Swatantra Dev Singh : सोने का चम्मच लेकर पैदा नहीं हुए थे ‘कांग्रेस’, अपनी मेहनत से बने ‘स्वतंत्रदेव सिंह’
काशी के करीब धान के कटोरे में हुए पैदा, बुंदेलखंड में की राजनैतिक तपस्या
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जमालपुर, मिर्जापुर (सच्ची बातें डेस्क) : गरीबी की आग बड़े-बड़ों को झुलसा देती है। इसकी आंच में व्यक्ति की सारी प्रतिभा झुलस जाती है। लेकिन इस आंच में तपने के बाद जो बच जाता है, उसी को 24 कैरेट का सोना कहा जाता है। स्वतंत्रदेव सिंह वही 24 कैरेट का सोना हैं।
इस साल ठीक होली की सुबह की उनकी करीब 98 वर्षीया मां श्रीमती रामा देवी का निधन हो गया। इसके बाद पूरा उत्तर प्रदेश श्रद्धांजलि देने उनके पैतृक गांव मिर्जापुर जनपद के जमालपुर ब्लॉक के ओड़ी गांव पहुंचा। ओड़ी गांव काशी केे करीब है। रामा देवी ने अभावों केे बीच अपने पुत्रों को पाल-पोस कर बड़ा ही नहीं किया, अच्छे संस्कार और विपरीत परिस्थितियों से बहादुरी के साथ लड़ने की सीख भी दी। तभी तो एक दारोगा बने, दूसरा राजनीति के शिखर को छूने की सफल कोशिश लगातार कर रहा है।
कैबिनेट मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह की दिवंगत मां रामा देवी को श्रद्धांजलि देते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
साल 1964, दिन 13 फरवरी। गरई नदी के किनारे बसे इस ओड़ी गांव में अल्लर सिंह व रामा देवी को एक बेटा पैदा हुआ। जिसका नाम गांव वालों ने मजाक-मजाक में कांग्रेस रख दिया। कांग्रेस से बड़े श्रीपति सिंह हैं। सबसे बड़े भाई का नाम दद्दन सिंह है। गरीबी के कारण दद्दन की पढ़ाई-लिखाई नहीं हो सकी। श्रीपति सिंह ने किसी तरह से पुलिस की नौकरी लायक शिक्षा ग्रहण कर ली। दौड़ में आगे थे, सो सोने पर सुहागा साबित हुआ। पुलिस की नौकरी मिल गई। पहली पोस्टिंग बुंदेलखंड में ही हुई। उस समय चंबल घाटी में दस्यु उन्मूलन अभियान चल रहा था। जितनी मुठभेड़, उतना आउट ऑफ टर्म प्रमोशन। शुरुआती दौर में जल्दी-जल्दी प्रमोशन मिलने से इंस्पेक्टर रैंक तक पहुंचे थे। फिर वीआरएस ले लिया।
स्वतंत्रदेव सिंह की मां को श्रद्धांजलि देतीं केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल
जमालपुर के पास स्थित सेमरा गांव निवासी अमर उजाला के रिपोर्टर राजेश दुबे और कांग्रेस में पुरानी दोस्ती है। राजेश दुबे बताते हैं कि कांग्रेस पढ़ने में कुछ ठीक थे। खेलकूद में भी रुचि थी। क्रिकेट अच्छा खेलते थे। प्राथमिक शिक्षा तो ओड़ी गांव के ही प्राइमरी स्कूल में हुई। जूनियर हाईस्कूल की बहुआर में की। इसके बाद श्रीमती देवकली इंटर कॉलेज जमालपुर से हाईस्वकूल व पीएन सिंह राजकीय इंटर कॉलेज से इंटर की शिक्षा हासिल की। बड़े भाई श्रीपति सिंह जब उरई जनपद में सैटल हो गए तो उन्होंने पढ़ाई के उद्देश्य से ही कांग्रेस को अपने पास बुला लिया। यहीं पर कांग्रेस से स्वतंत्रदेव सिंह बनने की यात्रा शुरू हुई।
दुःख की घड़ी में साथ बैठे हैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल व अन्य
इस यात्रा में थके व हारे, लेकिन परिणाम या अंजाम की परवाह किए बिना आगे बढ़ते रहे। बुंदेलखंड को राजनीति तपस्यास्थल मान लिया। उरई-जालौन को कर्मभूमि बना लिया। यहीं से राजनीति की शुरुआत की। और आज पूरे प्रदेश में उनका डंका बज रहा है। बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले परिवार में जन्मे स्वतंत्रदेव अपने परिवार में पहले व्यक्ति हैं जो आरएसएस से जुड़कर वर्तमान में बीजेपी जैसी राजनीतिक पार्टी के माध्यम से प्रदेश की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ने पर कांग्रेस नाम जम नहीं रहा था। सो, बदलकर स्वतंत्रदेव सिंह रख लिया। दरअसल वे स्वतंत्र भारत अखबार के संवाददाता भी थे, सो यही नाम भा गया।
