आम चुनाव होने वाला है और ऐसे में इससे अनिश्चितता और अव्यवस्था की स्थिति पैदा होगी- सुप्रीम कोर्ट
जेपी सिंह, नई दिल्ली। नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए अपनाई गई प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आम चुनाव होने वाला है और ऐसे में इससे अनिश्चितता और अव्यवस्था की स्थिति पैदा होगी।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त (नियुक्ति सेवा शर्त और कार्यालय शर्त) एक्ट 2023 पर भी अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने 2023 के फैसले में कहीं भी यह नहीं कहा था कि चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए बनाए जाने वाली सेलेक्शन कमिटी में न्यायपालिका का एक सदस्य होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह नियुक्ति से संबंधित कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि हम इस स्टेज पर चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति वाले कानून पर रोक नहीं लगा सकते हैं क्योंकि इससे एक अनिश्चतता बनेगी।
साथ ही कहा कि अंतरिम आदेश के तौर पर इस पर रोक नहीं लगाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि नए चुनाव आयुक्त पर कोई व्यक्तिगत आरोप नहीं है। याचिकाकर्ता ने पहले नए कानून पर रोक की मांग की थी और बाद में अर्जी दाखिल कर नए कानून के तहत की गई नियुक्तिों पर रोक की मांग की गई थी।
हालांकि सुनवाई के दौरान दो नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए जो प्रक्रिया अपनाई गई है उस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया में कुछ और समय दिया जाना चाहिए था। जो भी उम्मीदवार थे उनके बैकग्राउंड को समझने के लिए सेलेक्शन कमिटी को ज्यादा समय दिया जाना चाहिए था।
गौरतलब है कि 14 मार्च को रिटायर आईएएस अधिकारी ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू को चुनाव आयुक्त बनाया गया है। केंद्र सरकार के नए कानून के तहत सेलेक्शन कमिटी में पीएम, नेता प्रतिपक्ष और पीएम द्वारा नामिक एक केंद्रीय मंत्री को रखा गया है इसमें चीफ जस्टिस को नहीं रखा गया था। इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एडीआर और कांग्रेसी नेता जया ठाकुर की ओर से दाखिल अर्जी पर सुनवाई हुई।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आजादी के बाद लगातार चुनाव हुए हैं और कई बेहतरीन चुनाव आयुक्त नियुक्त होते रहे हैं। पहले चुनाव आयुक्त की नियुक्ति एग्जेक्युटिव द्वारा की जाती रही थी और अब एक नए कानून के तहत नियुक्ति हुई है। साभार-जनचौक
(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार एवं कानूनी मामलों के जानकार हैं।)