September 10, 2024 |

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बिना खर्चे वाला ग्रामीण खेल, कहा जाता है क्रिकेट का बाप

Sachchi Baten

गुल्ली-डंडाः बिना खर्च कराए सर्दी में गर्मी का अहसास

-गुल्ली डंडा में कैच, दौड़, लंबी कूद के साथ फेंकने का भी होता है अभ्यास

-दैनिक जागरण के ग्रुप एडिटर कमलेश रघुवंशी भारतीय खेलों को लेकर लिख रहे हैं एक पुस्तक

राजेश पटेल, मिर्जापुर (सच्ची बातें)। जितने भी भारतीय ग्रामीण खेल हैं, वे एक पैसा भी खर्च किए बिना मुकम्मल ताजगी व व्यायाम का माध्यम हैं। गुल्ली-डंडा, होलवापाती, कबड्डी, तितली का तालतूल, लंगड़गुदिया, कूड़ी (लंबी कूद), ऊंची कूद, निशानेबाजी, आइस-पाइस, पानी में डुबा-डुब्बी, पनिया छुआंव, स्टेच्यू, लाठी, एक घंटा आदि कहने को तो अलग-अलग हैं, लेकिन सभी का उद्देश्य एक है। संपूर्ण व्यायाम, धैर्य, योगा, युद्ध कला, एकाग्रता, चौंकन्नापन के साथ जीवन जीने के लिए आवश्यक अन्य सीखें मिलती हैं। तभी तो दैनिक जागरण के ग्रुप एडिटर कमलेश रघुवंशी ने इन खेलों के बारे में जागरूक करने के लिए एक पुस्तक लिखना शुरू किया है।

 

आज सिर्फ गुल्ली-डंडा की चर्चा

इसे गिल्ली डंडा भी कहा जाता है। यह पूरे भारत में काफी प्रसिद्ध खेल है। इसे सामान्यतः एक बेलनाकार लकड़ी से खेला जाता है, जिसकी लंबाई बेसबॉल या क्रिकेट के बल्ले के बराबर होती है। इसी की तरह की छोटी बेलनाकार लकड़ी को गिल्ली कहते हैं, जो किनारों से थोड़ी नुकीली या घिसी हुई होती है।

यह दो प्रकार से खेला जाता है- गड्डा खोदकर और गोला बनाकर। डंडे से गिल्ली को मारना है। गिल्ली को ज़मीन पर रखकर डंडे से किनारों पर मारते हैं, जिससे गिल्ली हवा में उछलती है। गिल्ली को हवा में ही ज़मीन पर गिरने से पहले फिर डंडे से मारते हैं। जो खिलाड़ी सबसे ज्यादा दूर तक गिल्ली को पहुँचाता है वह विजयी होता है।

इसे देखें…

इस खेल के लिए कम से कम दो खिलाड़ियों की आवश्यकता होती है। गड्डे वाला खेल प्रारम्भ करने के लिए पहले जमीन पर एक छोटा सा लम्बा गड्ढा करते हैं। इसे घुच्ची कहते है। फिर उस पर गिल्ली रख कर डंडे से उछालते हैं। यदि सामने खड़ा खिलाड़ी गिल्ली को हवा में ही पकड़ लेता है तो खिलाड़ी आउट हो जाता है। किन्तु यदि ऐसा नहीं होता तो सामने खड़ा खिलाड़ी गिल्ली को डंडे पर मारता है, जो कि जमीन के गड्ढे पर रखा होता है। यदि गिल्ली डंडे पर लग जाती है तो खिलाड़ी हार जाता है, अन्यथा पहला खिलाड़ी फिर गिल्ली को डंडे से उसके किनारे पर मारता है, जिससे गिल्ली हवा मे उछलती है, इसे फिर डंडे से मारते है और गिल्ली को दूर फेकने को प्रयास करते हैं।

यदि गिल्ली को हवा मे लपक लिया जाये तो खिलाड़ी हार जाता है, अन्यथा दूसरा खिलाड़ी गिल्ली को वही से डंडे पर मारता है। डंडे पर लगने की स्थिति मे दूसरे की बारी आती है। यदि गिल्ली को मारते समय डंडा जमीन से छू जाता है तो खिलाड़ी को गिल्ली को इस प्रकार मारना होता है कि उसका डंडे वाला हाथ उसके एक पैर के नीचे रहे। इसे हुच्चको कहते हैं।

