कोई चला रहा रेल तो कोई खंगाल रहा अंतरिक्ष के रहस्यों को
-करीब पांच हजार की आबादी में हर जाति-धर्म के लोगों ने पहले से ही समझा शिक्षा के महत्व को
-यहीं के निवासी स्व. शिवनरायन जायसवाल बने थे रांची के पहले मेयर
-पद्मविभूषण प्रो. राजाराम शास्त्री थे बनारस के सांसद तथा काशी विद्यापीठ के वाइस चांसलर भी
-बियार जाति में अपने समय में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे थे स्व. प्रभुनारायण संदल
-पुलिस में डीएसपी पद से रिटायर हुए हैं रामनरायन सिंह
-आज भी सैकड़ों लोग छोटी-बड़ी नौकरियों के चलते रहते हैं गांव से दूर
-वकालत में तो बिहार से लेकर प्रयागराज तक कभी बोलती थी तूती
राजेश कुमार दुबे, जमालपुर/मिर्जापुर (सच्ची बातें)। मिर्जापुर जिले के जमालपुर गांव को ऐसे ही नहीं पूरे ब्लॉक का केंद्र बिंदु माना जाता है। जमालपुर में ही थाना है। ब्लॉक मुख्यालय है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है। इंटर कॉलेज है। बालिकाओं के लिए अलग से जूनियर हाईस्कूल है। डाकखाना है। राष्ट्रीयकृत बैंक है। दो प्राथमिक विद्यालय।
यह सब ऐसे ही नहीं हो गया। यहां के लोग शिक्षा के प्रति पहले से ही जागरूक हैं। तभी न इतने सार्वजनिक संस्थानों की स्थापना हो सकी। आश्चर्य की बात यह है कि खेती को भी उतना ही महत्व देते हैं, जितनी शिक्षा को। तमाम लोग तो अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए बनारस या रामनगर रहते हैं, लेकिन खेती के काम से प्रतिदिन जमालपुर आ जाते हैं। जमालपुर बाजार में भी कुछ लोगों का बिजनेस इतना बड़ा है कि चाहें तो खेती न करें, लेकिन वे भी खेती करते हैं।
जमालपुर गांव की आबादी मिश्रित है। कुर्मी, ब्राह्मण, बियार, कुम्हार, कुशवाहा, चमार, गड़ेरिया, सोनार, बनिया, बारी, खटिक, धोबी, जायसवाल, कहार, नाई, तेली, लोहार आदि जातियों के लोग हैं। मुसलमान भी हैं। सभी का ध्यान शिक्षा पर। तभी तो इस गांव के लोग हर क्षेत्र में पहले से ही आगे हैं।
स्व. शिवनाथ सिंह सासाराम में वकालत करते थे। इनके बेटे देवेंद्रनाथ सिंह सासाराम तथा रवींद्रनाथ सिंह भभुआ में वकील रहे। इसी परिवार के अनिल सिंह प्रयागराज में वकील, डॉ. सुनील सिंह आरएमएल लखनऊ में चिकित्सक हैं। 1970 में बीएचयू से ग्रेजुएशन करने वाले जगतंबा सिंह कृषि को ही प्रधानता दी। चाहते तो उस समय बड़ी सरकारी नौकरी मिल सकती थी। इसी परिवार के अमित सिंह ने एमफिल करने के बाद कृषि को ही चुना। मनोज सिंह ने एमए करके तथा जयेंद्र सिंह कानून की डिग्री हासिल करने के बाद भी खेती ही करते हैं. अशोक सिंह मिर्जापुर में वकालत करते हैं था विनोद सिंह वाणसागर परियोजना में जेई हैं।
इसी गांव के जमींदार शिवदास सिंह आजादी के बाद 18 साल लगातार प्रधान रहे। इन्होंने जमालपुर ब्लॉक और थाना के लिए जमीन दान दी। वर्तमान में इनके पौत्र सुशील सिंह प्रधान हैं।
पद्मभूषण प्रो. राजाराम शास्त्री भी जमालपुर के ही थे। वाराणसी के सांसद और काशी विद्यापीठ वाराणसी के कुलपति रहे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के भी सदस्य रहे। इनके पुत्र डॉ. गिरीश शास्त्री काशी विद्यापीठ में प्रोफेसर रहे। डॉ. गिरीश की पत्नी डॉ. गायत्री जायसवाल साइको विभाग काशी विद्यापीठ में प्रोफेसर रहीं। इसी परिवार के शिवनरायन जायसवाल रांची के पहले मेयर रहे। जिनके परिवार के लोगों ने अपने पूर्वज के नाम तुलसी राम जायसवाल मेमोरियल हॉस्पीटल का निर्माण जमालपुर में अपनी जमीन पर कराया। इस समय यही सरकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बन चुका है। इसके साथ ही बालिका शिक्षा के लिए जूनियर हाईस्कूल का निर्माण कराया।
