राजेश पटेल की कविता – दो शब्द
अच्छे दिन। आने वाले। सुना नारा। चुनाव बाद। मिला संकेत। बहुत बुरा।....पढ़िए पूरी कविता।

अच्छे दिन।
आने वाले। सुना नारा।
चुनाव बाद। मिला संकेत। बहुत बुरा।
उम्मीदें टूटीं। सपने ध्वस्त। आ गया। 15 अगस्त।
जैसा था। वैसा ही। सब कुछ। अस्त-व्यस्त। सरकार मस्त।
जनता पस्त। गैस कम। डीजल महंगा। बिजली बिदकी। टमाटर लाल।
गोभी गरमाई। आलू गायब। प्याज फरार। भिंडी भरमाती। नेनुआ निहारिए।
कद्दू काटता। धनिया धृष्ट। मौसम मनमाना। बादल बेईमान। जिंदगी बेहाल। बिचौलिए मालामाल।
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किसान कराहते। धान मुरझाते। आते-जाते। लोग बोलते। आ गए। अच्छे दिन। आतंकवाद-उग्रवाद। भय-भूख।
भ्रष्टाचार-दुराचार। महिला उत्पीड़न। असुरक्षित जीवन। पाकिस्तानी गोलीबारी। चीनी सीनाजोरी।
सब वैसे। थे जैसे। सत्ता परिवर्तन। नाम का। नहीं किसी। काम का। कैसे कहें आ गए।
अच्छे दिन। बढ़ती महंगाई। गरियाती लुगाई। उम्मीदें टूटतीं। खोजते ख्वाब।
भटकते नौजवान। कहां मिले। उनको रोजगार। सरकारें हैैं।
इनका क्या। आश्वासन हजार। सपना दिखाओ।
खूब भरमाओ। हिंदू-मुसलमान।
मंदिर-मस्जिद।
मत उलझाओ।
सबको रोटी। सबको सम्मान।
सबकी सुरक्षा। हर हाथ। हो रोजगार।
सच मानो। तभी कहेंंगे। आ गए। अच्छे दिन। अच्छे दिन।
–राजेश पटेल 9471500080