October 12, 2024 |

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कविताः जिंदगी…

Sachchi Baten

जिंदगी...

जिंदगी झरना है,

गिरना है और गिरकर संभलना है।

बाधाओं को हराकर,

मंजिल तक पहुंचना है।

जिंदगी झरना है…

ब्रह्म है, ब्रह्मांड है यह,

प्रकृति है, प्राकट्य है यह।

मर-मर कर जीना है,

जी-जी कर मरना है।

जिंदगी झरना है…

दिग है दिगंत है यह,

आदि है अनंत है यह।

आगे ही आगे बढ़ना है,

निरंतर चलते ही चलना है।

जिंदगी झरना है…

-राजेश पटेल


Sachchi Baten

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