नियम

गिल्ली को किनारे से मारने का प्रत्येक खिलाड़ी को तीन बार मौका मिलता है। इस खेल में अधिकतम खिलाड़ियों कि संख्या निर्धारित नहीं होती है। इसे जमीन पर गोला बनाकर खेला जाता है। पहले निर्धारित किया जाता है कि खेल कितने डंडे का होगा। फिर चम्पा उड़ाया जाता है, जिससे पता चलता है कौन प्रथम और कौन द्वितीय स्थान पर खोलेगा ((जो सबसे दूर मारेगा वह पहले खेलेगा)। फिर गिल्ली को जमीन उछाल कर डंडे से मारा जाता है। डंडे की लंबाई कम से कम एक हाथ होनी चाहिए। गिल्ली को ज्यादा से ज्यादा दूर मारने का प्रयास किया जाता है फिर डंडा मांगा जाता है। जैसे 10 फीट में 10 डंडा।। डंडा हमेशा 10, 15, 20, 25, 30, 35-, 40, 45, 50, 55….ही मांगना है।

अगर दूसरे खिलाड़ी को सन्देह होता है तो वह नाप सकता है। अगर नापने पर कम पड़ जाता है तो आपको कुछ नहीं मिलेगा। जैसे आपने 80 मांगा और 79 या साढ़े 79 आता है या इससे भी कम। फिर जैसे आप 100 डंडा पर खेल रहे तो जो पहले 100 डंडा पूरा कर लेगा, वह जीत जाएगा

फिर दूसरे खिलाड़ी को आप दौड़ा सकते हैं, जिसे फिल्डिंग कहते हैं। अब आपको अपने एक पैर को ऊपर करके गिल्ली को पैर के नीचे से हाथ से दूर फेंकना होता है। यदि खिलाड़ी गिल्ली को कैच कर लेता है तो पारी का अंत हो जाता है। यदि ऐसा नहीं होता है तो दूसरा खिलाड़ी गिल्ली को गोले पचाने का प्रयास करेगा और आप को डंडे से रोकना है। यदि गोले के अंदर रह गई, यदि गोले की लकीर पर रह गई या आप गिल्ली को तीन से ज्यादा बार मार या छू देते हैं तो पारी समाप्त और बाहर निकल गई तो आपको गिल्ली को जमीन से उछाल कर डंडे से दूर मारना है। यदि मारते समय डंडा जमीन से घिसटता है तो उसे घिसटा कहते हैं। इस पर दूसरा खिलाड़ी पांच पैर गिल्ली के पास से गोले की तरफ आ सकता है। चाहे तुरन्त या बाद में। दूसरे खिलाड़ी को पारी समाप्त करने के लिए गिल्ली को गोले मे डालना या कैच पकड़ना होगा। आप गिल्ली को चाहे जिस दिशा में मार सकते है।
यह बिना खर्चे के खेल का है, लेकिन अब विलुप्त होता जा रहा है। कई बार गिल्ली खिलाड़ियों को घायल भी कर देती है। सबसे बड़ा संकट तो उस समय पैदा होता है, जब गिल्ली मैदान से बाहर खेत में फसल के बीच जाकर गुम हो जाती है। इसे खोजना बड़ा रिस्की होता है। यदि किसान उसी समय आ गया तो लात खाना लाजमी है, या गालियों की बौछार बर्दाश्त करना।

“भारत के गांवों में जो खेल बच्चे खेलते हैं, उन पर एक पैसा का भी खर्च नहीं है। सबसे बड़ी बात यह है कि इन्हीं से प्रतिभाएं भी निकलकर सामने आती हैं। आज ये खेल विलुप्ति के कगार पर हैं। डिजटल गेम्स ने बच्चों को अपने रूम से बाहर निकलने पर रोक सी लगा दी है। भारतीय खेलों के भूल रहे हैं। इनके संरक्षण की आवश्यकता है। उन्होंने दैनिक जागरण में कई बार अभियान चलाकर देश के अलग-अलग कोनों में खेले जा रहे ग्रामीण खेलों को उजागर करने का प्रयास किया है। एक पुस्तक भी लिख रहे हैं, जिसमें भारत के गावों और गलियों में खेले जाने वाले खेलों के बारे में विस्तार से जानकारी रहेगी।”

 

 

 

 

 

-कमलेश रघुवंशी, ग्रुप एडिटर दैनिक जागरण।


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