September 10, 2024 |

BREAKING NEWS

- Advertisement -

‘INDIA’ : ‘इंडिया’ से लड़ने के लिए मोदी को ‘पुरखे’ याद आए

Sachchi Baten

 

2024 का लोकसभा चुनाव एनडीए के लिए जीवन-मरण वाला

दिलचस्प होगी INDIA V/S NDA की लड़ाई

‘INDIA’ की आवाज को दबाने की रणनीति राह आसान करेगी एनडीए की

राजेश पटेल, मिर्जापुर (सच्ची बातें)। बेंगलुरु में विपक्ष के 26 दलों की बैठक का नतीजा चाहे जो भी रहा हो। लेकिन एक बात साफ हो गई कि इससे एनडीए खासकर भाजपा बहुत घबरा गई है। विपक्ष के गठबंधन ‘इंडिया’ इंडियन नेशनल डेवेलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस (INDIA) ने ‘एनडीए’ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सेनापति पीएम नरेंद्र मोदी को पुरखों की याद दिला दी। उन्होंने अपने भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी तथा राम मंदिर आंदोलन को धार देने वाले लालकृष्ण आडवाणी का जिक्र किया। कहा कि एनडीए का गठन आज से 25 साल पहले इन्हीं दोनों नेताओं ने किया था।

 

दरअसल भारतीय जनता पार्टी जानती है कि देश में आम जनमानस में इस समय उसके खिलाफ नाराजगी है। इसका खामियाजा आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 में भुगतना पड़ सकता है। यदि 2024 में सत्ता से बाहर हुए तो वापस लौटना काफी मुश्किल होगा। इसी वजह से एनडीए खासकर भारतीय जनता पार्टी में खासी बेचैनी देखी जा रही है।

1998 में अटल-आडवाणी के प्रयासों से 16 दलों से बने एनडीए की 18 जुलाई को दिल्ली के अशोका होटल में आयोजित बैठक में 38 दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। सभी ने एक स्वर से नरेंद्र मोदी की सरकार तीसरी बार भी बनवाने का संकल्प लिया।

इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने विपक्ष पर कई गंभीर आरोप लगाए। उनकी बेंगलुरु की बैठक का मजाक उड़ाया। उन्होंने अपने भाषण में विपक्ष को गठबंधन को मजबूरी वाला बताया। भ्रष्टाचार वाला कहा। उसके नेताओं को एक-दूसरे का विरोधी भी करार दिया। एनडीए को बिल्कुल पाक-साफ बताया। दुनिया में भारत का नाम रौशन करने वाला कहा। विकासोन्मुखी बताया। कहा कि एक ‘अकेला’ से लड़ने के लिए इतने दल एकजुट हो रहे हैं।

 

प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार भी मौजूूद थे। पवार फेमिली पर प्रधानमंत्री ने कई बार भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। अजित पवार का नाम महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक लोन घोटाला में है।

आर्थिक अनुसंधान विंग ईओडब्ल्यू इसकी जांच कर रहा है। सिंचाई घोटाले में भी भाजपा पवार परिवार का जिक्र करती रहती है। 2014 के चुनाव में तो महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी के नेता हर भाषण में इस घोटाले का जिक्र करते थे।

अजित पवार के साथ भाजपा सरकार में शामिल होने वाले छगन भुजबल पर भी 2006 में पीडब्ल्यूडी मंत्री रहते 100 करोड़ रुपये के कांट्रैक्ट में गड़बड़ी का आरोप है। ईडी की जांच के दायरे में भी हैं। हसन  पर ईडी ने गंभीर आरोप लगाए हैं। इनको हाईकोर्ट से फौरी राहत मिली है। अभी भी इनके तीन बेटों की अग्रिम जमानत अर्जी विचाराधीन है। रही बात प्रफुल्ल पटेल की तो इन पर 2019 में आरोप लगे कि दाउद इब्राहिम और इकबाल मेनन को जो बिल्डिंग मिली है, उसमें संलिप्त हैं।

