Bihar Politics : चुनाव के पहले बिहारी पत्रकारों को अमित शाह का रात्रिभोज, मायने समझिए

राजेश पटेल
बिहार विधानसभा के चुनाव में इस साल के अंत में होंगे। लेकिन, अभी जो हो रहा है, वह चुनावी निष्पक्षता पर सवाल उठाने के लिए काफी है। चुनावी राज्य के पत्रकार जब अमित शाह की दावत खाकर चुनाव मैदान में उतरेंगे, तो वे मोदी-शाह मार्का प्रोपेगैंडा नहीं करेंगे, यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता। भोज के पहले से ही इसकी आहट भी मिलने लगी है। भोज के बाद रोज क्या होने वाला है, देखने की बात होगी।
उदाहरण-1
यह कमाल पिछले शनिवार को हुआ। अचानक देश भर की मीडिया में खबर चलने लगी कि बिहार में भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों के बीच सीट बंटवारा हो गया। सूत्रों के हवाले से सभी चैनलों, वेबसाइट्स, यूट्यूब प्लेटफॉर्रम्स आदि पर सीट बंटवारा का फॉर्मूला समझाया जाने लगा। बताया गया है कि 102 से 103 सीट जनता दल यू को मिलेगी, 101 से 102 सीट भाजपा लड़ेगी, 25 से 28 सीटें लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास को मिलेंगी और बाकी सीटें जीतन राम मांझी व उपेंद्र कुशवाहा को मिलेंगी। इस फॉर्मूले के मुताबिक कुशवाहा की आरएलएम और मांझी की हम को चार-चार या पांच-पांच सीटें मिलेंगी। कहा गया कि पटना में इसे लेकर बात हुई है और सहमति बन गई है। हालांकि पटना में किन नेताओं की बातचीत इसका जिक्र नहीं किया गया। अब स्थिति यह है कि सबने चुप्पी साध ली है। जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की ओर से बताया गया है कि ये दोनों ऐसी किसी बैठक में शामिल ही नहीं थे, जहां सीट बंटवारे का यह फॉर्मूला तय हुआ है।
उधर जनता दल यू के भी कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा पिछले 15 दिन से बिहार नहीं गए। वे विदेश गए भारतीय नेताओं के एक डेलिगेशन का नेतृत्व कर रहे थे और 10 दिन की यात्रा से लौटने के बाद भी वे दिल्ली में रुके, क्योंकि डेलिगेशन की मुलाकात पहले विदेश मंत्री से हुई और उनको प्रधानमंत्री से मिलना है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार हैं, जो किसी से बातचीत करने की स्थिति में नहीं हैं। इसलिए जदयू के नेता भी हैरान थे इस फॉर्मूले और इसकी बातचीत से। तभी कहा जा रहा है कि यह फॉर्मूला भाजपा के कुछ नेताओं की ओर से मीडिया को दिया गया। योजना के तहत एक साथ हर जगह खबर भेजी गई। हर वेबसाइट पर एक जैसी खबर थी। हर जगह अंग्रेजी, हिंदी की खबर में कॉमा, फुलस्टॉफ भी नहीं बदला था। कहा जा रहा है कि भाजपा अंदाजा लगा रही है कि ऐसे किसी फॉर्मूले पर सहयोगी पार्टियां किस तरह से प्रतिक्रिया देती हैं। अभी कोई भी पार्टी इस फॉर्मूले से सहमत नहीं है।
उदाहरण-2
बिहार की मीडिया में तेजी से खबर चली कि चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रा.) ने विधानसभा की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान किया है। हालांकि यह भर चिराग के हवाले से ही थी, उन्होंने आरा में हुई एक रैली में यह बयान दिया था, लेकिन जिस तरीके से मीडिया में इसे परोसा गया, वह मोदी-शाह मार्का प्रोपेगैंडा ही कहा जा सकता है।
इन दोनों खबरों और अमित शाह द्वारा मीडिया पर्सन को दिए गए भोज के समय को देखा जाए तो सब अपने आप स्पष्ट हो जाएगा। दरअसल मोदी-शाह की रणनीति है कि बिहार में नीतीश कुमार के प्रति आम जनता में जो परसेप्शन है, उसे बदल दिया जाए। यह काम एक दिन में तो होना नहीं है। अभी चुनाव में भी कम से कम पांच महीने की तो देर है ही। लिहाजा फील्डिंग शुरू हो गई है। पत्रकारों को भोज देकर और प्रोपेगैंडा की फुलझड़ियों को छोड़कर।
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