September 16, 2024 |

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एमवाई समीकरण हुआ पुराना, केएम (कुर्मी+मुसलमान) का चटख हो रहा रंग

Sachchi Baten

अनुप्रिया पटेल की अगुवाई में यूपी में बन रहा है नया राजनैतिक समीकरण

-अपना दल एस से तेजी से जुड़ रहे मुसलमान, रामपुर के मंडलीय सम्मेलन में दिखा ट्रेलर

-आजम खां के गढ़ में बनी गहरी पैठ, पूर्वांचल के बाद पश्चिमी यूपी में भी धमक

 

राजेश पटेल, मिर्जापुर (सच्ची बातें)। एमवाई समीकरण का रंग फीका पड़ने लगा है। लोकसभा चुनाव के पहले उत्तर प्रदेश में अब केएम समीकरण तेजी से मजबूत हो रहा है। के बोले तो कुर्मी, एम से मुसलमान। इस नए समीकरण का रंग चटख होता जा रहा है। इसकी अगुवाई कर रही हैं अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष केंद्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल।

 

 

सामाजिक न्याय के योद्धा व दूसरी आजादी के लिए आंदोलन के सूत्रधार डॉ. सोनेलाल पटेल द्वारा स्थापित अपना दल को लोग कभी वोटकटवा कहते थे। लेकिन उनके निधन के बाद पार्टी की कमान जैसे ही उनकी बेटी अनुप्रिया पटेल के हाथों में आई, जनाधार तेजी से बढ़ने लगा। कुर्मियों की पार्टी बोले जाने वाले अपना दल एस से सर्वसमाज के लोग तेजी से जुड़ने लगे। अपना दल के साथ मुसलमान पहले भी थे। तभी तो इस पार्टी का पहला विधायक मुसलमान (प्रतापगढ़ सदर से हाजी मुन्ना) ही बना। यह कहें कि विधानसभा में पहुंचने की बोहनी ही मुसलमान से हुई तो बिल्कुल गलत नहीं होगा।

 

 

इस वर्ष हुए उपचुनाव में एनडीए ने रामपुर जनपद की स्वार विधानसभा सीट अपना दल एस को दे दी तो वहां से पार्टी ने शफीक को प्रत्याशी बनाया। लोग कहते थे कि भाजपा के साथ गठबंधन होने के कारण मुसलमान वोट नहीं देगा। सामने आजम खां के पुत्र थे। कभी रामपुर जिला को ही आजम का गढ़ कहा जाता था, लेकिन अपना दल उम्मीदवार शफीक ने आजम के गढ़ को धराशाई कर दिया। भारी मतों के अंतर चुनाव जीते।

 

 

इसके पहले 2022 के विधानसभा चुनाव के समय भी एनडीए ने अपना दल एस के खाते में ही डाल दी थी। पार्टी ने एक नवाब खानदान के हमजा मियां को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन उस बार जीत हाथ से फिसल गई थी। इसके बाद और मेहनत की गई, तब उपचुनाव में सफलता हासिल हुई। इस सफलता में पार्टी नेतृत्व का बड़ा हाथ रहा। अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने कई सभाओं को संबोधित कर विश्वास दिलाया कि उनकी पार्टी सामाजिक न्याय के सिद्धांत को लेकर चलने वाली है। लोकतंत्र के चारो स्तंभों में हर समाज की भागीदारी की पक्षधर है। इसके अलावा कई केंद्रीय नेता वहां चुनाव भर जमे रहे। आजम खां के किले के भेदना आसान नहीं था। इसके लिए गांव-गांव, गली-गली, मोहल्ले-मोहल्ले जाकर लोगों को अपना दल की विचारधारा के बारे में समझाया गया।

 

 

इसका असर गत दो दिसंबर को रामपुर में आयोजित मंडलीय कार्यकर्ता सम्मेलन में देखने को मिला। विशाल गांधी मैदान छोटा पड़ गया। भीड़ छलकने ही नहीं लगी, बाहर तक बहने भी लगी, जिससे पूरा शहर अस्त-व्यस्त सा हो गया था। आयोजन से पहले राजनैतिक पंडित बोल रहे थे कि गांधी मैदान क्या ले लिया। किसी भी नेता या पार्टी की सभा में यह भर नहीं सका था। अपना दल एस तो छोटी पार्टी है। बेइज्जती हो जाएगी, लेकिन दो दिसंबर को जब आम से लेकर खास तक का रुख गांधी मैदान की ही ओर देखा तो बोलती बंद हो गई।

 

 

विशाल गांधी मैदान में तिल रखने तक की जगह नहीं बची थी। जितने मैदान में थे, उससे कहीं ज्यादा बाहर भी थे। भारी भीड़ ने पूर्व की वर्जनाओं को तोड़कर एक बड़ी लकीर खींच दी। साबित कर दिया कि यदि नेता की नीति और नीयत सही हो तो लोग साथ आएंगे ही।

 

 

रामपुर के सम्मेलन ने पूर्वांचल के भी मुसलमानों को सकारात्मक संदेश दिया कि अपना दल एस पार्टी ही उनके लिए मुफीद है, जहां जाति व धर्म नहीं, सामाजिक न्याय की बात होती है। सामाजिक न्याय माने, सभी के साथ न्याय।

बता दें कि उत्तर प्रदेश में कुल आबादी में करीब 14 फीसद कुर्मी हैं। 20 फीसद के आसपास इस्लाम धर्म मानने वाले हैं। दोनों को मिला देने पर 34 फीसद होता है। इतनी बड़ी आबादी यदि एक हो जाए तो अपना दल एस को सत्ता में आने से कोई रोक नहीं सकता। यह हो भी रहा है। मुसलमानों का सपा से तेजी से मोहभंग हो रहा है। कांग्रेस मृतप्राय है। पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत ही लचर रहा है। अब मुसलमान तेजी से बढ़ते हुए अपना दल एस से जुड़ने लगे हैं। इसकी शुरुआत पश्चिम से हो चुकी है। पूरब में भी सुगबुगाहट शुरू है।

 

 


Sachchi Baten

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