कुर्मी समागम सह चेतना शिविर : जानिए नीतीश के राजगीर में क्या संकल्प लिया कुर्मी समाज ने

नालंदा (बिहार)। राजगीर के इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में कुर्मी समागम और चेतना शिविर का आयोजन हुआ। देश-विदेश से सैकड़ों लोग इसमें शामिल हुए। समाज के गौरवशाली इतिहास और शैक्षणिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से मजबूत होने की बात कही गई। उपजातियों में भेदभाव मिटाने पर भी जोर दिया गया। इस समागम में कुर्मी समाज के लोग बड़ी संख्या में जुटे। शिविर के पहले दो सत्रों में समाज के इतिहास और पिछड़ेपन के कारणों पर चर्चा हुई। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कुर्मी समाज से आते हैं और उनका गृह जिला नालंदा है।
लोगों ने कहा कि हमारे समाज का इतिहास काफी गौरवमयी रहा है। इस समाज में कई अवतारी महापुरुष हुए हैं। गौरवशाली अतीत से सबक लेकर समाज को फिर से जागृत करने की जरूरत है। स्पष्ट रूप से दिग्गजों ने कहा कि फिर से हमें अपनी शैक्षणिक, सामाजिक और राजनैतिक ताकत बढ़ानी होगी। उपजातियों के भेदभाव को खत्म करना होगा, तभी चट्टानी एकता बनेगी।
समागम में शामिल महिला शक्ति।
'देश में कुर्मी समाज की 35 फीसदी आबादी'
दो दिवसीय कुर्मी समागम सह चेतना शिविर के आगाज के पहले दो सत्रों में कुर्मी समाज के इतिहास के साथ ही पिछड़ेपन के कारणों पर मंथन किया गया। दो सत्रों में समाज के विकास की रणनीति बनाई गई। अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीएस निरंजन ने कहा कि हमारा समाज शांति का पुजारी रहा है। लेकिन, अस्मिता की सुरक्षा के लिए तलवार उठाने के साथ ही कुर्बानी देने में पीछे नहीं रहा है। शिवाजी महाराज ने कहा था कि धरती हमारी मां है। इसकी रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाना हमारा कर्तव्य और धर्म है। पूरी दुनिया में हमारी काफी संख्या है। देश में हमारी आबादी 35 से अधिक है। कहीं इसे पटेल के नाम से जाना जाता है तो कहीं मंडल के नाम से।
कुर्मी समागम सह चेतना शिविर में 28 प्रस्तावों पर लगी मुहर
दो दिवसीय कुर्मी समागम सह चेतना शिविर के अंतिम दिन 28 प्रस्तावों पर लगी मुहर लगायी गयी। इन प्रस्तावों पर पहले सर्वसम्मति बनायी गयी, फिर ध्वनिमत से पारित किया गया। लोगों ने कहा कि समाज के लोग एक-दूसरे के प्रति सम्मानजनक व्यवहार, आचरण व सहयोग की भावना रखेन। किसी भी उपजाति में अपने समतुल्य शैक्षणिक, व्यावसायिक, आर्थिक, पारिवारिक व्यवहार व आचरण का मूल्यांकन कर वैवाहिक संबंध स्थापित करेंगे। शिविर में जुटे देश के तमाम राज्यों के अलावा शामिल नेपाल के लोगों ने बिहारियों के स्वागत से अभिभूत हुए।
समागम में नेपाल से आए कुर्मी समाज के लोग।
कहा कि जनसंख्या के हिसाब से देश में सबसे बड़ी आबादी कुर्मी समाज की है। देश की कुल आबादी 144.17 करोड़ में से 35 करोड़ यानि 25 फीसदी आबादी सिर्फ इस समाज की है। अन्य राज्यों व नेपाल से आये अतिथियों ने कहा कि राजगीर देश की पहली राजधानी रही है। यहां के राजा अखंड भारत का निर्माण किया था। वह भारत आज दर्जनों देशों के रूप में विद्यमान है। अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व रिटायर्ड आईएएस डॉ. विजय कुमार निरंजन ने कहा कि देश में कुर्मी समाज में 1488 उपजातियां हैं। सभी को एक मंच और एक छत के नीचे लाने से पुराने गौरव को वापस लाया जा सकता है। सामाजिक कुरीतियों को मिटाने और उपजातियों को जोड़ने से ही सामाजिक बदलाव संभव होगा। हम बदलेंगे तभी समाज और देश बदलेगा।
