September 16, 2024 |

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Mirzapur : मिर्जापुर के प्राकृतिक सौंदर्य पर प्रशासनिक विफलता का ताला

Sachchi Baten

हादसों की आड़ में लखनिया दरी, चूना दरी जलप्रपात तथा भलदरिया पर नो इंट्री


-पर्यटन स्थलों पर सैलानियों के प्रवेश पर लगी प्रशासनिक रोक से झील, झरनों का प्राकृतिक सौंदर्य वीरान

-प्रकृति के शृंगार को कोई देखने वाला नहीं, झरनों का कल-कल सुनने वाला भी नहीं

राजेश पटेल, अहरौरा (सच्ची बातें)। वह शृंगार किस काम का, जिसे कोई निहार ही न सके। मिर्जापुर के मुख्य पर्यटन स्थलों में शुमार अहरौरा के पास लखनिया दरी, चूना दरी तथा भलदरिया की स्थिति ठीक ऐसी ही है। इन स्थानों पर जाने से रोक है। पुलिस का पहरा रहता है। इसका कारण हादसों को बताया जा रहा है, लेकिन चर्चा हो रही है कि इन जलप्रपातों पर प्रशासनिनक विफलता का ताला लगाने के पीछे कारपोरेट का दबाव भी है।

सुरक्षा कारणों की आड़ में प्रशासन ने पर्यटन स्थल लखनिया दरी, चूना दरी जलप्रपात तथा भलदरिया पर हादसों को रोकने के लिए पर्यटन पर ही प्रतिबंध लगा रखा है, जिससे बारिश के मौसम में झरनों पर पिकनिक का लुत्फ उठाने वाले पर्यटक मायूस हैं।

सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जल प्रपातों के विकास के लिए बजट दे रही है। लेकिन जिला प्रशासन का रुख कुछ और है। इसके चलते सैलानी निराश होकर जल प्रपात से वापस लौट रहे हैं। जो संपन्न हैं, वह लखनिया दरी के पास ही स्थित एक निजी कंपनी द्वारा संचालित एक्वा जंगल की सैर कर अपना शौक पूरा कर रहे हैं। इसके लिए उनको निर्धारित फी अदा करनी पड़ती है। पर्यटन का पूरा बजट ही जिसका उस फी के बराबर है, वह निराश लौट जा रहा है। अभी कुछ दिनों पूर्व 70 लाख़ रुपये लखनिया दरी जल प्रपात के विकास के लिए जारी किया गया है। प्रशासनिक रोक के चलते विकास बाधित पड़ा है।

सुरक्षा की विफलता का नतीजा है प्रशासनिक रोक
लखनिया दरी जल प्रपात व चूना दरी जल प्रपात पर प्रशासनिक रोक सुरक्षा खामियों का नतीजा है। पर्यटन स्थल पर जिस जगह पर डेंजर जोन है, उसे चिह्नित करते हुए सुरक्षित किया जाना चाहिए। लेकिन उसके लिए प्रशासन को कमर कसनी पड़ेगी। और थोड़ी मेहनत करते हुए गहरे कुंड की सुरक्षा के इंतजाम में सुनिश्चित कराते हुए उसे लोहे के तार से घेराबंदी किया जाए तो सैलानियों के साथ हो रही दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकेगा।

शासन ने सैलानियों की सुरक्षा का मामला बता लखनिया दरी व चूनादरी जलप्रपात सहित अन्य कई पर्यटन स्थलों पर रोक लगा दी है। पुलिस और पीएसी के जवानों द्वारा जल प्रपात के गेट से ही सैलानियों को वापस भेज दिया जा रहा है।

लखनिया दरी व चूना दरी का सौंदर्य ऐसा कि निहारते ही रहें

सैकड़ों फीट की ऊंचाई पर स्थित पहाड़ों के शिखर से गिरते हुए झरनों की कल कल करती हुई ध्वनि, चट्टानों से टकराकर कर छलकता हुआ पानी चारों ओर हरियाली एवं झरने में दूध जैसी सफेदी देखकर नजर मोहित होकर ठहर जाती है। शांति एवं सुकून महसूस होता है। पर्यटन विभाग द्वारा सैलानियों को बताया जा रहा है कि चूना दरी केवल एक जल प्रपात नहीं, बल्कि यह ऋषि मुनियों की तपस्थली का जीवंत अनुभव भी है।

चूना दरी जल प्रपात में डूबने से हुई थी सैलानियों की मौत
चूना दरी जल प्रपात के गहरे कुंड में विगत कुछ वर्षों में सैलानियों की डूबने से मौत हो गई थी। उसके बाद से प्रशासन ने चूना दरी ही नहीं, लखनिया दरी जल प्रपात को भी सैलानियों के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया।

हालांकि प्रशासन ने सुरक्षा का इंतजाम कराकर इन पर्यटन स्थलों को पर्यटकों के लिए खोलने का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक जल प्रपात पर लगी रोक हटाई नहीं जा सकी है, जिससे पर्यटकों में मायूसी है।

नोट-सभी फाइल फोटो हैं।


Sachchi Baten

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