अधिकारियों की अदूरदर्शिता के कारण चुनार क्षेत्र में धान की रोपाई का संकट
नल-जल योजना की कार्यदाई संस्था मेधा इंजीनियिरंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी के अधिकारियों के आगे पूरा जिला प्रशासन नतमस्तक
जरगो बांध में किसानों द्वारा संचित पानी को बेकार में बहाने का क्रम जारी
जरगो कमांड के मुख्य कैनाल हेड पर ही मनमाने ढंग से बनाई दीवार, आगे पशुओं के लिए भी पानी का संकट
अहरौरा बांध में अभी तक मात्र 12 फीट पानी, कैसे होगी धान के कटोरे में रोपाई
राजेश पटेल, चुनार (सच्ची बातें)। लगातार दूसरे साल सूखे के आसार दिखाई दे रहे हैं। अभी तक की बारिश से मिर्जापुर जनपद के जरगो बांध में पांच फीट तथा अहरौरा में मात्र 12 फीट पानी हो सका है। धान की नर्सरी तो किसी तरह से डाल दी गई है। कभी-कभार हो रही बारिश से नर्सरी जिंदा भी है, लेकिन रोपाई कैसे होगी। बड़ा सवाल यही है। उधर हर घर नल-जल योजना की कार्यदाई संस्था मेधा इंजीनियिरंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी के अधिकारी हैं कि उनको बेकार में पानी बहाने में जरा भी शर्म नहीं आ रही है।
बता दें कि जरगो कमांड के किसानों ने गेंहू की अंतिम सिंचाई इसलिए नहीं की कि पानी धान की नर्सरी डालने के काम आएगा। करीब चार फीट पानी बचाकर रखा गया था। लेकिन हर घर नल-जल योजना की टेस्टिंग के नाम पर इस पानी को बहा दिया। जबकि किसान ऐसा करने से मना करते रह गए। किसान कल्याण समिति जरगो कमांड के कार्यवाहक अध्यक्ष बजरंगी सिंह कुशवाहा का कहना है कि मेधा इंजीनियिरंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर के अधिकारी मानो गुंडई पर उतर आए हैं। और, उनके सामने लगता है कि जिला प्रशाासन के अधिकारी नत मस्तक हैं। ऐसा नहीं होता तो जरगो कमांड केे मुख्य कैनाल के हेड पर ही दीवार कैसे बना दी जाती। वह भी बिना किसी परमीशन और टेक्नीकल अप्रूवल के।
इसका साइड इफेक्ट यह है कि जरगो बांध से झिराव का जो पानी मुख्य कैनाल में आ रहा है, वह नदी में बह जा रहा है। दीवार के आगे एक बूंद भी पानी नहीं आ रहा है। इससे इस भयंकर सूखे में पशुओं के लिए पीने के पानी का संकट हो गया है।
जानकार बताते हैं कि जरगो कमांड में पानी की दिक्कत इस तरह इसके पहले कभी नहीं हुई। बांध में मात्र पांच फीट पानी है, उसे भी नदी में बहाने का क्रम जारी है।
रही बात अहरौरा बांध की तो यह गर्मी में बिल्कुल सूख गया था। मानसून के आने पर थोड़ी-बहुत बारिश हुई तो इसमें करीब 12 फीट पानी हो गया है, लेकिन यह नहरों के संचालन के लिए नाकाफी है। पानी तो बांध में और हो गया होता, लेकिन डोगिंया बांध से आने वाले पानी को अहरौरा बांध केे ऊपर एक चैनल बनाकर रोक दिया गया है। कुछ किसान नेताओं ने निजी फायदे के लिए ऐसा करवाया। अब वह दोनों तरफ से पानी लेते हैं। हुसैनपुर बीयर से और हाई चैनल से भी। जब जैसी जरूरत होती है।
किसान नेता हरिशंकर सिंह ने कहा कि अहरौरा व जरगो जलाशयों से वर्तमान सरकार की अति महत्वाकांक्षी परियोजना नल से जल में काफ़ी मात्रा में जनपद की पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में पेयजल हेतु पानी देना प्रस्तावित है। दुर्भाग्यवश विगत दशक से कम वर्षा होने के कारण इन दोनों जलाशयों में पानी की आवक कम होने से जलाभाव भी हो रहा है और बीते गर्मी में तो दोनों जलाशयों में जल शून्य हो गया था।