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स्वतंत्रदेव सिंह को दुलारतीं उनकी मां रामा देवी (फाइल फोटो)
स्वतंत्र देव सिंह ने अपनी राजनीति की शुरुआत छात्र संघ चुनाव से की थी। उन्होने उरई स्थित डीवीसी कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई शुरू की तथा यहीं से छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। उसके बाद 1986 में आरएसएस से जुड़कर स्वयंसेवक के रूप में संघ प्रचारक का कार्य करना प्रारम्भ कर दिया। 1988-89 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में संगठन मन्त्री के रूप में कार्य भार ग्रहण किया। 1991 में भाजपा कानपुर के युवा शाखा के मोर्चा प्रभारी बने। बाद में वह 1994 में बुन्देलखंड के युवा मोर्चा के प्रभारी के रूप में विशुद्ध राजनीतिज्ञ के रूप में राजनीति में पदार्पण किया। 1996 में युवा मोर्चा का महामन्त्री नियुक्त किया गया। 1998 में दोबारा भाजपा प्रदेश युवा मोर्चा का महामन्त्री बनाया गया। 2001 में भाजपा के युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी बने।
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ठेठ गंवई अंदाज में गन्ना चूसते स्वतंत्रदेव सिंह (फाइल फोटो)
2004 में स्वतंत्र देव सिंह बुन्देलखंड से झांसी-जालौन-ललितपुर विधान परिषद के सदस्य चुने गए व प्रदेश महामन्त्री भी बनाए गए। वह 2004 से 2014 तक दो बार प्रदेश महामन्त्री बनाए गए। इससे पहले 2010 में भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए गए। बाद में 2012 में फिर महामंत्री बने और इसी पद पर रहकर 2017 में भाजपा को बुन्देलखंड क्षेत्र में भारी जीत दिलाई। 2013 में इनको पश्चिम उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया था।
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स्वतंत्रदेव सिंह 2014 में प्रदेश में बीजेपी सदस्यता अभियान के प्रभारी बनाए गए थे, जिसमें प्रदेश भर से एक करोड़ से ज्यादा नये सदस्य बनाकर स्वतंत्रदेव सिंह ने अपनी नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाया था। स्वतंत्र देव सिंह ने 2002 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय में बीजेपी युवा मोर्चा अधिवेशन आयोजित कराया था। अपने नेतृत्व में उन्होने भाजपा की सीमा जागरण यात्रा (सहारनपुर से पीलीभीत बॉर्डर, गोरखपुर से बिहार तक) कराई थी। वही केन्द्रीय जलसंसाधन विकास मंत्री उमा भारती की गंगा यात्रा में गढ़मुक्तेश्वर (मुरादाबाद) से बलिया तक प्रमुख इंचार्ज रहे। साल 2009 में वह भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार लाल कृष्ण आडवाणी की रैली के प्रमुख कर्ता-धर्ता रहे थे।
अपने मित्र राजेश दुबे के साथ बैठे कैबिनेट मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह
यूपी में लोकसभा चुनाव से लेकर विधान सभा चुनाव में पीएम मोदी की जितनी भी रैली हुई है, उसे सफल बनाने में स्वतंत्रदेव का बहुत बडा हाथ माना जाता है। स्वतंत्र देव सिंह पीएम मोदी की रैली होने के एक सप्ताह पहले की उस स्थान पर डेरा डाल देते थे, जिससे वह छोटे कार्यकर्ताओं में उत्साह और ऊर्जा का संचार करते हुए रैली को किसी भी तरह सफल करा सकें।
