जातिगत जनगणना और उसकी रिपोर्ट जारी करने का काम तो नीतीश कुमार ने कर दिया
कौशल किशोर आर्य
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके सहयोगी लालू प्रसाद यादव समेत अन्य सभी सहयोगी दलों ने जातीय जनगणना कराने का वादा पूरा कर दिया। अब यही काम अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी करना चाहिए व केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को करारा जवाब देना चाहिए। देश की जनता को केन्द्र की जन विरोधी और देश विरोधी नरेन्द्र मोदी – भाजपा सरकार को हमेशा के लिए उखाड़ फेंकने समेत अन्य सभी राज्यों से भाजपा को खदेड़ने के लिए आपस में सामंजस्य बनाकर संगठित होकर मिलकर तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2019 से ही राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना कराने के लिए केन्द्र की भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बिहार विधानसभा सभा और बिहार विधान परिषद से दो बार प्रस्ताव पारित करके भेजा। बाद में बिहार के 11 राजनैतिक दलों के प्रमुख ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना कराने के लिए प्रतिवेदन दिया। पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना कराने से इंकार कर दिया।
इतना ही नहीं जातीय जनगणना कराने के लिए संकल्पित नीतीश कुमार और बिहार के 11 राजनैतिक सहयोगी दलों की मांगों को दरकिनार करते हुए स्वयं को ओबीसी प्रचारित करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार भाजपा के ओबीसी यादव नेता नित्यानंद राय से राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना नहीं कराने की घोषणा करवा दी।
ज्ञात हो कि इसके पहले केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने मेडिकल की नीट परीक्षा में ओबीसी के कोटे को भी रद कर दिया था। जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं को ओबीसी प्रचारित करते हैं। जब मेडिकल नीट परीक्षा में ओबीसी के कोटे को समाप्त किए जाने का राष्ट्रीय स्तर पर जोरदार विरोध किया गया तो मोदी सरकार ने मजबूरन नीट परीक्षा में ओबीसी कोटे को बहाल कर दिया। पर तब तक कई वर्ष के नीट परीक्षा में ओबीसी समाज के प्रतिभागी चिकित्सक बनने वालों को भारी नुक़सान पहुंचाया जा चुका था। इसी तरह एससी, एसटी ऐक्ट को खत्म करने के लिए प्रयास किया गया। फिर राष्ट्रीय स्तर पर जोरदार विरोध किए जाने पर केन्द्र सरकार ने इसे बहाल किया।
किसानों के खिलाफ कोरोना लाॅकडाऊन पीरियड में तीन कृषि कानून बनाकर लागू करने के जो दुस्साहस किया और करीब 12 महीने से ज्यादा जोरदार विरोध किए जाने और सैकड़ों किसानों के शहीद होने के बाद उत्तर प्रदेश समेत अन्य पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही काले कानूनों को वापस लिया।
कोरोना में बिना तैयारी, बिना समय दिए अचानक आनन फानन में पूरी तरह लाॅकडाऊन करने की घोषणा की और लगातार 15 दिनों पर लाॅकडाऊन पीरियड बढ़ाया जाता रहा। लाखों लोगों को जहां तहां फंसने के कारण विभिन्न संकटों और कष्टों का सामना करते हुए मारा जाना यही दर्शाता है कि मोदी सरकार ने जनता और देश के प्रति जबाबदेही नहीं निभाई। इतना ही नहीं बिना तैयारी के वाहवाही लूटने के लिए अचानक नोटबंदी की घोषणा और करीब 140 नागरिकों को अपने पैसे निकालने के लिए बैंक की लाइन में खड़े रहकर मरने के लिए मजबूर किया गया।
महंगाई बेतहाशा बढ़ रही है। बची खुची कसर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने कृषि उत्पादन पर टैक्स लगाकर पूरी कर दी। पहली बार भारत के जीडीपी को माइनस में ले जाना भाजपा सरकार का काला अध्याय है। रोजी रोजगार, कल कारखाने, विद्यालय, महाविद्यालय, टेक्निकल एजुकेशन संस्थान, अस्पताल और सुरक्षा आदि के तंत्र को मजबूत करने की जगह राममंदिर निर्माण, नई संसद का भवन निर्माण, काशी विश्वनाथ मंदिर जीर्णोद्धार, काशी कारीडोर निर्माण तथा महाकाल मंदिर निर्माण जैसे काम करके जनता की गाढ़ी कमाई को बर्बाद किया जा रहा है।
बात यहीं पर खत्म नहीं होती है। केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार 2014 में जब से सत्ता में आई है, तभी से भारत में हिन्दू मुस्लिम और मंदिर मस्जिद जैसे तनावपूर्ण माहौल बनाकर भारत में अशांति भरा माहौल बना दिया है। इसके कारण वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश,
समाजसेवी व तर्कशास्त्री नरेन्द्र दाभोलकर व पानसारे जैसे संवेदनशील और प्रबुद्ध बुद्धिजीवियों को आरएसएस व दक्षिणपंथी मानसिकता की भीड़ ने मौत के घाट उतार दिया। भाजपा नेता अमित शाह के बेटे के केस की सुनवाई करने वाले जज लोया की संदिग्धावस्था में मौत हो गई। महाराष्ट्र के भाजपा के वरिष्ठ ओबीसी नेता आदरणीय गोपीनाथ मुंडे जी की दिल्ली में कार एक्सीडेंट में संदिग्धावस्था में मौत हुई। गुजरात में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनते ही केशुभाई पटेल मंत्रिमंडल के मुख्य सहयोगी हीरेन पंड्या की मार्निंग वाकिंग के दरम्यान पार्क में गोली मारकर हत्या कर दी गई। गुजरात दंगे में सैकड़ों बेगुनाह नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया गया।
गुजरात में भाजपा को मजबूत बनाने से लेकर सत्ता में लाने वाले और वरिष्ठ भाजपा नेता मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल जी को भी तिकड़म और साजिशों का शिकार बनाकर मुख्यमंत्री पद से हटवाया गया।
गोवा, मणिपुर, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए लोकतंत्र तथा संविधान को लहूलुहान किया गया। राहुल गांधी की लोकसभा से सदस्यता समाप्त कराने के प्रकरण की तो जानकारी होगी ही। फिर सुप्रीम कोर्ट से गांधी की सदस्यता बहाल की गई।
विपक्षी दलों को बर्बाद करने के ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स, निर्वाचन आयोग यहां तक कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का भी अतिक्रमण किया। नाम बदलने और नाम कमाने के चक्कर में अमर शहीद ज्योति को भी इंडिया गेट से स्थानांतरित कर दिया गया।प्रधानमंत्री राहत कोष के रहते हुए PM Care fund बनाकर कोरोना लाॅकडाऊन पीरियड में हजारों करोड़ जनता द्वारा जमा रुपये का कोई हिसाब देने को तैयार नहीं है।
(लेखक राष्ट्रीय समता महासंघ के संस्थापक हैं। लेख में उनके अपने विचार हैं।)