September 16, 2024 |

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सफलता की कहानी : पढ़ने व पढ़ाने को ही जीवन का बनाया ध्येय

Sachchi Baten

मेहनत, लगन और अनवरत संघर्ष की कहानी, पटेल आशीष उमराव की जुबानी…

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिला के ग्रामीण परिवेश से निकलकर सन 2000 में अपने मामाजी के बड़े लड़के बड़े भैया प्रवीण वीर विक्रम जी के साथ आगे की पढ़ाई के लिए रुड़की शिफ्ट हो गया। 2002 का रुड़की, जिला हरिद्वार, उत्तराखंड में वो दौर जब मैं पढ़ाई के साथ अपने रेंट और डेली खर्चे के लिए संघर्ष कर रहा था।

उस दौरान आईआईटी रुड़की के कई प्रोफेसर्स को उनके ऑफिस या घर जाकर कंप्यूटर एवं इंटरनेट की बेसिक जानकारी सिखाया करता था। उन दिनों उनके ऑफिस में कंप्यूटर लगे ही थे। कोई भी कंप्यूटर फ्रेंडली नहीं था। एक दिन एक प्रोफेसर मेहरोत्रा सर जिनको उनके घर कंप्यूटर सिखाने जाता था, जो लखनऊ के रहने वाले थे ऐसे ही पूंछने लगे बेटा इसके अलावा आप क्या करते हैँ।

मैंने बोला सर पढ़ाई चल रही है। साइड में खर्चे के लिए ये कर रहा हूं। उन्होंने कहा अगर आप जॉब करना चाहें तो एक कंपनी में कंप्यूटर एक्सपर्ट की जरुरत है। उनको पार्ट टाइम भी दोगे तो चलेगा। मैंने कहा सर ठीक है। आप कल बात करके बताईयेगा।

उन्होंने उसी शाम कंपनी डायरेक्टर से बात की और अगले ही दिन मुझे कंपनी डायरेक्टर से मिलने के लिए बोला। मैं उसी दिन शाम के समय उनसे मिला। प्रोफेसर सर के रिकमंडेशन और मेरे कंप्यूटर ज्ञान की वजह से उन्होंने अगले दिन से ज्वाइन करने के लिए बोला।

मैं बहुत खुश था कि एक परमानेंट इनकम स्टार्ट हो जाएगी और गुजारा अच्छे से चल जाएगा। कुछ पैसे घर भी भेज पाऊंगा। तुरंत एक पीसीओ में गया और अपने पिताजी को किसी और के यहाँ फ़ोन करके बात कराने के लिए बोला। 20 मिनट बाद दुबारा कॉल कर पापाजी को सारी बात बताई वो भी बहुत खुश हुए।

ये सिलसिला एक साल चलता रहा। मन लगाकर काम करने की वजह से ही जल्दी ही इन्क्रीमेंट भी लग गया। वहां मैंने कंपनी कल्चर को बहुत बारीकी से सीखा और समझा। इसी बीच मेरी एमएससी (आई टी) भी कम्पलीट हो गयी और मैंने एमटेक (आई टी) के लिए देहरादून में एनरोलमेंट करवा लिया। लेकिन मेरा पूरा मन तो पढ़ने और पढ़ाने का ही था।

एक साल बाद 2003 में एक कॉलेज (कॉलेज ऑफ़ एडवांस टेक्नोलॉजी एंड साइंस) से कंप्यूटर फैकल्टी का ऑफर आया, जिसमें BCA, MSc और PGDCA के छात्रों को पढ़ाना था। मैं अपने आप को रोक नहीं पाया। अच्छा ऑफर होने की वजह से तुरंत कॉलेज ज्वाइन कर लिया और कंपनी से रेजिग्नेशन दे दिया।

यहाँ डायरेक्टर ने मुझ पर भरोसा किया और मैंने भी काफ़ी मेहनत से सभी सब्जेक्ट्स में अच्छी कमांड कर ली। इस दौरान मैंने एक पुराना मोबाइल ले लिया। इसी बीच आईआईटी के बीटेक और एमटेक के स्टूडेंट मेरे संपर्क में आने लगे, जिनको कंप्यूटर लैंग्वेज (कंप्यूटर साइंस) सीखनी होती थी।

