ऑस्कर विजेता स्माइल पिंकी फेम लड़की को बेघर करने की तैयारी में जुटा वन विभाग
-वनभूमि में घर बनाने का आरोप, प्रभागीय वनाधिकारी के नोटिस में 26 सितंबर तक मांगा गया था जवाब
-संतोषजनक जवाब न मिलने पर बेदखली की कार्रवाई की चेतावनी
– प्रशासन ने खुद उस जमीन पर बनवाया है घर, सरकारी हैण्डपम्प भी लगवाया
राजेश पटेल, अहरौरा/मिर्जापुर (सच्ची बातें)। ऑस्कर विजेता वृत्तचित्र स्माइल पिंकी की किरदार पिंकी के सामने अब रहने की समस्या आने वाली है। प्रशासन ने जिस जमीन पर उसका घर बनवाकर उसे बसाया था, उस जमीन को वन विभाग अपना बता रहा है। एक नोटिस भेजकर इस जमीन के बारे में 26 सितंबर तक जवाब मांगा था। चेतावनी दी थी कि नियत समय में संतोषजनक जवाब न आने पर उसे बेदखल कर दिया जाएगा। वन विभाग द्वारा तय तारीख समाप्त होने के बाद अब उसे घर गिराए जाने का डर सता रहा है।
प्रभागीय वनाधिकारी अरविंद राज मिश्रा द्वारा 21 सितंबर को 28 कब्जा धारकों को आरोप पत्र नोटिस भेज कर 26 सितंबर तक जवाब मांगा गया है, जिसकी समय सीमा समाप्त हो गई है। वन विभाग की इस कार्रवाई से छोटी खोरिया इलाके में बेदखली की कार्रवाई को लेकर हड़कंप मचा हुआ है।
ऑस्कर अवार्ड जीतने वाली वृत्तचित्र स्माइल पिंकी की किरदार पिंकी के परिजन भी वन विभाग की कार्रवाई की जद में हैं। वन विभाग से नोटिस मिलने के बाद घर खोने का भय लोगों को सता रहा है।
वन विभाग की भूमि पर कब्जे के आरोपियों ने गत दिनों जिलाधिकारी के यहां पहुंच कर गुहार लगाई तो उनको सकारात्मक आश्वासन मिला है। इस संबंध में जारी किए गए नोटिस में प्रभागीय वनाधिकारी ने विभागीय जांच रिपोर्ट के आधार पर आरोप लगाया है कि भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा- 61बी(1) के तहत आरक्षित वन भूमि में अवैध रूप से कब्जा करना गलत है।
गाटा संख्या 966 मि. क्षेत्रफल एक बिस्वा में रामपुर ढबही में अवैध कब्जा कर रखा गया है। वन अपराध की जांच के साथ संलग्न अभिलेखों का अवलोकन एवं पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर संतुष्ट होने के पर्याप्त आधार हैं कि अपने आरक्षित वन की वर्णित वन भूमि पर अवैध कब्जा कर रखा है।
नोटिस में पूछा गया कि आपके विरुद्ध धारा-61बी(2) के अंतर्गत बेदखली का आदेश क्यों ना पारित किया जाय। इस संबंध में स्माइल पिंकी के पिता राजेंद्र सोनकर ने बताया कि इसी भूमि पर स्माइल पिंकी को प्रशासन द्वारा मिला हुआ आवास बना हुआ है। सरकारी हैंड पंप भी पेयजल के लिए लगवाया गया है। करीब ढाई दशक से स्माइल पिंकी का परिवार तथा गांव का एक कुनबा यहां बसा हुआ है। जंगल में बकरी चरा कर किसी तरह जीविकोपार्जन होता रहा है। अब उजड़ने का भय सबको सता रहा है।
कटे होंठ वाले बच्चों के जीवन पर आधारित डाक्यूमेंट्री फिल्म स्माइल पिंकी को वर्ष 2009 में आस्कर अवार्ड मिलने के बाद मिर्जापुर की पिंकी शोहरत की बुलंदी पर पहुंच गई। उसे 2013 में विंबलडन टेनिस टूर्नामेंट में सर्बिया के नोवाक जोकोविच और ब्रिटेन के एंडी मरे के बीच खेले गए फाइनल मुकाबले के लिए सिक्का उछाल कर टास करने के लिए बुलाया गया था। इस मुकाम पर पहुंची पिंकी ने कभी सोचा नहीं होगा कि उसकी जिंदगी भी किसी मैच की बाजी की तरह पलट जाएगी और प्रशासन ही उसका घर उजाड़ने को तैयार हो जाएगा।
वन विभाग द्वारा नोटिस दिए जाने की जानकारी मिलने के बाद समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधिमंडल चुनार विधानसभा अध्यक्ष राणा प्रताप सिंह के नेतृत्व में स्माइल पिंकी के घर गत हाल ही में पहुंचा था। प्रतनिनिधिमंडल ने आश्वस्त किया कि समाजवादी पार्टी स्माइल पिंकी समेत उन सभी लोगों के साथ है, जिनको वन विभाग का नोटिस मिला है। प्रतिनिधिमंडल में विजय सिंह पटेल, विजय यादव, सदानंद यादव, मुमताज, दिनेश यादव, प्रमोद केसरी, नरेंद्र मौर्य, वीरेंद्र प्रताप यादव, अमित पटेल, चंद्रगुप्त बियार आदि शामिल थे।
पिंकी व उसके परिजन से मिलते समाजवादी पार्टी के नेतागण।
बता दें कि स्माइल पिंकी एक डॉक्यूमेंट्री चलचित्र (फिल्म) है, जो सच्ची कहानी पर आधारित है। इस वृतचित्र को अमरीका की मेगान मायलन ने बनाया है। उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर की पिंकी के असली जीवन पर बनाई गई स्माइल पिंकी को छोटे विषय पर वृत्तचित्र वर्ग में ऑस्कर 2009 में मिला है। पिंकी भारत के उन कई हज़ार बच्चों में से थी, जिनके होंठ कटे होने के कारण उन्हें सामाजिक तिरस्कार का सामना करना पड़ा है। पिंकी का एक स्वयंसेवी संगठन ने इलाज करवाया और उसकी जिंदगी बदल गई। क़रीब 39 मिनट के इस वृतचित्र में दिखाने की कोशिश की गई है कि किस तरह एक छोटी सी समस्या से किसी बच्चे पर क्या असर पड़ता है और ऑपरेशन के बाद ठीक हो जाने पर बच्चे की मनोदशा कितनी बेहतरीन हो जाती है। पिंकी की सर्जरी डॉक्टर सुबोध कुमार सिंह ने की है। डॉक्टर सुबोध कुमार सिंह स्माइल ट्रेन नाम की अंतरराष्ट्रीय संस्था के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश में काम करते हैं। पिंकी के घर के लोग बताते हैं कि होंठ कटा होने के कारण वो बाक़ी बच्चों से अलग दिखती थी और उससे बुरा बर्ताव किया जाता था।
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