November 14, 2024 |

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शिक्षकों के अधिकारों के साथ गुणवत्तायुक्त शिक्षा के हिमायती थे रामपाल सिंह

Sachchi Baten

अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष के निधन से शिक्षा जगत में शोक

1997 से अंतिम सांस तक उन्होंने इस दायित्व को निभाया

 

राजेश पटेल, मिर्जापुर (सच्ची बातें)। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष रामपाल सिंह का 22 सितम्बर 2023 को नई दिल्ली के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। उनके निधन से देश भर के शिक्षकों में शोक है। वह शिक्षकों के अधिकारों व गुणवत्तायुक्त शिक्षा के अजेय योद्धा रहे हैं।

मूल रूप से उत्तर प्रदेश बांदा जिले जसईपुर गांव के के रहने वाले राम पाल सिंह जी ने 21 साल की उम्र में अपने शिक्षण करियर की शुरुआत की थी। वह शिक्षकों की कामकाजी परिस्थितियों, वेतन और अधिकारों में सुधार के लिए दृढ़ संकल्पित होकर इस संघ में शामिल हुए।

1985 में संघ की उत्तर प्रदेश राज्य शाखा के महासचिव बने, इस पद पर वे अगले 15 वर्षों तक बने रहे। उन्होंने कई विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया और शिक्षकों के लिए खड़े होने के कारण उन्हें 10 बार जेल जाना पड़ा। 1993 में वे अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के भी महासचिव बने और 1997 में वे संघ के अध्यक्ष बने, इस पद पर वे अंत तक बने रहे।

अपने पूरे करियर के दौरान, वह शिक्षकों के अधिकारों को बनाए रखने, सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए संघर्ष करने और अपने संघ को मजबूत करने के लिए संघर्ष करते रहे। उनकी प्रतिबद्धता और विशेषज्ञता को पहचानते हुए, भारत सरकार ने उन्हें शिक्षा नीति और कार्यान्वयन के साथ काम करने वाले विभिन्न सरकारी निकायों और संस्थानों में नियुक्त किया, जैसे कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद, राष्ट्रीय शिक्षा योजना विश्वविद्यालय और प्रशासन, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, और सर्व शिक्षा अभियान के राष्ट्रीय मिशन की गवर्निंग काउंसिल और कार्यकारी समिति।

राम पाल सिंह के ही प्रयास से 2009 में बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम का अधिनियमन, जिसने प्रारंभिक शिक्षा को भारत में सभी बच्चों का मौलिक अधिकार बना दिया। उनके नेतृत्व में संघ ने देश भर में शिक्षकों के लिए बेहतर वेतन और कामकाजी परिस्थितियां भी हासिल कीं। 2014 में राम पाल ने एजुकेशन इंटरनेशनल के यूनाइट फॉर क्वॉलिटी एजुकेशन अभियान के हिस्से के रूप में एक राष्ट्रव्यापी मार्च “शिक्षा यात्रा” का नेतृत्व किया। यह मार्च भारत के सभी राज्यों से होकर गुजरा और 1 मार्च 2014 को नई दिल्ली में समाप्त हुआ।

वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षकों, छात्रों और शिक्षा के चैंपियन भी थे। उन्होंने सभी देशों के शिक्षकों को एकजुटता के लिए अथक प्रयास किया। अपनी मृत्यु के समय, वह एजुकेशन इंटरनेशनल एशिया पैसिफिक क्षेत्रीय समिति के उपाध्यक्ष और एजुकेशन इंटरनेशनल कार्यकारी बोर्ड के सदस्य थे।

वह ट्रेड यूनियन और मानवाधिकारों के लिए एक कट्टर योद्धा थे और गरीबों और कमजोरों पर किसी भी नीति के प्रभाव को लेकर हमेशा चिंतित रहते थे। इस उद्देश्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और समर्पण ऐसा था कि जिस दिन वह घातक रोग पीड़ित हुए, वह शिक्षकों के मार्च का आयोजन करने के लिए संघ कार्यालय में काम कर रहे थे।

उनके निधन पर एजुकेशन इंटरनेशनल के क्षेत्रीय निदेशक आनंद सिंह ने कहा “जैसा कि हम नुकसान पर शोक मनाते हैं, आइए हम शिक्षा और शिक्षकों के अधिकारों के लिए उनके अथक समर्पण, अटूट भावना और निस्वार्थ सेवा को याद करें और उनका सम्मान करें। उनकी विरासत शिक्षकों और संघवादियों की पीढ़ियों को सही और न्यायसंगत चीज़ों के लिए खड़े होने के लिए प्रेरित करती रहेगी।”

एजुकेशन इंटरनेशनल के महासचिव डेविड एडवर्ड्स ने कहा: “बड़े दुख के साथ मैं एजुकेशन इंटरनेशनल की ओर से उनके परिवार, दोस्तों और शिक्षकों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। वह हमारे पेशे, संघवाद और हमारे छात्रों के प्रति साहस और प्रतिबद्धता की विरासत हैं। उन्हें याद किया जाएगा लेकिन भुलाया नहीं जाएगा।”

बिहार के सिवान ज़िला प्राथमिक शिक्षक संघ ने सिंह के निधन पर गहरी शोक व्यक्त करते हुए उनकी आत्मा के शान्ति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। शोक व्यक्त करते हुए कार्यकारी अध्यक्ष पंचानंद मिश्र, अध्यक्ष रामेश्वर पाठक, प्रधान सचिव रामप्रवेश सिंह, कार्यकारी प्रधान सचिव विश्वमोहन कुमार सिंह, ने कहा कि अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने आज अपना एक मजबूत स्तम्भ खो दिया, जिन्होंने वर्षों तक हम शिक्षकों की आवाज़ बनकर हमारी प्रतिष्ठा को आगे बढ़ाया।

जिला प्रवक्ता कुमार राजकपूर ने कहा कि उनके संघर्षों का शिक्षक समुदाय हमेशा ऋणी रहेगा। शोकसभा में मुख्य रूप से शिव सागर सिंह, गांधी यादव, अजय कुमार सिंह, अवधेश यादव, मनोज शुक्ला, शंभूनाथ सिंह, विनय कुमार सिंह, बीरेंद्र सिंह, विक्रमा पण्डित, अशोक कुमार सिंह, ध्रुप नाथ सिंह, नरेन्द्र शुक्ल, जितेन्द्र सिंह, अभय कुमार, शमसाद अली, असगर अली, कृष्णा प्रसाद, उमेश चंद्र श्रीवास्तव, जयचंद प्रसाद, लालबाबू सिंह, सुमन कुमार सिंह, शक्तिनाथ पाण्डेय, विश्वनाथ प्रसाद, जिउत हरिजन, रामाकांत चौधरी, अशोक कुमार कुंवर, सुधींद्र कुमार सिंह, मनिंद्र पाण्डेय आदि उपस्थित थे।

 

 


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