जमीनी जलवा देख लोग बोले : सिंचाई व जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह का सीएम बनना तय
श्रम, समर्पण, सामाजिक समीकरण व अपनों का है साथ भी, दिवंगत मां की तेरहवीं में सब दिखा
जमीनी जलवा देख लोग बोले : सिंचाई व जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह का सीएम बनना तय
राजेश पटेल, मिर्जापुर (सच्ची बातें) । उत्तर प्रदेश सरकार में सिंचाई व जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह का आनेवाले दिनों में मुख्यमंत्री बनना लगभग तय है। सोमवार को मिर्जापुर जिले के जमालपुर ब्लॉक के ओड़ी गांव में उनकी दिवंगत मां रामा देवी की तेरहवीं में जिस तरह का माहौल था, कम से कम उससे तो यही प्रतीत हुआ। इस कार्यक्रम के बहाने ही सही, जमालपुर के लाल स्वतंत्रदेव का जमीनी जलवा दिखा। अभी तक उनको कमतर आंकने वालों की जुबान से भी बरबस ही निकल जा रहा था कि स्वतंत्रदेव आगे जाकर सीएम जरूर बनेंगे।
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इसी साल होली के दिन सुबह ही प्रदेश के सिंचाई, जलशक्ति, बाढ़ नियंत्रण विभाग के कैबिनेट मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह की मां श्री रामा देवी का निधन हो गया था। स्वतंत्रदेव सिंह सारे कार्यक्रम छोड़कर अंत्येष्टि में शामिल हुए और करीब 25 वर्ष के बाद पहली बार तेरहवीं तक लगातार अपने पैतृक गांव मिर्जापुर जनपद के जमालपुर ब्लॉक अंतर्गत ओड़ी गांव में रुके। इस दौरान अब तक उनके द्वारा की गई राजनैतिक तपस्या का प्रतिफल भी देखने को मिला। ओड़ी गांव इन 13 दिनों में गुलजार रहा।
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उत्तर प्रदेश तथा अन्य प्रदेशों के मंत्रियों का आना लगातार जारी रहा। अफसरों व पक्ष-विपक्ष के नेता भी आते रहे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद आकर दिवंगत मां को श्रद्धासुमन अर्पित किया था। सोमवार को तेरहवीं थी। पचास हजार से ज्यादा ही लोग आए थे। पूरे प्रदेश व अन्य प्रदेशों से भी उनके चाहने वाले आए थे। कोई सहारनपुर से आया था तो कोई मेरठ से। तकरीबन हर जिले के लोग पहुंचे थे। सभी स्वतंत्रदेव सिंह से मिलने को आतुर थे। स्वतंत्रदेव सिंह ने भी किसी को निराश नहीं किया। पूरे दिन भव्य पंडाल में इधर-उधर घूमकर सभी का स्वागत करते रहे।
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धरती की लड़ाई
देवों की पुष्प वर्षा से नहीं जीती जाती।
चलना पड़ता है अयोध्या से लंका तक राम को,
मथुरा से द्वारका तक कृष्ण को भी।
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इसी को चरितार्थ करते हुए स्वतंत्रदेव सिंह ने ओड़ी से उरई तक की यात्रा की और बुंदेलखंड को ही कर्मभूमि बना लिया। मर्यादा पुरुषोत्तम राम 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या आए तो उनका अभूतपूर्व स्वागत हुआ था। यहां स्वतंत्रदेव सिंह ने तो 25 साल से ज्यादा समय जन्मभूमि से दूर बुंदेलखंड में दिया। इसी का ही परिणाम रहा कि सोमवार को उनकी मां की तेरहवीं में श्रद्धांजलि देने ओड़ी गांव में जनसैलाब उमड़ पड़ा था। वाहनों का रेला लगा हुआ था।
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दरअसल स्वतंत्रदेव सिंह जिस पारिवारिक पृष्ठभूमि से आते हैं, उसमें राजनीति तो कोई सोच ही नहीं सकता। जहां पेट भर खाने को लाले पड़े हों, वहां राजनीति के लिए कहां से समय मिलेगा। लेकिन कहते हैं न कि हिम्मते मर्दा, मददे खुदा। हिम्मत वाले की ही मदद ईश्वर भी करता है। स्वतंत्रदेव सिंह इंटर तक की शिक्षा के बाद उरई जो गए, सो गए। फिर लौटकर घर की ओर नहीं देखा। मां से मिलने आते भी थे तो एकाध घंटे के लिए। वे 25 वर्ष के ऊपर के अपने गांव के युवकों को भी नहीं पहचानते थे। इन तेरह दिनों में कुछ-कुछ पहचानने लगे हैं।
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जिस तरह से प्रदेश के हर जिले से उनके शुभचिंतक आए, उससे उनकी सांगठनिक क्षमता उजागर हुई। अपनी इसी सांगठनिक क्षमता के ही बूते वे राजनीति में बुलंदियों की ओर लगातार बढ़ते जा रहे हैं। मां के निधन के बाद दुख की घड़ी में भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह से उनके साथ खड़ी रही। संगठन का हर जिम्मेदार व्यक्ति आया।
तेरहवीं में जमीनी जलवा देखकर लोग दंग रह गए। बोलने लगे कि स्वतंत्रदेव को मुख्यमंत्री बनने से कोई रोक नहीं सकता। समीकरण भी उनके पक्ष में है। भारतीय जनता पार्टी में इस समय कोई कद्दावर कुर्मी नेता नहीं है, जिसके चेहरे को आगे करके प्रदेश की इस प्रमुख पिछड़ी जाति का वोट भाजपा हासिल कर सके। इस लिहाज से भी स्वतंत्रदेव सिंह को पार्टी में ज्यादा तवज्जो दी जा रही है। अभी तक कुर्मी मतों के लिए सहयोगी अपना दल एस पर भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह से आश्रित है।
अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी की कसरत जारी है। वह ओबीसी को लुभाने में लगी है। उसे पता है कि जब तक ओबीसी उसके साथ नहीं होगा, उसकी जीत आसान नहीं है। ओबीसी में कुर्मी जाति और महत्वपूर्ण है। लेकिन उसके पास कोई कुर्मी नेता ही नहीं है, जिसे सामने कर सके। इसीलिए स्वतंत्रदेव सिंह का कद पार्टी में बढ़ाया जा रहा है।
एक कारण और भी है। चर्चाओं के अनुसार गृह विधानसभा चुनार से आने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी उनको भी आजमा सकती है। अभी तक तो उन्होंने एक तरह से वनवास काल जो मेहनत की है, उसकी झलक मां की तेरहवीं पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में दिखी। इसमें यह भी दिखा कि स्वतंत्रदेव सिंह की राजनैतिक मंजिल क्या है। सीएम का पद उनकी राजनैतिक यात्रा का एक पड़ाव होगा, मंजिल को तो कोई नहीं जानता। श्रम, समर्पण, समीकरण, अपनों का साथ। सब तो है। इन तेरह दिनों में सब दिखा।
-सच्ची बातें www.sachchibaten.com
भाई साहब आप का विश्लेषण बिल्कुल सही है, भाजपा ने इसी बहाने दो संदेश देने में कामयाब रही एक कुर्मी समुदाय के जो थोड़े बहुत मतों में बिखराव था उसे अपने पाले में रखना व करना तथा दूसरा अपना दल के कुर्मियों के एक क्षत्र नेतृत्व को आईना दिखाना ताकि वह दबाव की राजनीति ना कर सके।
धन्यवाद वकील साहब।