चुनार के गौरवशाली लोग – जिनकी वजह से हम चुनारवासी हैं गौरवान्वित….
जानिए चुनार का गौरवशाली इतिहास गढ़ने वालों को, सबसे पहले बाबू हरिहर सिंह एडवोकेट के बारे में
किसान नेता चौधरी अजित सिंह के साथ मंचस्थ बाबू हरिहर सिंह एडवोकेट
चुनार के गौरवशाली लोग -1, जिनकी वजह से हम चुनारवासी गौरवान्वित हैं….
चुनार के गौरवशाली इतिहास को गढ़ने में यहां के लोगों का बहुत बड़ी योगदान रहा है। ऐसी-ऐसी विभूतियां इस मिट्टी में पैदा हुईं, जिनकी यशगाथा की गूंज सिर्फ चुनार नहीं, पूरे देश व विदेशों में भी सुनाई देती है। शिक्षा, ईमानदारी, राजनीति में मूल्यों का पालन, अन्याय के खिलाफ संघर्ष, आजादी की लड़ाई हर क्षेत्र में चुनार के लोग अग्रणी पंक्ति में रहे हैं। आज भी कुछ लोग अपने समृद्ध व गौरवशाली इतिहास में अपने योगदान का पन्ना जोड़ रहे हैं। पेश है चुनार की ऐसी ही विभूतियों के बारे में पूरा विवरण-
शुरुआत बाबू हरिहर सिंह एडवोकेट से…
राजनीति में शुचिता, ईमानदारी व स्पष्टवक्ता की बात चुनार तथा मिर्जापुर में हो और उसमें बाबू हरिहर सिंह एडवोकेट का नाम न आए, ऐसा हो नहीं सकता। वकालत करते हुए उन्होंने जीवनपर्यंत किसानों की राजनीति की। इसीलिए वे किसान नेता चौधरी चरण सिंह के प्रिय लोगों में से एक थे। उनकी मौजूदा पीढ़ी भी चौधरी परिवार की ही अनुयायी है।
जीवन परिचय
जन्मतिथि- 31 जुलाई 1932
निर्वाण तिथि- 9 मई 2021
पिता- स्व० श्री परगास सिंह माता- स्व० श्रीमती गांगी देवी
पत्नी- श्रीमती निहोरा देवी
भाई –स्व० श्री प्रभू सिंह
निवासी –ग्राम जमालपुर मिल्की उर्फ शिवपुर पोस्ट शिवपुर थाना व ब्लाक जमालपुर परगना भुईली तहसील चुनार जनपद मीरजापुर
(उ०प्र०)
शिक्षा- प्राथमिक शिक्षा ग्रामीण क्षेत्र, स्कूल शिक्षा- मेस्टर्न हाईस्कूल रामनगर, वाराणसी, स्नातक, परास्नातक व विधि स्नातक – काशी हिंदू विश्व विद्यालय वाराणसी (बीएचयू)
व्यवसाय – वकालत (सिविल कोर्ट मीरजापुर में सन् 1959 से सन् 2021) तक, पूर्व अध्यक्ष, डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन मीरजापुर (1992)
राजनैतिक व सामाजिक संगठन- स्वतंत्रता आन्दोलन के समय झंड़ा अभिवादन व अंग्रेजी सरकार के खिलाफ दीवारों पर नारा लिखना। महामंत्री, छात्र संघ डेलिगेसी बीएचयू ( 1952), अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग छात्र संघ बीएचयू (1955), मुदालियर कमीशन रिपोर्ट व तत्कालीन शिक्षा मंत्री कालूलाल श्रीमाली के कार्यों के विरोध में छात्र आन्दोलन का नेतृत्व किया।
फलस्वरूप 6 साथियों सहित गोदौलिया चौराहा पर गिरफ्तार हुए, 13 दिन तक सेन्ट्रल जेल वाराणसी में रहने के बाद मुक्त किए गए (1958)। आपात काल सन् 1975 में मीरजापुर स्थित निवास कमला माहेश्वरी आर्य कन्या डिग्री कालेज, पक्की सराय पर नजर बन्द रहे (तत्कालीन जिलाधिकारी मीरजापुर करनैल सिंह का शासन के रिपोर्ट के आधार पर)।
जन कांग्रेस व भारतीय क्रांति दल (बीकेडी) की स्थापना के समय से ही जनपद मीरजापुर के जिलाध्यक्ष रहे। भारतीय लोकदल (भालोद), जनता पार्टी (एस), लोकदल, लोकदल (अ), जनता दल, जनता दल (अ), किसान कामगार पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल जनपद मीरजापुर के जिलाध्यक्ष रहे।
राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे। 1980 में विधान सभा राजगढ़ से जनता पार्टी एस (लोकदल) के प्रत्याशी रहे। भारतीय खाद्य निगम भारत सरकार के निदेशक रहे। सिंचाईं बन्धु मीरजापुर के उपाध्यक्ष रहे। डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन मीरजापुर के अध्यक्ष रहे। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मीरजापुर के सदस्य रहे।
