दिवालीः हमारी संस्कृति बारूद नहीं बाँसुरी
दीया आशा की लौ, पटाखों का चरित्र ही हिंसक
साँच कहै ता/जयराम शुक्ल
हाँ मैं पटाखे और आतिशबाजी के खिलाफ हूँ। इसमें मुझे ऐसी कोई…
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