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2014 लोकसभा चुनाव के बाद यूपी में 11 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना था। सपा पार्टी सत्ता में थी और उसे जीतना एक बड़ी चुनौती थी। बीजेपी भले ही 11 सीट न जीत पाई हो, लेकिन सहारनपुर सदर सीट पर भाजपा प्रत्याशी राजीव गुंबर को मिली अप्रत्याशित जीत से साबित हो गया है कि स्वतंत्रदेव सिंह किसी भी सीट पर कमल खिला सकते हैं। दरअसल टिकट के चयन को लेकर नेताओं में आपसी फूट, तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी का सहारनपुर में विरोध व इस मामले का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दरबार में पहुंचने के बाद कयास लगाए जाने लगे थे कि भाजपा को सहारनपुर में नुकसान होगा। पार्टी नेतृत्व की सांसे तब फूली थीं, जब राजीव गुंबर के चुनाव कार्यालय के उद्घाटन के दौरान प्रदेश अध्यक्ष का जमकर विरोध हुआ। बाद में अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद प्रदेश महामंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने वहां डेरा डाल दिया। असर हुआ कि भाजपा नेता एकजुट नजर आने लगे और इस मुश्किल सीट पर विजय मिल गई। गौर करने की बात ये है कि इस सीट पर कुर्मी समाज नाम मात्र का भी नहीं था, लेकिन संगठन क्षमता जाति की दीवारों से बहुत आगे की बात है।
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने ऐतिहासिक जीत हासिल कर लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की है। बीजेपी की इस जीत का श्रेय भले ही तमाम बड़े-बड़े नेताओं को जाता है, लेकिन इन सभी नामों के अलावा एक और नाम है जिन्होंने प्रदेश में पार्टी के संगठन को मजबूती से खड़ा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ये नाम है उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह का।
योगी आदित्यनाथ सरकार में बने मंत्री
साल 2017 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार में आई और योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री चुना गया। इस दौरान स्वतंत्र देव सिंह को योगी की कैबिनेट में अहम जिम्मेदारी सौंपी गई। उन्हें ऊर्जा राज्यमंत्री के साथ परिवहन और प्रोटोकॉल मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भी नियुक्त किया गया।
फिर बने उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष
स्वतंत्र देव सिंह को 16 जुलाई 2019 को उत्तर प्रदेश बीजेपी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उत्तर प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए स्वतंत्र देव सिंह ने पार्टी की संगठनात्मक शक्ति को पूरे राज्य में और भी ज्यादा मजबूती दिलाई। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में एक बार फिर जनता ने बीजेपी पर भरोसा जताया और भारतीय जनता पार्टी लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश में सत्ता में आई। संगठनात्मक स्तर पर स्वतंत्र देव सिंह के कुशल नेतृत्व के कारण ही यूपी में कोई पार्टी 37 सालों के बाद लगातार दूसरी बार सत्ता में वापस आई।
योगी सरकार-दो में बनाए गए कैबिनेट मंत्री
स्वतंत्र देव सिंह को योगी आदित्यनाथ सरकार-दो में कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया गया है। 25 मार्च 2022 को उन्होंने उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री के पद और गोपनीयता की शपथ ग्रहण की। इनको सात अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। स्वतंत्र देव सिंह के पास जल शक्ति मंत्रालय, नमामि गंगे व ग्रामीण जलापूर्ति विभाग, सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्रालय, सिंचाई (यांत्रिकी) विभाग, लघु सिंचाई विभाग, परती भूमि विकास मंत्रालय, बाढ़ नियंत्रण मंत्रालय मिला है।
आपका लेख बहुत अच्छा है।
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