चंद्रशेखर जयंती : सरदार पटेल, अंबेडकर के बाद संघ-बीजेपी के 'नायक हड़पो' अभियान के अगले शिकार चंद्रशेखर
Sachchi Baten Tue, Apr 15, 2025

डॉ. बीएन सिंह
17 अप्रैल को चंद्रशेखर जी की जयंती है. चंद्रशेखर फाउंडेशन की तरफ से चंद्रशेखर जी की जयंती, 13 अप्रैल, 2025, से शुरू होकर 17, अप्रैल को गोष्ठी सम्मान समारोह के माध्यम से मानाया जा रहा है. यह सारा कार्यक्रम हिमांशु सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर फाउंडेशन एवं बाबू प्रसिद्ध नारायण सिंह चैरिटेबुल ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया जा रहा है.
हिमांशु सिंह समाजसेवी, पत्रकार हैं. अपने चैनल के माध्यम से समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ समाज को जागृत करने का काम करते रहते हैं. पूर्व प्रधान मंत्री चंद्रेशेखर जी के विचारों के पक्के अनुयायी है. चंद्रशेखर फाउंडेशन के माध्यम से वे समाज में चंद्रशेखर जी के विचारों सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता, लोकतांत्रिक समाजवाद , गांधीवादी विचार को समाज में प्रचार प्रसार करते रहते हैं .
इसी कड़ी मे 13 अप्रैल को लान, नरिया लंका, वाराणसी में चंद्रशेखर जी का जयंती मनाने के लिये गोष्ठी का आयोजन किया गया था, गोष्ठी के आयोजन का उद्घाटन सत्र चौधरी लान में था. जिसमें समाज के विभिन्न विचारधारा के समाजवादी, कांग्रेसी, भाजपायी, बसपायी, वामंपथी लोग शामिल हुये. मुझे भी आमंत्रण मिला था. संकट मोचन के महंथ प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र जी ने दीप जलाकर सत्र का उद्घटन किया. हालांकि हिमाशु सिंह चंद्रशेखर जी के लोकतांत्रिक विचारों के अनुयायी हैं लेकिन आयोजन समारोह में जाने पर हमें ऐसा महसूस हुआ कि यह आयोजन चंद्रशेखर जयंती के माध्यम से संघी लोगों के द्वारा चंद्रशेखर का "नायक हड़प " अभियान बनकर रह गया. मंच पर मेरे सहित तमाम विचारधारा के लोग जिसमें कांगेसी, समाजवादी, भाजपायी , बसपायी सभी लोग बैठे थे. मंचप र बीेजेपी सरकार के मंत्री, विधायक भी बैठे थे. हमें लगा कि यह सब पूर्व नियोजित था. गोष्ठी की अध्यक्षता संघी विचारधारा के वर्धा हिंदी विवि के पूर्व कुलपति भाई रजनीश शुक्ल कर रहे थे.
विचारों को अलग कर दीजिये , रजनीश जी एक सुशिक्षित, विद्वान हैं इसमे दो राय नहीं . मंच का संचालन दूसरे संघी विचारधारा से ओतप्रोत काहिविवि. के छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद शुक्ल कर रहे थे. तो स्वाभाविक है यह मंच चंद्रशेखर के विचार सामाजिक न्याय, लोकतांत्रिक समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, गांधीवादी, ग्रामीण विकास , किसान हित ,राष्ट्रीय एकता की विचारधारा का मंच न होकर बीजेपी के सांप्रदायिक, RSS की हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा, केंद्रीकृत संगठनात्मक संरचना और जो सामाजिक-राजनीतिक दृष्टिकोण को फासीवादी प्रवृत्तियों से जोड़ते हैं, का मंच बनकर रह गया जैसे अल्पसंख्यकों के दमन, एकल सांस्कृतिक पहचान का थोपना, और लोकतांत्रिक स्वतंत्रताओं पर अंकुश। जबकि चंद्रशेखर जी का इन विचारधारा से दूर दूर का रिश्ता कभी नही रहा. लग रहा था यह मंच बीजेपी का मंच है जहां से विरोधियों को खासकर कांग्रेस को देशद्रोही साबित करने का मंच है. जिसमे चंद्रशेखर के माध्यम से यह बताने की कोशिश की जारही थी कि चंद्रशेखर कांग्रेस के विरोधी थे और बीजेपी विचारों के समर्थक रहे.
चंद्रशेखर की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रति विचारधारा स्पष्ट, सिद्धांतवादी और उनकी समाजवादी व धर्मनिरपेक्ष सोच से प्रेरित थी। उनकी राय को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:
साम्प्रदायिकता का विरोध:
चंद्रशेखर कट्टर समाजवादी और धर्मनिरपेक्षता के समर्थक थे। वे RSS की विचारधारा, जिसे वे हिंदू राष्ट्रवाद और साम्प्रदायिकता से जोड़ते थे, के खिलाफ थे. उनका मानना था कि RSS की विचारधारा भारत की बहुलतावादी संस्कृति और सामाजिक समरसता के लिए खतरा हो सकती है. वे धार्मिक आधार पर समाज को बांटने वाली किसी भी विचारधारा का विरोध करते थे.
वैचारिक असहमति:
चंद्रशेखर ने RSS के संगठनात्मक ढांचे और उसके राजनीतिक प्रभाव, खासकर जनसंघ और बाद में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के जरिए, पर सवाल उठाए. वे इसे समाजवादी मूल्यों, जैसे सामाजिक न्याय और आर्थिक समानता, के विपरीत मानते थे. उनकी समाजवादी विचारधारा, जो आचार्य नरेंद्रदेव व लोहिया और गांधी से प्रेरित थी, RSS के केंद्रीकृत और एकल सांस्कृतिक दृष्टिकोण से मेल नहीं खाती थी.
लेकिन जैसे लग रहा था कि चंद्रशेखर फाउंडेशन का यह कार्यक्रम चंद्रशेखर को बीजेपी का समर्थक सिद्ध करने के लिये ही है. चुनचुन कर संघियों को बुलाकर यह बार बार यह सिद्ध किया जा रहा था कि चंद्रशेखर कांग्रेस के कट्टर विरोधी थे और बीजेपी की विचारधारा के साथ रहे.
जब हमें बुलाया गया और जब हमने संघ के सांप्रदायिक फांसीवादी विचारों की चर्चा शुरू ही की थी कि संचालक महोदय के पेट मे जलन होने लगी और बीच में हमें बोलने से रोक दिया गया, यह कहकर कि समय की कमी है, दूसरे दिन अगले सत्र में बोलियेगा...हम समझ गये कि मेरा वक्तव्य बर्दाश्त नहीं हो रहा है. खैर अब दोबारा अगर संचालन संघियों के हाथ में रहेगा तो जाने का कोई मतलब नहीं. यह आयोजन संघियों द्वारा सरदार पटेल, गांधी, अंबेडकर, पं मदनमोहन मालवीय के बाद अब करणी सेना के माध्यम से चंद्रशेखर जी का नायक अपरहण आयोजन बनकर रह जायेगा..
(लेखक अंबेडकर पेरियार समानता मंच राष्ट्रीय संयोजक हैं तथा काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी में प्रोफेसर रह चुके हैं।)
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