स्टेट हाइवे अहरौरा-सक्तेशगढ़ मार्ग के निर्माण में मची है खुली लूट
-लोकल गिट्टी व भस्सी का प्रयोग कर रहा ठीकेदार
-निर्माण खंड-2 लोनिवि मिर्जापुर करा रहा है इस नए स्टेट हाइवे का निर्माण
-ठोस कार्रवाई के बजाए कागजी घोड़ा दौड़ा रहा विभाग
राजेश पटेल, मिर्जापुर (सच्ची बातें)। लोक निर्माण विभाग मिर्जापुर क्षेत्र के मुख्य अभियंता की जांच टीम कहा है, पता नहीं चल पा रहा है। सांसद अनुप्रिया पटेल के काफी प्रयास के बाद स्वीकृत स्टेट हाइवे के निर्माण में मानक का खुला उल्लंघन हो रहा है। जिम्मेवार चुप हैं। बात हो रही है अहरौरा-लालगंज मार्ग वाया सक्तेशगढ़, राजगढ़ की।
करीब 109 करोड़ रुपये की इस परियोजना में सिविल वर्क 56 करोड़ रुपये का है। शेष मुआवजा आदि के लिए है। इसी 56 करोड़ में लूटने की होड़ मची है। अभी सक्तेशगढ़ से अहरौरा तक के मार्ग का निर्माण चल रहा है। बीच में जरगो नदी पर पुल राज्य सेतु निगम बनवा रहा है।
इसके निर्माण में स्टीमेट को दरकिनार करके स्थानीय गिट्टी व भस्सी का प्रयोग किया जा रहा है। कहीं लाल गिट्टी तो कहीं सफेद गिट्टी है। ठीकेदार के प्लांट में भी स्थानीय गिट्टी व भस्सी का भंडार है। इस रिपोर्टर ने गुरुवार को सक्तेशगढ़ से अहरौरा के लिए बन रहे इस स्टेट हाइवे पर सक्तेशगढ़ की ओर से जरगो नदी तक की यात्रा की।
कहीं-कहीं पेंटिंग का काम भी हुआ मिला। लेकिन बिजली के खंभे हटाए बिना। वे दुर्घटना का कारण बन सकते हैं। इसके निर्माण में जो गिट्टी प्रयोग की जा रही है, उसका रंग लाल व सफेद है। कुछ स्थानों पर तो पहाड़ी पपड़ी टाइप की ही गिट्टी दिखी। बाइक का चक्का चढ़ने मात्र से धूल बन जा रही है।
बता दें कि समाजसेवी राम सिंह वागीश ने मिर्जापुर जनपद में लोक निर्माण विभाग निर्माण खंड 2 के माध्यम से बनवाई जा रहीं कुछ सड़कों की जांच के लिए शासन को पत्र लिखा था। यह मार्ग उनके शिकायती पत्र में चौथे बिंदु पर है।
शासन के निर्देश के क्रम में लोनिवि मिर्जापुर क्षेत्र के मुख्य अभियंता अरविंद कुमार जैन ने मिर्जापुर वृत्त के अधीक्षण अभियंता को तीन फरवरी को सभी सातों बिंदुओं की जांच कर संस्तुति सहित जांच आख्या सात दिन के अंदर मांगी थी। जांच हुई या नहीं, आख्या भेजी गई या नहीं, यह तो नहीं पता। लेकिन मौके पर अनियमितता जारी है। मानक के उल्लंघन पर रोक नहीं लगी।
बता दें कि निर्माण खंड-दो के अधिशासी अभियंता का नाम देवपाल है। यह वहीं देवपाल हैं, जिनको सरकार ने करीब दो साल पहले अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी। विभाग में इनकी पहुंच ऊपर तक बतायी जाती है। शायद यही कारण है कि शिकायतों का इन पर कोई असर नहीं पड़ता। बनने के बाद नालियों में अभी पानी भी नहीं पहुंचा है, लेकिन उनका टूटना शुरू हो गया है। पुलों की जो दीवारें बनाई गई हैं, वह झुकी हुई हैं। साहुल लगाकर कोई भी चेक कर सकता है।
शिकायतकर्ता राम सिंह वागीश का कहना है कि सात दिन में चीफ इंजीनियर ने अधीक्षण अभियंता से जांच रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन सात दिन के बजाए 14 दिन बीत गए, जांच हुई या नहीं, उनको पता नहीं है। कायदे से जांच के समय शिकायतकर्ता को बुलाया जाना चाहिए। अभी तक उनको बुलाया नहीं गया। विभाग केवल कागजी घोड़ा दौड़ा रहा है।