अनुभव की खदान सोशल मीडिया पर…
फेसबुक पर वरिष्ठ नागरिक मंच के माध्यम से साझा कर रहे हैं अपने अनुभव
इस उम्र में कोई खुश रहने के कारण की तलाश में है तो कोई इसे बता रहा है
राजेश पटेल, मिर्जापुर (सच्ची बातें)। आपकी उम्र 60 पार हो गई है। वरिष्ठ नागरिक senior citizens की श्रेणी में आ चुके हैं। इस दौरान तरह-तरह की बीमारियों के साथ ही कुछ चिंताएं भी घेर लेती हैं। इन सबके बीच भी आप खुश रहना चाहते हैं तो वरिष्ठ नागरिक मंच senior citizens forum नामक फेसबुक पेज सहायक हो सकता है। इस समय इसके सदस्यों की संख्या एक लाख पहुंचने वाली है। यह संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसके क्रिएटर अशोक कुमार पांडेय हैं।
फोरम ने इसका उद्देश्य कुछ इस तरह से साझा किया है- वृद्धावस्था में ज़िंदगी एक नए मोड़ पर आ पहुँचती है। तनख़्वाह आनी बंद हो जाती है। दवाई दारू के खर्चे बढ़ जाते हैं । शरीर के अंग धीरे धीरे शिथिल होने लगते हैं। ख़र्चों के लिए, या तो पेंशन या आपकी जमा पूँजी काम आती है। बच्चे दूर जा कर अपना अलग आशियाना बना लेते हैं। अकेलापन घर कर लेता है। इस बदली हुई ज़िंदगी के कई आयाम हैं, जिन्हें हमें समझना ज़रूरी है । आइए हम एक दूसरे से जानकरियाँ साझा करें। हमारी परेशनियाँ भी साझा कर सकते हैं और मिल कर एक दूसरे के अनुभव से उन का हल ज़रूर मिलेगा।
इस ग्रुप के सदस्य देश के अलग-अलग प्रदेशों के हैं। लगता है कि पूरा भारत ही एक मंच पर आ गया है। इस मंच को अनुभवों की खदान कहा जाए तो कोई गलत नहीं होगा। हंसी-मजाक, देश के अलग-अलग स्थानों की फोटो सहित जानकारी, स्वास्थ्य सलाह सहित तमाम जानकारियां साझा की जा रही हैं, जिनकी इस उम्र में बेहद आवश्यकता है। स्वस्थ रहने के लिए दिनचर्या भी साझा की जा रही है। ग्रुप में महिलाओं की संख्या भी कम नहीं है।
हर क्षेत्र के लोग हैं। किसान से लेकर आईएएस, चौथा खंभा यानि पत्रकार, साहित्यकार, कवि, घरेलू महिलाएं, वकील आदि-आदि। यह फेसबुक पेज लोगों को इतना भा रहा है कि 60 वर्ष के एक-दो साल कम रहने पर ही कुछ लोग ज्वाइन कर ले रहे हैं।
इस ग्रुप में मजाक का एक उदाहरण- वरिष्ठ सदस्यों से एक सलाह चाहता हूं। आप सब को काफी काफी तजूर्बा होगा। विषय यह है। की सीनियर सिटीजन बनने के बाद भी पति-पत्नी दोनों में नोंक झोंक होती है। कृपया मार्गदर्शन करें।
जवाब भी एक से बढ़कर एक हैं-बहुत खुश नसीब हो। वरना कुछ को तो यह भी नसीब नहीं है। एक अन्य सज्जन लिकते हैं-वो तो जीवन का एक बहुत ही जरूरी हिस्सा है जी। हंसी तो तब आ गई, जब एक सदस्य ने जवाब दिया-सावधानी में बचाव है, कृपा सतर्क रहें और चुपचाप सुनते रहें।
जानकारी के लिहाज से एक सदस्य ने पोस्ट किया है कि बिना अपने शहर का नाम बताए कोई खासियत बताएं, जिससे उसे जाना जा सके।
जवाब आए हैं- देश का सबसे स्वच्छ शहर। गुलाबी नगरी। इत्र की खुशबू। गीता प्रेस। संगम। जय श्री महाकालेश्वर। पहले आप। बाबा भोलेनाथ की नगरी। गोलघर। कोचिंग सिटी। बुद्ध नगरी। बागेश्वर धाम। नजाकत। रसगुल्ला। ताजमहल। हवा महल। सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र। ताला नगरी। कोयला नगरी। महेंद्र सिंह धौनी। चाकू। गोल्डेन टेंपल। जलियांवाला बाग। अमरूद। झीलों की नगरी। देश का दिल। हर-हर महादेव। आदि-आदि। राजेश्वर कुमार शर्मा जी ने फोटो पोस्ट करते हुए लिखा है-हम दो भाई ,एक चौरासी का और एक पचहत्तर का कुल हुए १५९ का। ठीक है?
जवाब पढ़कर दिमाग की बत्ती जल जाएगी-उम्र की बात नहीं है दोनों भाई साथ बैठे हैं, यही बहुत है । अपनत्व का प्रतीक है सर। भाई जैसा मित्र नहीं होता। एक सदस्य ने तो तगड़ा वाला मजाक कर दिया- यदि आपके गिलास सामने होते तो बढ़िया होता। बधाई हो बधाई हो जोड़ी बनी रहे।
एक सदस्य ने लिखा– विगत ३५ वर्षों से वाराणसी मे निवास कर रहा हूं। आयु ६२ वर्ष है। दो वर्ष पूर्व प्रशासनिक अधिकारी पद से सेवानिवृत्त हुआ हूं।दो पुत्र एवं एक पुत्री है,सभी का विवाह हो चुका है। सभी बच्चे अपने परिवार के साथ सुखमय जीवन व्यतीत कर रहे हैं। चार वर्ष पूर्व पत्नी का निधन हो गया। समय बिताने के लिए प्राइवेट जॉब करता हूं। अच्छे दोस्तो की तलाश है, जिनके साथ अपनी बाते साझा की जा सकें। जवाब में अन्य के साथ यह भी कमेंट आया-मनुष्य का सबसे अच्छा मित्र वह स्वयं है, अर्थात् आत्म चिंतन।
एक अन्य सदस्य ने-
Very nice article. I am joining the group