वर्तमान में देश में कुर्मी समाज के 101 लोकसभा सांसद, 15 राज्यसभा सदस्य और छह मुख्यमंत्री हैं, जो किसी भी अन्य समाज की तुलना में अधिक है। प्रस्तावों को करेंगे लागू : भारत के तमाम राज्यों और नेपाल से आए प्रबुद्ध चिंतकों और विचारकों ने कहा कि इन प्रस्तावों को कुर्मी समाज के ग्रामीण, प्रखंड, राजकीय, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तरों की बैठकों में समाज की प्रगति के लिए निरंतर बनाए रखने व लागू करने के लिए दृढ़ संकल्पित रहना होगा।
ये प्रस्ताव किये गये पारित :
1. कुर्मी समाज के रूप में चिह्नित किए गए वर्तमान व आने वाली पीढ़ियां एक-दूसरे के प्रति सम्मानजनक व्यवहार, आचरण और सहयोग की भावना रखेंगी।
2. आपसी भातृत्व व बंधुता को मजबूती व सभी क्षेत्रों में सर्वांगीण विकास को हासिल करने के लिए अपनी उपजाति को छोड़कर किसी अन्य उपजाति में अपने समतुल्य शैक्षणिक, व्यावसायिक, आर्थिक, पारिवारिक व्यवहार व आचरण का मूल्यांकन कर वैवाहिक संबंध स्थापित करेंगे।
3. समाज के लोग प्रथम बौद्ध संगीति के अध्यक्ष महाकश्यप, विश्व प्रसिद्ध तथागत बुद्ध, छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपति शाहूजी महाराज, सरदार वल्लभभाई पटेल, महामना रामस्वरूप वर्मा सरीखे अनेक महापुरुषों व देश के अनेक राजवंशों से रक्त संबंध रखता है। इसलिए सामाजिक, धार्मिक अंधविश्वास की परंपराओं या मान्यताओं के आधार पर अपने से श्रेष्ठ किसी जाति को नहीं मानेगा। न ही किसी जाति को अपमानित करेगा।
4. दैनिक उपभोग की सामग्री की खरीद अपने ही समाज की व्यावसायिक दुकानों से करेंगे, ताकि समाज के लोगों की व्यवसाय में उन्नति हो।
5. जन्म, विवाह व मृत्यु घटनाक्रमों पर कम से कम खर्च करेंगे। ताकि, आर्थिक समृद्धि बढ़े और आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति दिखावे की प्रतिस्पर्धा से प्रभावित नहीं हों।
6. कृषि या व्यावसायिक जमीन अथवा संपत्ति की बिक्री अपने समाज के लोगों को प्राथमिकता के साथ करेंगे।
7. दूसरी उपजाति से वैवाहिक संबंध बनाने पर परंपरागत द्वेष या ईर्ष्या नहीं रखेंगे।
8. किसी प्रकार की सेवा (जैसे चिकित्सा, विश्रामालय,शिक्षा, परिवहन आदि) लेने में समाज के लोगों को प्राथमिकता देंगे।
9. समाज के साथ व्यवसाय या किसी प्रकार की सेवा प्रदान करने में रियायती दर, सम्मानजनक व्यवहार, आचरण और ईमानदारी का व्यवहार करेंगे।
10. समाज के सामाजिक कार्यकर्ता के साथ सम्मानजनक व्यवहार आचरण रखेंगे।
11. अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा पर आधारित सभी छोटे-छोटे संगठन को राष्ट्रीय व राजकीय स्तर के केंद्रीकृत स्थाई संगठन के अनुशासन के तहत कार्य करेंगे।
