पटेल बौद्धिक मंच का बुद्धिजीवी सम्मेलन दे गया सामाजिक समरसता का संंदेश
-वर्ण-भेद एवं वर्ग-भेद के कट्टरविरोधी थे सरदार पटेल: रमेश बैस
-पूर्व की सरकारों ने नही दिया सरदार पटेल को सम्मान-पंकज चौधरी
-उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल किए गए सम्मानित
-वक्ताओं ने कहा कि यूपी में कुर्मी समाज की संख्या 12 फीसद से ज्यादा, इसी हिसाब से सरकारी संस्थाओं में मिले पटेल समाज को प्रतिनिधित्व
लखनऊ (सच्ची बातें)। इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में सरदार पटेल बौद्धिक विचार मंच द्वारा रविवार को राष्ट्रीय बुद्धिजीवी सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन के माध्यम से मांग की गई कि उत्तर प्रदेश में कुर्मी जाति का राज्यपाल बनाया जाना चाहिए। प्रदेश में कुर्मी की आबादी 12 फीसद से ज्यादा है, लेकिन अभी तक उत्तर प्रदेश से इस समाज का कोई राज्यपाल नहीं बनाया गया है। आबादी के हिसाब से सरकारी संस्थाओं एवं विधायिका में भी स्थान देने की मांग की गई। यह भी कहा गया कि उत्तर प्रदेश के कम से कम किसी एक सांसद को केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया जाए।
सम्मेलन का उद्घाटन महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस ने किया। उन्होंने कहा कि यह मंच सन् 2018 से सामाजिक समरसता बनाने में सतत प्रत्यनशील है एवं सरदार पटेल की विचारधारा को आधार बनाकर कार्य कर रहा है।
यह मंच विभिन्न माध्यमों एवं कार्यक्रमों के माध्यम से समाज की समस्याओं को सरकार तक पहुंचाने का प्रयास निरंतर कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे अखण्ड भारत के निर्माता लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का मत था कि एकता के बिना जनशक्ति एक ताकत नहीं है। वे वर्ण-भेद एवम वर्ग-भेद के कट्टरविरोधी थे तथा अन्याय नहीं सहन कर पाते थे। आज भी उनके आदर्शों पर चलते हुए एकजुट होकर प्रयास करें तो सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास शीघ्र संभव है।
भारत सरकार के राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि सरदार पटेल किसी एक समाज के नहीं, बल्कि सर्व समाज के नेता थे, किन्तु उनको पहले वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वह हकदार थे। वह सम्मान वर्तमान सरकार ने उन्हें दिलाया।
उत्तर प्रदेश के प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल ने कहा कि देश को सुदृढ़ एवं विकसित बनाने में सामाजिक समरसता आवश्यक है और पटेल समाज को दिशा देने के लिए मंच की सराहना की। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अरुण कुमार सिन्हा, पूर्व आईएएस सेवानिवृत्त एवं संस्थापक संरक्षक बौद्धिक विचार मंच ने मुख्य अतिथि एवं कार्यकम में आये अतिर्थियों का स्वागत किया।
उन्होंने कहा कि अगले चरण में मंच बौद्धिक एप लांच कर रहा है। साथ ही गांव-गांव चेतना रैली आयोजित कर सामाजिक समरसता का संदेश हर गांव में पहुँचाया जायेगा। महामंत्री जगदीश शरण गंगवार ने मंच के मुख्य उद्देश्यों के बारे में बताया और कहा कि उत्तर प्रदेश में पटेल समाज की जनसंख्या 12 प्रतिशत से अधिक है, अतः संख्या बल के आधार पर विभिन्न संस्थाओं एवं आयोगों में प्रतिनिधित्व हेतु ध्यान दिया जाए।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश से समाज का आज तक कोई राज्यपाल नहीं बनाया गया, अतः बनाया जाये। केन्द्र में उत्तर प्रदेश से कैबिनेट मंत्री बनाया जाये एवं विधायकों की संख्या के आधार पर मंत्री, सदस्य राज्यसभा, सदस्य विधान परिषद बनें। विभिन्न चयन आयोगों, भर्ती संस्थाओं एवं वैधानिक संस्थाओं में भी समाज को प्रतिनिधित्व मिले। डॉ. क्षेत्रपाल गंगवार ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में राज्यपाल का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मंच समाज में जागरूकता फैलाने एवं उसके उत्थान के लिए तत्पर है एवं निरंतर कार्य करता रहेगा।
कार्यक्रम में सांसद, विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, महापौर, ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य, सभासद एवं अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ पूर्व आईएएस, आईपीएस, आईआरएस, पीसीएस, चिकित्सक, अधिवक्ता, व्यवसायी, शिक्षाविद, प्रगतिशील किसानों सहित लगभग दो हजार बुद्धिजीवियों ने भाग लिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में महामंत्री उमेश कुमार, उपाध्यक्ष वीआर वर्मा, रविंद्र सिंह गंगवार, कोषाध्यक्ष आरएल निरंजन का महत्वपूर्ण योगदान रहा। मंच संचालन योगेंद्र सचान व डॉ. अनूप सचान ने किया।