राजस्थान, मप्र, छत्तीसगढ़ में सफलता मिली तो उप्र में भी हो सकता है यह प्रयोग
-राजभर, दारा को भी लोकसभा लड़ाये जाने की पूरी सम्भावना
-जयवीर, बेबीरानी मौर्य, असीम अरुण, जितिन प्रसाद आदि कुछ चेहरे चर्चा में
-कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे व नीतिश कुमार के भी यूपी आने की खबर
हरिमोहन विश्वकर्मा, नई दिल्ली। जिस तरह भाजपा आलाकमान मप्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में संगठन और केंद्रीय मंत्रिमंडल को विधायिकी लड़ाने में लगा है, उससे अब उप्र में भी इन अटकलों को बल मिला है कि पार्टी लोकसभा चुनाव में उप्र सरकार के कुछ खास मंत्रियों और विधायकों को लोकसभा चुनाव लड़ा सकती है।
ज्ञात हो कि 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के लगभग तुरंत बाद देश में लोकसभा चुनाव होने हैं। अगले साल होने वाले इन चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दलों ने अपनी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। भाजपा ने उप्र की 80 लोकसभा सीटों को जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
पार्टी सूत्रों की मानें तो योगी आदित्यनाथ कैबिनेट दो के कई मंत्री और विपक्ष के कुछ शीर्ष नेता उत्तर प्रदेश से 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। पार्टी यूपी के इन मंत्रियों का अपने क्षेत्र में प्रभाव को देखते हुए उनपर दांव खेल सकती है। इसमें दो दलित (जाटव) मंत्रियों बेबी रानी मौर्य और असीम अरुण को भी यूपी से संभावित लोकसभा उम्मीदवारों के रूप में देखा जा रहा है।
हालांकि यूपी के वरिष्ठ मंत्रियों और पार्टी पदाधिकारियों को लोकसभा चुनाव लड़ाए जाने की संभावना पर अभी कोई जिम्मेदार बोलने को तैयार नहीं है। यह कह कर काम चलाया जा रहा है कि यह पार्टी नेतृत्व को फैसला लेना है कि कौन चुनाव लड़ता है और कहां से लड़ता है।
उधर विपक्षी गठबंधन उप्र से कांग्रेस के दलित नेता और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को मैदान में उतारने पर विचार कर रहा है और कहा जा रहा है कि इस कदम पर यूपी में विपक्षी गठबंधन की प्रमुख खिलाड़ी समाजवादी पार्टी की सहमति भी ली गई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार भी उप्र से लोकसभा लड़ सकते हैं। इसके पीछे कुर्मी वोटों को भाजपा से तोड़ना मक़सद है।
बहरहाल, भाजपा के योगी सरकार के मंत्रियों को लोकसभा चुनाव में उतारने को लेकर वर्तमान सरकार के एक मंत्री ने कहा कि, पार्टी जो भी कहेगी, वह किया जाएगा। जिन मंत्रियों का नाम सामने आ रहा है, उनमें जयवीर सिंह भी शामिल हैं। इसके पीछे की वजह ये मानी जा रही है कि वो पहले सपा में थे और उससे पहले कांग्रेस में भी रहे।
वह पार्टी की रणनीति में शामिल हैं। इसके अलावा दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, जिन्होंने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा और फूलपुर सीट पर बीजेपी का खाता खोला था। दूसरे डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक भी उन्नाव से सांसद रहे हैं। पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद, जो भाजपा में शामिल होने से पहले उप्र में कांग्रेस का ब्राह्मण चेहरा थे और उप्र के ही एक अन्य कांग्रेसी दिग्गज आरपीएन सिंह, जो अब भाजपा में हैं, के बारे में भी संभावित लोकसभा उम्मीदवारों के रूप में चर्चा की जा रही है।
फेफना के विधायक और योगी की पहली सरकार में खेल मंत्री रह चुके उपेंद्र तिवारी भी टिकट की दौड़ में शामिल नेताओं में से एक बताए जा रहे हैं। पार्टी का मानना है कि वरिष्ठ नेता और लोकप्रिय चेहरे का किसी विशेष निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ना पार्टी के लिए फायदेमंद होता है क्योंकि उस निर्वाचन क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने से लहर जैसा प्रभाव पड़ता है और आसपास के निर्वाचन क्षेत्रों में भी मदद मिलती है।
इसी रणनीति पर चलकर पार्टी छत्तीसगढ़, राजस्थान और मप्र के विधानसभा चुनाव में उतरी है और दिग्गज मंत्रियों व संगठन के नेताओं को टिकट देकर विपक्ष को ही नहीं,पार्टी के अंदर भी नेताओं को अचंभित कर दिया है। माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में अगर पार्टी ये फैसला लेती है तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा। वैसे भी योगी दो में पहली बार कैबिनेट विस्तार की संभावना पर अटकलें लगाई जा रही हैं। यह देखना होगा कि वरिष्ठ मंत्री और एसबीएसपी प्रमुख ओम प्रकाश राजभर और भाजपा नेता दारा सिंह चौहान सहित दो वरिष्ठ ओबीसी नेताओं को मंत्री बनाया जा सकता है या नहीं। उन्हें मंत्री बनाए जाने की सबसे अधिक संभावना है। लेकिन मंत्री बनाए जाने के बाद भी उन्हें पूर्वी उप्र के किसी निर्वाचन क्षेत्र से 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ाए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया गया है।