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राजनैतिक व्यंग्य : नरेन्दर का सरेंडर

Sachchi Baten Thu, Jun 12, 2025

विष्णु नागर

मोदी जी की लोगों ने ग़लत छवि बना रखी है कि वे बहुत बोलते हैं। आज बोलते हैं और कल उसे भूल जाते हैं या केवल बोलने के लिए बोलते रहते हैं।आज दो बार बोला और आज का काम खत्म! कल तीन बार बोला और कल का काम खत्म!

इस ओर बहुत ध्यान नहीं दिया गया कि नरेन्दर मोदी सैकड़ों बातों पर कुछ नहीं बोलकर भी बोलते हैं। और जो नहीं बोलते हैं, उसे कोई माई का लाल उनके मुंह से बुलवा नहीं सकता। अब जैसे कभी उनके परम मित्र रहे ट्रंप जी -- जिनकी विजय के लिए भारत में खूब यज्ञ-हवन-पूजा-पाठ आदि हिंदुवादियों ने करवाया था -- दस बार से अधिक कह चुके हैं कि अमेरिका से व्यापार का लालच दिखाकर मैंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम करवाया है। विपक्ष बार- बार कह रहा है कि मोदी जी, ट्रंप जी ये बार- बार क्या बकवास कर रहे हैं।एक बार तो कह दो कि यह झूठ है, यह ग़लत है। एक बार तो कह दो कि यह मोदी को हटाने का षड़यंत्र है, कि ट्रंप, पाकिस्तान की भाषा बोल रहा है। मगर ट्रंप, ट्रंप है, राहुल गांधी तो हैं नहीं, इसलिए उनकी जबान बंद रहेगी! ट्रंप ये बात बीस क्या, पचास बार भी बोले, इनकी उपस्थिति में जी-7 सम्मेलन में भी बोले, तो मोदी जी कुछ नहीं बोलेंगे। बोदी अखबार और गोदी चैनल इसे उनकी' दूरदर्शिता ' बताकर उनकी तारीफ़ में कसीदे पढ़ेंगे।

विपक्ष ने इनका नाम नरेन्दर मोदी से सरेंडर मोदी कर दिया है, फिर भी मोदी जी को इससे अंतर नहीं पड़ता। उनका मौनव्रत नहीं टूटता। उन्होंने सरेंडर को नरेन्दर साबित करने की कोशिश नहीं की! मोदी जी मानते हैं कि नाम में क्या रक्खा है। सरेंडर हो या नरेन्दर, है तो मोदी ही!

इसी तरह जब अमेरिका ने भारत के गैरकानूनी प्रवासियों को हथकड़ी-बेड़ी में वापस भेजा, मोदी जी की ट्रंप जी से मुलाकात की, उसके बाद भी भेजा, तब भी मोदी जी ने अपनी इस 'दूरदर्शिता ' का चोला नहीं उतारा। सरेंडर करना ही पसंद किया। मनमोहन सिंह को मोदी जी - मौन मोहन सिंह कहा करते थे -- वह इस कोटि के मौनी बाबा न थे। वह आज प्रधानमंत्री हुए होते, तो बोले बिना न रहते। उनका किसी अडानी से घरेलू और व्यापारिक रिश्ता नहीं था। उनके खून में व्यापार नहीं था। वह किसी ट्रंप की जीत का नारा अमेरिका में लगाकर नहीं आए थे!

मोदी जी भारत के ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं, जो ट्रंप कुछ भी कहे, कुछ भी करे, कितनी भी बेइज्जती करे, व्यापार समझौते के नाम पर भारत से कुछ भी लूट ले जाए, मौन ही रहेंगे। ट्रंप ने भारत से आयातित चीजों पर सौ प्रतिशत आयात शुल्क लगाने की बात कही, तो मोदी जी मौनी रहे। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, एशियन विकास बैंक और विश्व बैंक ने पाकिस्तान को अरबों डालर का ऋण दे दिया, चुप रहे। यूं तो कहते रहे कि पाकिस्तान इसका उपयोग आतंकवाद को बढ़ाने के लिए करेगा, मगर जब इस पर वोट करने की बारी आई तो हमारे प्रतिनिधि को चुप रहने के लिए कहा गया। सरेंडर होता रहा। भारतीय छात्रों का अमेरिका ने वीसा रद्द किया, तो भी सरेंडर जी मौन रहे।

