October 12, 2024 |

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कविता ः जिंदगी

Sachchi Baten


 
जिंदगी...
जिंदगी भंवर है, भ्रम भी है यह भ्रमर है। 
जिंदगी अमृत है, जान भी है यह नश्वर है।।
जिंदगी नौका है, मौका है पार निकलने का। 
जिंदगी धरती है, धारा भी है यह समंदर है।। 
जिंदगी कली है, फूलती है मुरझाने को ही। 
जिंदगी मकरंद है, सुगंध भी है यह बहार है।।
जिंदगी अजर है, अटल भी है यह अमर है। 
जिंदगी सावन है, पतझड़ भी है यह फागुन है। 
जिंदगी पूस की रात है, लू भी है यह लहर है।। 
जिंदगी बागबान है, बागवानी है यह पानी है। 
जिंदगी गांव है, चौपाल भी है यह शहर है।। 
जिंदगी रीत है, रिवाज भी है यह महापर्व है। 
जिंदगी सौभाग्य है, संयोग भी है यह अवसर है।। 
जिंदगी गुल है, गुलदस्ता भी है यह गुलबदन है। 
जिंदगी भीतर है, बाहर भी है यह बवंडर है।। 
जिंदगी भंवर है, भ्रम भी है यह भ्रमर है... 
-राजेश पटेल

राजेश पटेल

Sachchi Baten

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