Politics Of Bihar : कन्हैया-तेजस्वी के बीच सीएम चेहरे को लेकर टक्कर

बिहार : महागठबंधन की बैठक 17 को, सीएम पर भी होगी चर्चा
-राजद तेजस्वी को बतौर सीएम चेहरा पेश करने को संकल्पित
-कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को बनाया संभावित मुख्यमंत्री फेस
-17 को सीएम से सीट बंटवारे तक महागठबंधन में होगी चर्चा
कुमार सौवीर, नई दिल्ली। बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा गर्म है। चुनाव अक्टूबर और नवंबर में होना है लेकिन सभी दलों ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। बिहार चुनाव को लेकर कांग्रेस अधिक उत्साहित दिख रही है। एक ओर जहां कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को अपना चेहरा बनाकर पेश किया है और वे पूरे बिहार में 'नौकरी दो पलायन रोक यात्रा' निकालने में मशगूल हैं तो स्वयं राहुल गाँधी निरंतर बिहार को स्वयं जाकर मथ रहे हैं।
उन्होंने इशारों में कन्हैया को सीएम का दावेदार भी बता दिया है। राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी शनिवार को बिहार दौरे पर यह स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस राज्य में किसी के भरोसे रहने वाली नहीं है। बहरहाल, कांग्रेस की सक्रियता ने इंडिया गठबंधन में सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल की टेंशन बढ़ा दी है। बिहार के भावी परिदृश्य को लेकर उसने 17 अप्रैल को महागठबंधन की बैठक भी बुलाई है।
माना जा रहा है कि इस बैठक में सीएम के मुद्दे पर कन्हैया कुमार की दावेदारी को लेकर भी चर्चा होगी, तो सीट शेयरिंग को लेकर भी बात होने की संभावना है। दरअसल, पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस कह रही है कि सीएम के चेहरे पर फैसला चुनाव के बाद होगा। पटना में कांग्रेस के सचिन पायलट ने भी इसी बात को दोहराया था। बिहार में राजद ने पहले ही ऐलान कर दिया कि उनका सीएम का चेहरा तेजस्वी यादव ही होंगे।
कांग्रेस को छोड़ कर बाकी सहयोगी दलों ने भी इस पर अपनी हामी दे दी है। लालू यादव ने भी ऐलान कर दिया है कि 2025 का विधानसभा चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। लेकिन कांग्रेस नेताओं के लगातार आ रहे बयान से महागठबंधन में विवाद खड़ा कर दिया है। कन्हैया की यात्राओं में उन्हें बतौर मुख्यमंत्री पेश किये जाने से महागठबंधन में हलचल तेज हो गई है। दरअसल, राज्य में कन्हैया के नेतृत्व में कांग्रेस की यात्रा को राजद ने कद की होड़ के तौर पर देखा है और पहले ही तेजस्वी यादव को अपना मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिया।
इसी तरह महागठबंधन के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर चल रही जद्दोजहद में तेजस्वी को अपना वर्चस्व बनाए रखने की चिंता है, राज्य में वामपंथी दलों के प्रदर्शन से भी राजद को चुनौती मिल रही है तो महत्वाकांक्षी वीआईपी 60 सीटों के साथ उपमुख्यमंत्री का पद भी मांग रही है। कांग्रेस भी 70 सीटों का लक्ष्य लेकर चल रही है। सहयोगी दलों का यह रवैया राजद की 150 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना पर पानी फ़ेर रहा है। इस तरह 17 अप्रेल की महागठबंधन की बैठक बेहद अहम है।
विज्ञापन