ऐसी 'दूरदर्शिता' वह चीन के संदर्भ में भी दिखाते रहे हैं, आगे और भी दिखाएंगे। चीन ने भारत की हजारों वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर रखा है। इस बारे में तीन साल पहले उनका आखिरी बयान आया था कि न कोई घुसा है, न कोई घुसा बैठा है।चीन खुश हुआ कि अहा, यह तो भारत में हमारे बहुत काम का बंदा है। हमसे भी आगे जाकर यह हमारा बचाव‌ करनेवाला है। चीन ने इस बयान का जमकर लाभ उठाया। यह बयान‌ दुनिया को सुनाया, अपने लोगों को सुनाकर ताली बजवाई। थाली वहां होती नहीं और मोदी जी ने कभी थाली का महत्व चीन को बताया नहीं, तो उन्होंने थाली नहीं बजाई वरना वे थाली भी बजा सकते थे! चीन में ऐसी प्रथा नहीं है वरना चीन उन्हें भारत में अपना राजदूत नियुक्त कर देता! चीन ने देखा कि यह सरेंडरव्रती है, तो उसने पाकिस्तान को भारत से लड़ने के लिए आधुनिकतम लड़ाकू विमान दिए, मिसाइलें दीं और भारत के खिलाफ इनका इस्तेमाल करने की इजाजत दी, मगर मोदी का मौनव्रत नहीं टूटा!

छोटी आंखों वाले गणेश जी की मूर्ति के आयात पर वह बोले, मगर चीन का नाम लेने की चूक नहीं की। पुराने जमाने की हिंदू औरतें अपने पति का नाम नहीं लेती थीं, पर पड़ोसन के पति का नाम ले लेती थीं। खैर। इनके पड़ोस में पाकिस्तान है, उसके लिए कुछ भी वह उसका नाम लेकर बोल सकते हैं और बोले हैं और आगे भी बोलते रहेंगे। इस मामले में चुप रहना सनातन के हितों के विरुद्ध है।

नरेन्दर का सरेंडर देश के अंदर भी सुविख्यात है। दस साल पहले गोहत्या के नाम पर अखलाक की हत्या पर एक बार वह बोले थे। उसके बाद से उन्होंने जब भी बात मुसलमानों की आई, उन्होंने सरेंडर ही सरेंडर किया या उन्हें कपड़ों से पहचाना। उन्हें लगा कि इस तरह की घटनाओं पर बोलना सनातन के हितों के विरुद्ध जा सकता है। उनकी छवि इससे बिगड़ कर धर्मनिरपेक्ष बन सकती है, तो फिर वह न बोले। उन्हें मरने दिया, पीट-पीट कर अधमरा करने दिया और जब ऐसे अपराधी जेल से जमानत पर छूटे तो उनका स्वागत- सत्कार करने का भरपूर मौका भी दिया! जब नोटबंदी करके देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करना था, तो अपनी ईमानदारी और नेक इरादों की डुगडुगी पीटने के लिए कालेधन के खिलाफ भी बोले, मगर फिर नहीं बोले! फिर काला ही सफेद हो गया। इतनी लिचिंग हुई, नहीं बोले। मस्जिदों के नीचे मंदिर ढूंढ़े जाते रहे, नहीं बोले। गुंडों ने हिंदुत्व की कमान ऊपर से नीचे तक संभाल ली, नहीं बोले। अपनी शांति भंग नहीं होने दी, अपनी गद्दी को असुरक्षित नहीं होने दिया। इनकी गद्दी के लिए 'हिंदू खतरे' में आ गए, ताकि ये खतरे में नहीं आएं! नरेदर अगर सरेंडर नहीं करता, तो गद्दी सरेंडर करनी पड़ती! (कॉर्टून आईएऩसी बिहार के इंस्टाग्राम एकाउंट से साभार लिया गया है।)

नरेंदर तुम सरेंडर करो, ट्रंप तुम्हारे साथ है।

नरेन्दर तुम सरेंडर करो, शी जिनपिंग तुम्हारे साथ है।

(विष्णु नागर स्वतंत्र पत्रकार तथा कई पुरस्कारों से सम्मानित हैं।)

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