नीतीश कुमार के साथ अच्छे रिश्ते रहे हैं डॉ. सोनेलाल पटेल के
लोकसभा चुनाव-2024 तय करेगा यूपी का कुर्मी किधर
कुर्मी के अधिकारों के लिए अपनी ही सरकार के मुखिया लालू को ललकारा था नीतीश कुमार ने
राजेश पटेल, लखनऊ (सच्ची बातें)। जद यू नेता नीतीश कुमार और अपना दल के संस्थापक डॉ. सोनेलाल पटेल के बीच अच्छे रिश्ते रहे हैं। कई मौकों पर एक साथ दोनों की तस्वीरें भी सामने आईं। इसी रिश्ते को निभाते हुए अपना दल कमेरावादी की नेता कृष्णा पटेल बेंगलुरू पहुंची हैं। 17 व 18 जुलाई को कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक के बेंगलुरू में विपक्षी एकता के लिए आहूत बैठक में भाग लेने के लिए उनके पास न्यौता भी आया था।
नीतीश कुमार जेपी आंदोलन की उपज होने के साथ ही समाजवादी व सामाजिक न्याय की विचारधारा को मानने वाले हैं। डॉ. सोनेलाल पटेल की भी विचारधारा यही थी। दोनों की जाति एक कुर्मी। यूपी में डॉ. सोनेलाल पटेल कुर्मी सहित अन्य कमेरा वर्ग की जातियों को गोलबंद करने में जुटे थे। उधर बिहार में नीतीश ने नारा दिया- भीख नहीं हिस्सेदारी चाहिए, जो सरकार हमारे हितों को नजरअंदाज करती है वो सरकार सत्ता में रह नहीं सकती। 12 फरवरी 1994 को यह नारा नीतीश कुमार ने दिया था। जगह- पटना का गांधी मैदान। मौका था- कुर्मी चेतना रैली। तब नीतीश कुमार ने अपनी ही सरकार के मुख्यमंत्री और करीबी दोस्त लालू यादव को पहली बार ललकारा था। इस रैली के बाद न केवल लालू यादव और नीतीश कुमार की दोस्ती टूटी थी, बल्कि बिहार की सियासत में एक नए अध्याय की शुरुआत हुई थी।
सामाजिक न्याय के दोनों पहरुओं का लक्ष्य एक
उस समय लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे। आरक्षण में भारी बदलाव की तैयारी शुरू हो गई थी। क्रीमी लेयर के नाम पर कुर्मी को आरक्षण से बाहर करने की तैयारी शुरू हो गई थी। क्रीमी लेयर के नाम पर 5-6% जो बांटने की बात की जा रही थी, लोग उसका विरोध कर रहे थे। तब अगर कुर्मी जाति के लोग अधिकार की लड़ाई नहीं लड़ते और एकजुट नहीं होते तो कभी लड़ने लायक नहीं रहते। इसी विरोध में पटना में कुर्मी चेतना रैली का आयोजन किया गया था। बताया जाता है कि अगर तब शक्ति नहीं दिखाए होते तो आज आरक्षण से बाहर होते।
इधर डॉ. सोनेलाल पटेल लगातार ने भी 1995 में अपना दल का गठन कर लिया। इसके लिए पहले लखनऊ के बेगम हजरत महल पार्क में कुर्मी समाज की ऐतिहासिक रैली की। उसमें सभी से राजनैतिक दल के गठन की सहमति ली। अपना दल का गठन होने के बाद डॉ. सोनेलाल पटेल ने देश भर में भ्रमण तेज कर दिया। पार्टी को पहला विधायक प्रतापगढ़ सदर विधानसभा सीट से वर्ष 2000 में हाजी मुन्ना सलाम के रूप में मिला।
वर्ष 2009 में डॉ. सोनेलाल पटेल के आकस्मिक निधन के सात साल बाद पारिवारिक विवाद के कारण पार्टी दो भाग में बंट गई। डॉ. सोनेलाल पटेल की तीसरे नंबर की बेटी अनुप्रिया पटेल ने अलग अपना दल सोनेलाल बना लिया।
उधर मुकदमेबाजी की पेंच में अपना दल का नाम फंस जाने के कारण डॉ. पटेल की पत्नी कृष्णा पटेल ने अपना दल कमेरावादी नामक पार्टी बना ली। हालांकि अपना दल कमेरावादी की महासचिव रहीं डॉ. पल्लवी पटेल 2022 में विधानसभा का चुनाव समाजवादी पार्टी के टिकट से लड़ा तथा प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को पटखनी दी।
अनुप्रिया पटेल वाला अपना दल सोनेलाल एनडीए घटक का प्रमुख सहयोगी दल है। खुद केंद्र की मोदी सरकार में राज्य मंत्री हैं। उनके पति आशीष पटेल उत्तर प्रदेश में योगी कैबिनेट में शामिल हैं। इस पार्टी के 13 विधायक व दो सांसद हैं। चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश में अपना दल एस को राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा भी दे दिया है। विधानसभा में भी यह प्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई है। अपना दल कमेरावादी समाजवादी पार्टी के साथ एलायंस में है। इसका एक भी विधायक नहीं है।
डॉ. सोनेलाल पटेल के मधुर रिश्तों के ही चलते कृष्णा पटेल ने नीतीश कुमार से कई बार मुलाकात की। नीतीश कुमार भी कृष्णा पटेल को सम्मान देने में कोई कमी नहीं करते।
गत माह पटना में विपक्षी एकता के लिए हुई बैठक में कृष्णा पटेल की गैरमौजूदगी काफी चर्चा में रही। इसको लेकर लोग कृष्णा पटेल पर तंज भी कसने लगे थे। लेकिन इस बार की बेंगलुरू की बैठक के लिए नीतीश ने गलती नहीं की। बाकायदा न्यौता भेजकर बुलवाया।
नीतीश उत्तर प्रदेश में कुर्मियों की ताकत से भलीभांति वाकिफ हैं। कुर्मी जाति में दो नेताओं का ही प्रभाव है। कृष्णा पटेल और उनकी बेटी अनुप्रिया पटेल का। तीसरा भले कोई अपने को कुर्मी का नेता कह ले, लेकिन धरातल पर उसके साथ कोई है नहीं।
चूंकि अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल एस एनडीए गठबंधन में है। कृष्णा पटेल के बेंगलुरू पहुंचने से स्पष्ट हो गया कि वह विपक्षी खेमे में रहेंगी। आने वाला लोकसभा चुनाव 2024 बताएगा कि सही मायने में उत्तर प्रदेश में इस समय कुर्मी नेता कौन है। कृष्णा पटेल या उनकी बेटी अनुप्रिया पटेल।