बाबू हरिहर सिंह एडवोकेट के सुपुत्र राजीव कृष्ण सिंह नन्हें एडवोकेट के अनुसार सन् 1980 में मेरे पिता जी जनता पार्टी एस जनपद मीरजापुर के जिलाध्यक्ष थे। पिताजी ने विधानसभा चुनाव 1980 में चुनार व राजगढ़ विधानसभा से प्रत्याशी घोषित करने के लिए राष्ट्रीय नेतृत्व के यहां आवेदन किया। चुनार से यदुनाथ सिंह व राजगढ़ से बड़हर रियासत के राजा ब्रह्म आभूषण शाह को टिकट मिल गया।
पिताजी ने चौधरी चरण सिंह साहब से दिल्ली जाकर अपनी बात रखी। चौधरी साहब ने तत्काल तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष राम बचन यादव को तलब किया और पिताजी से पूछा कहां से लड़ना चाहते हो। पिताजी ने कहा राजगढ़ से। चौधरी साहब ने मूल विधानसभा चुनार से लड़ने के लिए कहा। लेकिन पिताजी ने जमीनी नेता श्री यदुनाथ सिंह का सम्मान करते हुए राजगढ़ से लड़ने की बात की और तुरंत राजा का टिकट काटकर पिताजी को प्रत्याशी अधिकृत किया गया।
चौधरी चरण सिंह ने घर पर सादा खाना खाने की जताई थी इच्छा
चौधरी साहब एक बार उत्तर प्रदेश में चुनाव दौरे पर आये हुए थे और अपनी इच्छा से हमारे घर पर सादा भोजन करने की मंशा प्रकट की थी। बात 1984 की है। चुनार में लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव जी की सभा हो रही थी। सभा चुनार विधायक यदुनाथ सिंह की अनदेखी के कारण डिस्टर्ब हो गई। इस प्रकरण से खिन्न होकर मुलायम सिंह ने पॉंच लोगों को पार्टी से 6 साल के लिए निष्काषित कर दिया। हरिहर सिंह एडवोकेट, यदुनाथ सिंह विधायक चुनार, रामप्यारे सिंह एडवोकेट, संगीतदेव यादव और रवींद्र बहादुर सिंह पटेल को।
पिता जी के अनुरोध पर बड़े चौधरी साहब ने सबका निष्कासन वापस ले लिया। छोटे चौधरी साहब का एक बार जौनपुर में कार्यक्रम लगा हुआ था। लोकदल (अ) के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष यदुनाथ सिंह ने कहा कि हरिहर सिंह को अध्यक्ष पद से हटा दीजिए। चौधरी साहब ने जवाब दिया कि हरिहर सिंह हमको हटा सकते हैं, हमें उनको हटाने का अधिकार नहीं है। वह बीकेडी के समय से अध्यक्ष हैं।
निर्भीक व स्पष्ट वक्ता थे बाबू हरिहर सिंह
मिर्जापुर की राजनीति उस दौर में ओबीसी वर्ग के लिए ठीक नहीं थी। वैसे समय में उन्होंने वहां जाकर वकालत का पेशा शुरू किया तथा शहर के हृदयस्थल गिरधर का चौराहा के पास कमला माहेश्वरी आर्य कन्या महाविद्यालय के ठीक सामने किराए के मकान में परिवार के साथ रहना शुरू किया। जीवन के आखिरी क्षणों तक वे उसी किराए के मकान में रहे।
प्रस्तुति- राजेश पटेल (सच्ची बातें)
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भाई साहब आप ग्रामीण परिवेश से आते हैं और किसानों के दर्द को बखूबी जानते हैं साथ ही आप लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पत्रकारिता से भी लम्बी अवधि तक जुड़े रहे हैं और वर्तमान समय जब खेती बाड़ी से लोग दूर हो रहे हैं आप एक सफल किसान की भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं आप चुनार के ऐतिहासिक लोकदल विधायक परम आदरणीय श्रद्धेय श्री यदुनाथ सिंह जी के व मेरे पूज्य पिताजी बाबू हरिहर सिंह एडवोकेट जी के बहुत ही निकट रहे हैं , आप से बेहतर कोई और ऐसे शख्सियतों को सम्मान नहीं दे सकता।
आप का हृदय की गहराई से धन्यवाद व साधुवाद 🙏🙏🙏
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