इसी तरह से जुलाई 2015 में, भाजपा ने ‘कांग्रेस शासित राज्यों में घोटालों की गाथा’ शीर्षक से एक पुस्तिका जारी की। पुस्तिका में असम कांग्रेस नेता हिमंत बिस्वा सरमा का विशेष उल्लेख था।

इसने उन्हें गुवाहाटी जल आपूर्ति घोटाले में ‘प्रमुख संदिग्ध’ बताया। सारदा चिटफंड घोटाले में भी उनसे सीबीआई ने पूछताछ की थी। बुकलेट जारी होने के बमुश्किल एक महीने बाद सरमा ने दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात की और कुछ समय बाद पार्टी में शामिल हो गए। आज वह भाजपा के पूर्वोत्तर के बड़े नेता हैं। उनके घोटाले धुल गए। 

नारायण राणे की पार्टी महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष एनडीए का अंग है। जब महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे कांग्रेस में थे, तब भाजपा ने उन्हें राज्य का सबसे भ्रष्ट नेता करार दिया था। 

2016 में भाजपा सांसद किरीट सोमैया ने प्रवर्तन निदेशालय के संयुक्त निदेशक सत्यब्रत कुमार को पत्र लिखकर राणे और उनके परिवार द्वारा संचालित कंपनियों की जांच की मांग की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि राणे ने मध्य मुंबई में एक निर्माणाधीन लक्जरी आवासीय परियोजना, वन अविघ्ना पार्क में टैक्स हेवेन से पैसा निकाला।

राणे ने कांग्रेस छोड़ दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की। राणे ने एक नई पार्टी महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष बनाई और एनडीए में शामिल हो गए। आज केंद्र में मंत्री भी हैं। प. बंगाल से मुकुल रॉय, उत्तराखंड से विजय बहुगुणा सरीखे तमाम नेता आज या तो बीजेपी में शामिल हो गए हैं, या अपनी पार्टी बनाकर एनडीए का अंग बने हुए हैं। अब उनपर भ्रष्टाचार की बात कोई नहीं करता। 

भारतीय जनता पार्टी जानती है कि इन सब बातों की चर्चा आम जनता में होती है और इससे उसके प्रति नकारात्मकता बढ़ रही है। इन चर्चाओं को रोकना भी इसे आता है। जब भी देश में ऐसी चर्चा शुरू होती है तो कोई न कोई ऐसा मुद्दा सामने आ जा जाता है कि पहले की चर्चा पर यह हावी हो जाता है। कभी द कश्मीर फाइल अचानक सामने आ जाती है तो कभी द केरला स्टोरी। इस समय मणिपुर जल रहा है तो पाकिस्तान की सीमा में जनता उलझी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 जुलाई को दिल्ली के अशोका होटल में जिस अंदाज में भाषण दिया, उससे लगा कि उनको इन नकारात्मक चर्चाओं की फिक्र नहीं है। वह और जोर-जोर से चिल्लाएंगे की विपक्ष ही चोर है। सभी भ्रष्टाचारी हैं। सब भ्रष्टाचारी मिलकर एक अकेला के पीछे पड़े हैं। भाजपा जानती है कि उसे विपक्ष का जवाब कैसे देना है। कैसे उसकी आवाज दबानी है। शायद इसीलिए 18 जुलाई को ही एनडीए की बैठक दिल्ली में रखी गई। इसी दिन बेंगलुरु में विपक्ष की भी जुटान थी। इससे मीडिया के समय का बंटवारा तो होगा ही, साथ में प्रायोजित होने के कारण प्रधानमंत्री को ज्यादा तवज्जो भी मिलेगी। यह मिला भी।

इंडियन नेशनल डेवेलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस (INDIA) इंडिया की आवाज को दबाने की रणनीति ही एनडीए को 2024 में सत्ता की राह आसान करेगी, यह कहना किसी भी दृष्टि से अनुचित नहीं होगा। इसी रणनीति पर भाजपा काम कर रही है।


Sachchi Baten

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

Leave A Reply

Your email address will not be published.