गांव के ही सामान्य किसान शिव प्रसाद सिंह पंचायती राज एक्ट लागू होने के बाद लगातार तीन बार प्रधान रहे। इसमें एक बार निर्विरोध निर्वाचित हुए थे। इनके बेटे प्रदीप सिंह डॉक्टर हैं। वशिष्ठ सिंह इंजीनियर। शिवप्रसाद सिंह के छोटे भाई स्व. मोहन सिंह पुलिस दारोगा थे। इनके बेटे डॉ. मुकेश सिंह उर्फ जगदीप सिंह चिकित्सक। अमरदीप सिंह उर्फ राजा फेडरल बैंक ऑफ इंडिया में सहायक शाखा प्रबंधक हैं। सबसे बड़े बेटे कुलदीप सिंह का दवाओं का कारोबार है।
इसी गांव के निवासी रामनरायन सिंह डीएसपी से रिटायर हुए। इनके पौत्र दिग्विजय सिंह जिला पंचायत सदस्य हैं। भतीजा चंद्रभूषण सिंह हाईस्कूल डेढ़ौना में प्रधानाचार्य तथा सुभाष सिंह प्रधान रहे। शक्ति सिंह सिविल इंजीनियर हैं।
हरिशंकर सिंह हैदराबाद रिसर्च सेंटर में इमारत एयरक्राफ्ट मिसाइल टैंक में कार्यरत हैं। शिवमूरत सिंह आजीवन सरपंच एवं मुखिया रहे। रामप्रकाश सिंह सहारनपुर में अंग्रेजी के प्रवक्ता हैं। डेढ़ौना हाईस्कूल में महेंद्र सिंह शिक्षक हैं।
अन्य जातियों में डॉ. विवेकानंद, डॉ. दिलीप गुप्ता, अलाउद्दीन जेई बिजली, अमीनुद्दीन आइटीआइ शिक्षक प्रतापगढ़, सलीमुद्दीन जेई बिजली विभाग बलिया, ऋषिकेश मौर्या, श्रीकांत मौर्या, सुजीत मौर्या लोको पायलट हैं। इसी परिवार की शकुंतला देवी मौर्य जमालपुर की प्रधान थीं। जय प्रकाश मौर्य जेई डीवीसी में है। अनुपम जायसवाल दारोगा, इनके भाई प्रिंस जायसवाल पॉलिटेक्नीक में अस्सिटेंट प्रोफेसर हैं।
स्व. बांसदेव मिश्रा नामचीन पहलवान व शिक्षक रहे। कल्लू यादव की भी गिनती बड़े पहलवानों में होती थी। इनके पौत्र सोना यादव भी एक बार इस गांव के प्रधान रहे।
समाज में सबसे अशिक्षित मानी जाने वाली जाति बियार में प्रभुनरायन संदल सिंचाई विभाग में हेड क्लर्क थे। इनके ज्येष्ठ पुत्र भोलानाथ बच्चन बड़े पत्रकार एवं समाजसेवी हैं। इनके शिष्य कई बड़े अखबारों के आज संपादक हैं। स्व. मुन्ना बच्चन जमालपुर के प्रधान रहे। मुन्ना के पुत्र श्रीकांत संदल सिविल इंजीनियर हैं। पप्पू बच्चन के पुत्र अमोल संदल वकील हैं। बियार जाति से ही एकमात्र दशरत बियार सिपाही हैं।
अति पिछड़ी जाति से जित्तू राम खरवार शिक्षक रहे। इनके पौत्र संतोष खरवार वकील हैं। राजन खरवार लेखपाल चंदौली में हैं। मुस्लिम भांट स्व. बलदेव राना द्वारा पढ़ाए दर्जनों लोगों ने बड़े पदों को सुशोभित किया। मुस्लिम सुद्धू प्रसाद शिक्षक रहे। मो. कादिर पुलिस में थे। डॉ. वाहिद रहमान बिहार में मुख्य चिकित्साधिकारी रहे।
चौकीदार ने प्रधान के चुनाव में जमींदार को हरा दिया था
चौकीदार रामनिहोर राम थे। इनके बाद खेदारू राम एमए, खेदारू के पुत्र इंटर पास शिवमंगल राम भी चौकीदार रहे। इनके ही परिवार के पहले दलित प्रधान राममूरत राम चुने गए। इन्होंने जमालपुर के जमींदार शिवदास सिंह को हराया था। इसी परिवार के अजय कुमार और संजीव कुमार जेई पद पर कार्यरत हैं।