स्क्रब टाइफस scrub typhus : यदि आपके घर का कोई सदस्य है बुखार से पीड़ित तो इसे आपको पूरा पढ़ना चाहिए…
देश के अन्य हिस्सों के बाद यूपी के रायबरेली में भी स्क्रब टाइफस ने दी दस्तक
-इसके लक्षण डेंगू व चिकनगुनिया जैसे ही, पर है जानलेवा, इसमें 104 से 105 डिग्री तक आता है बुखार
-उत्तर प्रदेश में अघोषित पेंडेमिक की स्थिति, व्यक्ति बचा हो सकता है, घर नहीं
राजेश पटेल, मिर्जापुर (सच्ची बातें)। यदि आपके घर में किसी सदस्य को बुखार आ रहा है तो यह खबर आपके काम की है। इसे पूरा पढ़ें। क्योंकि डेंगू व चिकनगुनिया जैसे लक्षणों वाला बुखार स्क्रब टाइफस scrub typhus भी हो सकता है। समय पर उचित इलाज न मिलने पर यह जानलेवा बन जाता है।
इस बुखार का रहस्य ये है कि सारे लक्षण डेंगू, चिकनगुनिया व मलेरिया से मिलते जुलते हैं पर जब टेस्ट कराइये तो सब निगेटिव आता है। क्योंकि बीमारी के लक्षण भले ही मिलते हों, पर बीमारी अलग है।
इसी कीट के काटने से होता स्क्रब टाइफस
उत्तर प्रदेश में डेंगू व चिकनगुनिया के बाद अब स्क्रब टाइफस ने भी पांव पसार दिए हैं। रायबरेली जिला में लैब की जांच में चार बच्चियों समेत पांच मरीज स्क्रब टाइफस के मिले हैं। सभी का इलाज चल रहा है। प्रतापगढ़ में भी तीन मरीज मिले थे, जो उपचार के बाद ठीक होो चुके हैं। विगत एक माह से उत्तर प्रदेश एक रहस्यमयी बुखार के संकट से जूझ रहा है। ये बुखार इतना वायरल है कि शायद ही उत्तरप्रदेश का कोई ऐसा घर हो, जिसमें एक रोगी पीड़ित न निकले। लोग ठीक भी हो रहे हैं। एक तरह से प्रदेश अघोषित रूप से पेंडेमिक से जूझ रहा है।
क्या हैं स्क्रब टाइफस के लक्षण
(इसके लक्षण डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया सभी के मिले जुले लक्षण हैं)
-ठण्ड दे कर तेज़ बुखार आना
-बुखार का फिक्स हो जाना, सामान्य पैरासिटामोल से भी उसका न उतरना
-शरीर के सभी जोड़ों में असहनीय दर्द व अकड़न होना
-मांसपेशियों में असहनीय पीड़ा व अकड़न
– सिर में तेज दर्द होना
-शरीर पर लाल रैशेज़ होना
-रक्त में प्लेटलेट्स का तेज़ी से गिरना
-मनोदशा में बदलाव, भ्रम की स्थिति (कई बार कोमा भी)
खतरा:
समय पर पहचान व उपचार न मिलने पर
-मल्टी ऑर्गन फेलियर
-कंजेस्टिव हार्ट फेलियर
-सरकुलेटरी कोलैप्स
मृत्युदर:
सही इलाज न मिलने पर 30 से 35% की मृत्यु दर तथा 53% केस में मल्टी ऑर्गन डिसफंक्शनल सिंड्रोम की पूरी सम्भावना।
बचाव के उपाय
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सीखड़ के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. राजन सिंह ने बताया कि टाइफस से बचने के लिए घर के आसपास घास या झाड़ियां न उगने दें। समय-समय पर सफाई करते रहें। शरीर को स्वच्छ रखें और हमेशा साफ कपड़े पहने। आसपास पानी का जमाव न होने दें। घर के अंदर और आसपास कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करते रहें। खेत में काम करते समय अपने हाथ पैरों को अच्छे से ढंंक कर रखें। समय पर चिकित्सक को दिखाने पर इसका आसानी से इलाज संभव है।
कब और कैसे होता है स्क्रब टाइफस
स्क्रब टायफस का अधिक प्रकोप जुलाई से अक्टूबर तक रहता है। इस मौसम में अधिकतर लोग खेतों और बगीचों में घास काटते हैं। पिस्सू उन्हें काट लेता है। इसे लोग गंभीरता से नहीं लेते हैं। खेत में काम करने के बाद हमेशा कपड़े बदलें। स्क्रब टाइफस वाले मरीज को 104 से 105 डिग्री तक बुखार होता है। जोड़ों में दर्द, गर्दन, बाजुओं के निचले भाग और कुल्हों में गिल्टियां होना इसके लक्षण होते हैं। यदि कोई भी लक्षण दिखाई दे तो शीघ्र नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में जाकर चिकित्सक को दिखाएं अपनी मर्जी से दवा न खाएं।
कैसे होती है जांच
स्क्रब टाइफस की जांच के लिए एंजाइम लिंक्ड इम्यूनोसोरबेंट (एलीजा) टेस्ट किया जाता है, जो आईजीजी व आईजीएम की जानकारी अलग से देता है। इसमें मरीज का ब्लड सैंपल लेकर एंटीबॉडीज का मालूम किया जाता है। हालांकि यह जांच मंहगी है।
स्क्रब टायफ़स के संक्रमण का कारण:
थ्रोम्बोसाइटोपेनिक माइट्स या chigger नामक कीड़े की लार में orientia tsutsugamushi नामक बैक्टीरिया होता है, जो स्क्रब टायफ़स का कारण है। इसी के काटने से ये फैलता है। इन कीड़ों को सामान्य भाषा में कुटकी या पिस्सू कहते हैं। इनकी साइज़ 0.2 mm होती है। संक्रमण का incubation period 6 से 20 दिन का होता है। अर्थात कीड़े के काटने के 6 से 20 दिन के अंदर लक्षण दिखने शुरू होते हैं।