12. जातीय-उपजाति के कारण चले आ रहे वैवाहिक, सांगठनिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, आपसी प्रतिस्पर्धा को समाप्त करेंगे।
13. समाज के सर्वांगीण विकास के लिए आपसी प्रतिस्पर्धा समाप्त कर केंद्रीयकृत अनुशासन के तहत काम करेंगे।
14. न्यूनतम जीवन-यापन के अतिरिक्त आय का न्यूनतम चार प्रतिशत समाज के विकास के लिए प्रतिवर्ष सामाजिक संगठनों को दान करेंगे।
15. बच्चे-बच्चियों को सामाजिक अनुशासन, व्यवहार व आचरण के निर्माण के लिए 12 से 16 वर्ष की अवस्था के बीच सामाजिक दीक्षा दिया जाना अनिवार्य होगा।
16. समाज के सामाजिक कार्यक्रमों में स्त्री व बच्चों की भागीदारी को शत-प्रतिशत सुनिश्चित करेंगे।
17. एक अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय नेटवर्क सभी देशों में बनाया जाएगा।
18. अपना प्राथमिक शैक्षणिक संस्थान नेटवर्क बनाएंगे, जिसमें बच्चों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद, संवैधानिक मूल्य व अर्जक संघ विचारों पर आधारित शिक्षा पाठ्यक्रम होगा।
19. देश के अन्य सभी धर्मों व जातियों के साथ सामान्य व्यवहार मानवीय आचरण रखेगा।
20. समाज का इतिहास, अनुसंधान, स्वाभिमान, अस्तित्व को बनाए रखने के लिए पूरे देश में ग्रामीण, पंचायत, प्रखंड व राज्य स्तर पर एक पुस्तकालय का निर्माण करेगा।
21. अन्य समाज के समक्ष अपने समाज या किसी व्यक्ति की बुराई या अपमान नहीं करेंगे।
22. समाज के अच्छे कार्यों और उपलब्धियां को दूसरे समाज के बीच उचित प्रशंसा करेंगे।
23. अपने पूर्वजों से विरासत में मिले न्यायिक चरित्र व विश्वास को अन्य समाज में हमेशा बनाए रखेंगे।
24. देश के सभी क्षेत्र में पर्याप्त भागीदारी और विकास के लिए अलग-अलग संगठन बनाना होगा।
25. समाज के लोग मृत्यु भोज जैसे अनावश्यक कार्य नहीं करेंगे।
26. समाज के प्राइवेट व सरकारी स्कूलों के सभी शिक्षकों का राजकीय और राष्ट्रीय नेटवर्क बनाकर शैक्षणिक स्थिति को मजबूत करेंगे।
27. परंपरागत कृषि को छोड़कर आधुनिक और व्यावसायिक कृषि के लिए प्रशिक्षण का प्रबंध किया जाएगा। समाज के लोगों का एक व्यावसायिक व औद्योगिक नेटवर्क भी बनाना होगा।
28. देश के औद्योगिक उत्पादन, वितरण व सेवा क्षेत्र का भी एक नेटवर्क बना बनाया जाएगा।
ये लोग थे मौजूद : अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष वीएस निरंजन, महामंत्री गंगवार, आर्यन राय, सुरेश वर्मा, कृष्ण कुमार मंटू, रवींद्र कुमार, ऋषि लता चंद्राकर, चिराग पटेल, बाबू भाई पटेल, मन्नू भाई पटेल, भगवानदास शिरले, मंच की अध्यक्षता करने वाले डॉ. जगदीश प्रसाद, संचालन इं. अनिल कुमार, चन्द्र उदय कुमार, रामानुज पटेल, डॉ. घनश्याम प्रसाद, अवधेन्द्र कुमार सिन्हा, कामेश्वर महतो, डॉ. विश्वेन्द्र कुमार सिन्हा, हरेंद्र प्रसाद, डॉ गोपाल शरण सिंह, डॉ. धर्मेन्द्र कुमार, सुधीर कुमार पटेल, राहुल पटेल, मेहता नागेंद्र, उमेश्वर महतो, इराल्वे पाटिल, राजीव पटेल, डॉ ओमप्रकाश, सुनीता साक्षी, अनुराग पटेल, मनोज पटेल, संजुक्ता पटेल, रामप्रवेश वर्मा, राम बहादुर पटेल, प्रो देवता चौधरी समेत हजारों लोग शामिल थे।
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