इस कारण से वर्तमान स्थिति अति भयावह हो गई है। बांध निर्माण के बाद पहली बार कमांड के किसान अपने भविष्य को लेकर अत्यंत चिंतित दिखाई दे रहे हैं। इससे जहां सरकार की नल-जल योजना के लिए जल की अनुपलब्धता के कारण प्रश्नचिन्ह खड़ा हो रहा है वही यह धान के कटोरे के रूप मे प्रसिद्ध सुनिश्चित सिंचाई वाला क्षेत्र आज आज़ादी के लगभग 75 वर्षों बाद पहली बार भयंकर सूखे की चपेट में आ गया है।
उन्होंने कहा कि अवर्षण की स्थिति के मद्देनज़र अहरौरा और जरगो बांध के जल को सरकार की अति महत्वाकांक्षी नल से जल में पेयजल योजना हेतु सर्वप्रथम आरक्षित किया जाए।
इन दोनों कमांड की सुनिश्चित सिंचाई पूर्व की भांति निर्वाध बनी रहे, इस हेतु नरायनपुर पम्प कैनाल के पानी को गंगा गरई बेसिन बनाकर गंगा का पानी गरई मे लाया जाय और गरई से आवश्यक क्षमता के पम्प लगाकर हुसेनपुर बीयर मे गंगा का पानी पहुँचाया जाए और हुसैनपुर वियर से अहरौरा कमांड को पानी दिया जाए तथा हुसेनपुर बीयर के भागवत राजवाहा से जरगो फीडर के पौनी रेग्यूलेटर तक पानी लाकर जरगो कमाण्ड को भी सुनिश्चित सिंचाई की सुविधा दी जाए।
बाण सागर परियोजना की हेड टू टोल समिति ने कई बार दौरा किया, जिसमें पाया है कि रीवां व सीधी जनपद कमांडो में मध्य प्रदेश बाण सागर बांध जल विभाजन समझौते के विरुद्ध मनमाने ढंग से अपने कमांड में विस्तार कर लिया गया है और अभी भी कर रहा है। इससे समझौते के अनुसार न वर्तमान में आवश्यक जल मिल पा रहा है, न भविष्य में मिलने की संभावना है। लिहाजा परिस्थितियों के कारण उपलब्ध हो रहे जल का उपयोग जनपद के अति क्रिटिकल व डार्क ज़ोन के रूप मे चिन्हित विकल्प विहीन मीरजापुर जनपद के लालगंज व मड़िहान पहाड़ी तहसील के पहाड़ी इलाकों के लिए आरक्षित किया जाय।
पहाड़ी तहसीलों की ज़रूरत के मद्देनज़र चार दशक से इंतज़ार कर रहे जरगो और अहरौरा कमाण्ड को बाण सागर परियोजना पर निर्भरता के परिक्षेत्र से बाहर किया जाए और इसके विकल्प मे गंगा नदी पर स्थित नरायनपुर पम्प कैनाल के कार्यशील 12 पम्पों की क्षमता वृद्धि कर पुराने 120 क्यूसेक की जगह 150 क्यूसेक क्षमता का हो जाने से बचे 360 क्यूसेक पानी और नरायनपुर पम्प कैनाल कमांड अंतर्गत हज़ारों क्यूसेक क्षमता की नई भोपैली पम्प कैनाल को प्रारंभ हो जाने से नरायनपुर पम्प कैनाल पर पर्याप्त बचें पानी को अहरौरा व जरगो कमाण्ड में पहुँचाने का प्राविधान किया जाए।
इसके अलावा दशकों के पाइप लाइन में पड़ी समदपुर लिफ्ट सिंचाई योजना को भी धरातल पर लाने की जरूरत है।
रही बात अहरौरा बांध के कमांड एरिया की तो इसकी सारी नहरें ध्वस्त हो चुकी हैं। बांध भर जाने की स्थिति में यदि पानी छोड़ा भी जाता है तो वह टेल तक नहीं पहुंच पाएगा। जरूरत है इस कमांड एरिया की सभी नहरों के पक्कीकरण की। सिंचाई मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह जमालपुर ब्लॉक के ही ओड़ी गांव के निवासी हैं। उनको इस पर ध्यान देेना चाहिए। जिले के विकास के लिए सतत प्रयत्नशील मिर्जापुर की सांसद अनुप्रिया पटेल का भी ध्यान अपेक्षित है। क्योंकि सिंचाई सुविधा पुख्ता जब तक नहीं होगी, सारे विकास बेमानी साबित होंगे। ऐसा होगा, तभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों की आय दोगुनी करने की मंशा सफल होगी।
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