बापू की जयंती के उपलक्ष्य में – महात्मा गांधी के चित्र वाला एक डाक टिकट बना सकता है करोड़पति, जानिए विस्तार से
1948 में गांधी पर जारी 10 रुपये का SERVICE डाक टिकट दुनिया में है सबसे कीमती
– 200 डाक टिकट जारी किए गए थे 1948 में, बाजार में आए थे मात्र 10
-गांधी की यादों संजोए हुए हैं धनबाद के अमरेंद्र आनंद अपनी आनंद हेरिटेज गैलरी में
राजेश पटेल, मिर्जापुर (सच्ची बातें)। कोई कितना भी ढोल बजा ले, लेकिन अपना भारत, अपना इंडिया पूरी दुनिया में महात्मा गांधी के ही नाम से ही जाना जाता है। हालांकि भारत मेंं उनके विचारों का प्रचार करने वाली संस्थाओं पर हमला निरंतर जारी है। बापू की सर्वग्राह्यता ही हैै कि उनके चित्र के साथ छपा एक डाक टिकट आज अनमोल हो गया है। मात्र 10 रुपये का यह डाक टिकट जिसके पास भी है, वह निश्चित रूप से करोड़पति है।
दो अक्टूबर 2023 को गांधी के जन्म के 154 वर्ष पूरे हो जाएंंगे। उनका जन्म दो अक्टूबर 1869 को हुआ था। अपनी आनंद हेरिटेज गैलरी में गांधी से जुड़ी यादों को संजो कर रखने वाले धनबाद केे अमरेंद्र आनंंद ने बताया कि भारत में किसी भी क्षेत्र के संग्रह कर्ताओं के लिए गांधी न केवल अच्छा विषय है, अपितु उनपर सामग्रियों की उपलब्धता भी सर्वाधिक है। भारत में तो नुमिस्मेटिक एवंं फिलेटली गांधी के बिना सोचा भी नहीं जा सकता। सर्वाधिक सिक्के गांधी पर ही जारी हुए हैं।
उनके जन्म की सौवीं वर्षगांठ 1969 में इन पर स्मारक कागजी मुद्रा जारी की गई थी। भारत में 1955 स 1958 तक खादी ग्रामोद्योग आयोग द्वारा एक समानांतर कागजी मुद्रा खादी हुंडी चलाई गई थी, जिसपर गांधीी की फोटो थी।
एक अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, अंतिम बार जिनेवा में हुई नीलामी में इस डाक टिकट को दो लाख डॉलर (करीब एक करोड़ 30 लाख रुपये) में बेचा गया था। अगर किसी के पास गवर्नर जनरल की ‘कैंसिल’ की गई वास्तविक डाक टिकट हो तो उसकी कीमत करोड़ों रुपये में है।
आजादी से पहले भारत में ब्रिटिश सरकार का डाक टिकट चलता था। आजादी के बाद भारत सरकार ने अपना डाक टिकट जारी किया। इस दौरान ब्रिटिश सरकार को अपने दफ्तर बंद करते समय डाक टिकटों की आवश्यकता पड़ी। तब भारत सरकार ने 1948 में गांधी की तस्वीर वाली 10 रुपये के यह ‘सर्विस’ टिकट सिर्फ 200 जारी किए थे। इनमें से 100 डाक टिकट उस वक्त के गवर्नर जनरल ऑफ इंडिया को इस्तेमाल के लिए दिए गए। बाकी 100 डाक टिकट में से कुछ अधिकारियों को दिए गए और कुछ आज भी डाक संग्रहालय में उपलब्ध हैं। केवल 10 टिकट ऐसे थे, जो बाहर बाजार में आए। यही कारण है कि यह टिकट बेशकीमती बन गया है।
फर्जी टिकटों की भरमार
अगर आप इसे ऑनलाइन खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो सावधान रहें। क्योंकि, इसकी कीमत जानने के बाद ऑनलाइन ऐसे फर्जी टिकटों की भरमार हो गई है। ऑनलाइन इंक्वायरी डालने पर दर्जनों ऐसे फर्जी डाक टिकट सामने आते हैं, जिन पर ‘सर्विस’ अंकित होता है। लेकिन, यह वास्तविक टिकट नहीं है। क्योंकि, यह तत्कालीन गवर्नर जनरल द्वारा ‘कैंसिल’ नहीं किए गए हैंं। दुर्लभ टिकट वही है, जिसे जनरल ने कैंसिल किया था।