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Tu Jamana Badal : रक्षा मंत्री के हेलीकॉप्टर को कब्रिस्तान में उतारने की कोशिश

राजेश पटेल द्वारा लिखित पुस्तक 'तू जमाना बदल' से...

मिर्जापुर जनपद की चुनार विधानसभा से लगातार चार बार विधायक चुने गए यदुनाथ सिंह क्रांतिकारी विचारधारा के थे, सो उनका रुझान वामपंथ की ओर ज्यादा था, लेकिन गांधी का दर्शन भी उनको बहुत अच्छा लगा। उनका नारा- मारेंगे नहीं, मानेंगे नहीं। इससे यह साबित हो जाता है। बनारस के प्रखर समाजवादी नेता राजनरायन को इन्होंने आदर्श माना और राजनीति की डगर पर इनके कदम आगे बढ़ते गए। आंदोलनों की सफलता से मनोबल भी बढ़ता गया। वर्ष 1974 में मुगलसराय विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए इनके पास आंदोलनों की सफलता की पूंजी जमा हो चुकी थी। रामनगर में पीपे के पुल का पथकर माफ कराकर जनता के दिलों में जगह बना ली थी। हालांकि इस आंदोलन में एक साथी शहीद भी हुआ। इसके साथ ही रामनगर में ही स्थित पीएन सिंह राजकीय इंटर कॉलेज, आदित्यनारायण राजकीय इंटर कॉलेज चकिया व विभूतिनारायण राजकीय इंटर कॉलेज ज्ञानपुर में फीसमाफी का भी आंदोलन किया, इसमें भी सफलता मिली।

अपने इसी आत्म और जनबल के सहारे वर्ष 1974 का चुनाव मुगलसराय विधानसभा से निर्दल लड़े तो भी मात्र 428 वोटों के अंतर से हारे। इनके स्वभाव के ही अनुकूल चुनाव चिह्न भी शेर ही मिला था। सामने भारतीय क्रांति दल के उम्मीदवार गंजी प्रसाद यादव थे।

इसी चुनाव में एक दिलचस्प घटना हो गई। शायद यह घटना न होती तो यदुनाथ सिंह वर्ष 1974 में ही मुगलसराय से विधानसभा का चुनाव जीत जाते। यह कसक आज भी उनके साथियों में है। हुआ यह कि बाबू जगजीवन राम जी देश के रक्षा मंत्री थे। यहां कांग्रेस के उम्मीदवार के पक्ष में उनको चुनाव प्रचार करने आना था। जब इसकी जानकारी निर्दल उम्मीदवार यदुनाथ सिंह के साथियों को हुई तो आपस में तय किया गया कि रक्षा मंत्री के हेलीकॉप्टर को प्रशासन द्वारा तय स्थान पर उतरने ही नहीं देना है। इसके लिए काफी मंथन के बाद एक योजना को अमल में लाने पर सहमति बनी। हरबंश सिंह, शमीम अहमद मिल्की, अब्दुल सत्तार आदि के निर्देशन में मुगलसराय के पास ही कब्रिस्तान में समानांतर हेलीपैड का निर्माण किया गया। कुछ बच्चों को भी एनसीसी की ड्रेस पहनाकर मैदान में खड़ा कर दिया गया, ताकि यह लगे कि सुरक्षा में पुलिस के जवान तैनात है।

जैसे ही आकाश में हेलीकॉप्टर की आवाज सुनाई दी, वहां पर पुआल में आग लगा दी गई। उसके धुएं से पायलट चकमा खा गया। कुछ नीचे आया तो एनसीसी की ड्रेस पहने बच्चे उसे पुलिस वाले लगे। चूना से एच का निशान भी बनाया गया था। लिहाजा पायलट ने उसी स्थान पर हेलीकॉप्टर उतारने का प्रयास किया। हेलीकॉप्टर जब कम ऊंचाई पर आया तो जिंदाबाद के स्थान पर मुर्दाबाद के नारे गूंजने लगे। कांग्रेसी झंडे के स्थान पर जगजीवन बाबू को काले झंडे दिखाए जाने लगे। पायलट को दाल में काला समझ में आया तो हेलीकॉप्टर को फिर ऊपर से ही उड़ा लिया। इसके बाद तय स्थान पर भी नहीं उतारा। उन्होंने सभा को संबोधित ही नहीं किया, जो इस स्थल से काफी दूर पर आयोजित थी। रक्षा मंत्री की सभा न होने का फायदा विरोधी उम्मीदवार गंजी प्रसाद यादव को मिला। यदि कुछ और मत कांग्रेस उम्मीदवार को मिल गए होते तो यदुनाथ सिंह की जीत हो जाती। जगजीवन बाबू की सभा हो जाती तो शायद कांग्रेस उम्मीदवार के कुछ मत बढ़ते, जो श्री गंजी प्रसाद यादव जी में से कम होते।

“पिताजी, आपका बेटा नालायक नहीं है। मेरी मौत जनमुक्ति रणक्षेत्र में होगी या शासन में जाकर होगी। यदि मेरी कुर्बानी से इस देश के वंचितों को उनका हक मिल जाए तो मैं अपना सौभाग्य समझूंगा।” (आजाद भारत के सबसे बड़े क्रांतिकारी यदुनाथ सिंह द्वारा जेल से अपने पिता को लिखे पत्र का अंश)