महत्ता के बूढ़ेनाथ मन्दिर को शुभ्र धातु चांदी से सुसज्जित करने का कार्य शुरू कर दिया गया है। गर्भ गृह के चार स्तंभों में दो स्तंभों को अति आकर्षक ढंग से मढ़ दिया गया।
स्तंभों को सुसज्जित करने की वास्तु शैली अत्यंत आकर्षक है। इन स्तंभों को प्रथम दृष्टया देखने से कभी प्रतीत होता है कि यह महादेव के पुत्र गणेश जी का दांत है तो कभी वाहन नन्दी के पीठ का ऊर्ध्व हिस्सा भी लगता है तो साथ में महादेव के गले में लिपटने वाले उनके गण सर्प की भी झलक मिलती है। इसी के साथ शीश पर स्थित चांदी जैसे चमकने वाले चन्द्रमा जैसी चमक तो है ही।
चांदी शुद्ध धातु है और तन-मन को करता है स्वस्थ
बूढ़ेनाथ मन्दिर के विद्वान सन्त डॉ. योगानन्द गिरि के अनुसार लगभग 82 किलो चांदी से मन्दिर के गर्भ गृह को सुसज्जित किया जाएगा। इसमें वर्तमान कीमत के अनुसार 84 लाख रुपये व्यय हो रहे हैं। चूंकि धातुओं में सर्वाधिक शुद्ध चांदी ही है। सोने में कलिकाल का निवास है।
मान्यता है कि चांदी का सबसे बड़ा उत्स (खजाना) चन्द्रमा है। शरद-पूर्णिमा पर जब चन्द्रमा धरती के सर्वाधिक निकट होता है तब रजत-ज्योत्स्ना (चांदी की किरणों) के बीच खीर रखने की परंपरा है। चन्द्रमा औषधीश (औषधियों का राजा) होता है। सारी वनस्पतियों में पौष्टिकता चन्द्रमा से ही रात्रिकाल में समाहित होती है। महादेव प्रकृति के देवता है। इसलिए चन्द्रमा को महादेव सिर पर धारण करते हैं।
पौराणिक कथा
कथा यह है कि अमृत बंटवारे में देवताओं के बीच राहु छिपा था। उसके पीछे चंद्रमा था। जब राहु ने अमृतपान कर लिया तथा चन्द्रमा ने इसका भेद बता दिया एवं विष्णु जी ने चक्र से उसका गर्दन काटा, तब क्रोधित हुआ राहु चन्द्रमा को मारने पहुंचा। चन्द्रमा तब तक समाधि में बैठे महादेव के शीश पर जाकर बैठ गया। पीछा करते आया राहु महादेव से कहने लगा कि चन्द्रमा को शीश से उतार दें। महादेव ने आंखें खोलीं। नजर चन्द्रमा पर पड़ी और उनके नेत्रों की ज्योति चन्द्रमा में समाहित हो गई। चन्द्रमा के लोक हित के कार्यों से प्रसन्न महादेव ने राहु की बात नहीं मानी। तब से चन्द्रमा महादेव के शीश पर बैठकर शीतलता बांट रहा है।
लाइटिंग की व्यवस्था
बातचीत के क्रम में डॉ. योगानन्द गिरि ने बताया कि आधुनिक ढंग से स्तंभों तथा गर्भगृह पर प्रकाश की भी व्यवस्था की जाएगी। इस प्रकार मन्दिर के आभामंडल से तन-मन को बेहतर करने का भी उपाय किया जा रहा है।
-सलिल पांडेय, मिर्जापुर