कुछ स्टूडेंट के ग्रुप ने मुझे अलग से पढ़ाने के लिए संपर्क किया। चूंकि मैंने IIT रुड़की के गेट के पास ही रेंट पर रूम लिया हुआ था। मैं कॉलेज में पढ़ाने के बाद उनको अपने रूम पर बुलाकर पढ़ाने लगा। देखते ही देखते आईआईटी के साथ साथ रुड़की के कई दूसरे इंजीनियरिंग कॉलेज के स्टूडेंट संपर्क करने लगे और तकरीबन 2004 में मैंने अपने उमराव कंप्यूटर क्लासेज की स्थापना रुड़की में की।

मैंने कॉलेज में बात की कि सर मैं पूरा समय नहीं दे सकता। आप चाहें तो कुछ पार्ट टाइम दे सकता हूं। कॉलेज वाले तैयार हो गए। क्यूंकि वहां के स्टूडेंट्स में भी मेरी अच्छी गुडविल बन चुकी थी। अब मैं अपने क्लासेज में काफ़ी समय देने लगा।

इसी दौरान रुड़की के ही कई दूसरे कॉलेज से भी पढ़ाने के लिए कॉल आने लगे। क्यूंकि उस समय Java और DotNet लैंग्वेज रुड़की में पढ़ाने वाले एक या दो ही लोग थे। मैंने एडवांस टेक्नोलॉजीज पर काफ़ी मेहनत कर अपनी पकड़ बनाई। इसी बीच एडवांस कंप्यूटिंग में आईआईटी रुड़की से कई सर्टिफिकेट कोर्स भी किये।

अब मैं 2005 आते-आते दो कॉलेज में पार्ट टाइम और अपनी क्लासेज में पढ़ाने लगा। इस दौरान बहुत सारे इंस्टीट्यूट भी 1 या 2 घंटे के बैच के लिए बुलाने लगे। मेरा सारा समय पढ़ने और पढ़ाने में लगा रहता था। कई बार तो खाना बनाने और खाने का भी समय नहीं मिलता था।

काफ़ी समय तक तो एक समय भोजन करके गुजारा होता था। ये सिलसिला 2007 तक चलता रहा। इस दौरान मुझे रुड़की इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडीज, के. एल. पॉलिटेक्निक रुड़की, अपटेक कंप्यूटर एजुकेशन, निट कंप्यूटर एजुकेशन, GIIT आदि में सैकड़ों छात्रों को पढ़ाने का मौका मिला।

2007 में मैं गुरु द्रोणाचार्य कोचिंग के चेयरमैन डॉ. विजय अरोड़ा साहब के संपर्क में आया। उन्होंने बताया कि हमें अपने संस्थान की रुड़की और हरिद्वार शाखा ओपन करनी है। कोई एजुकेशन फील्ड का ऐसा व्यक्ति चाहिए, जिसे एजुकेशन फील्ड का अच्छा एक्सपीरियंस हो।

मैंने कहा बताते हैं। सर आप ओपन कीजिये, जो भी मदद हो सकती है की जाएगी। मैंने कभी नहीं सोंचा था मैं अपनी फील्ड चेंज करूँगा। उन्होंने एक दिन बोल ही दिया आप ही जुड़ जाइये ग्रुप से। मेरे लिए ये डिसिशन लेना आसान नहीं था। सब कुछ छोड़ कर अपना जमा जमाया काम फील्ड चेंज करना। फिर मैंने हिम्मत की। मेरे लिए ये टर्निंग पॉइंट था। 2007 से मैंने गुरु द्रोणाचार्य रुड़की ब्रांच को असिस्ट करना प्रारम्भ किया। 2008 में हमने हरिद्वार ब्रांच भी ओपन कर दी। दोनों ही जगह बहुत अच्छा रिस्पांस था।

हमारे पास बिजनौर से लेकर मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, हरिद्वार तक के स्टूडेंट्स आते थे। ये सिलसिला चलता रहा और फाइनली हमने 2010 में सहारनपुर और देहरादून शाखा भी ओपन कर दी। इस दौरान 2019 तक हमने 5000 से अधिक बच्चों को मेडिकल एवं आईआईटी की कोचिंग दी, जिसमें से सैकड़ों हमारे पढ़ाये हुए विद्यार्थी अलग अलग मेडिकल कॉलेज और आईआईटीज एवं एनआईटीज में पढ़कर टॉप हॉस्पिटल एवं MNC में कार्यरत हैँ।

इस दौरान मैंने 50000 से ज्यादा छात्रों को फ्री कैरियर काउंसलिंग के माध्यम से आईआईटी, जेईई और मेडिकल एंट्रेंस के लिए मोटीवेट किया। आगे भी ये सिलसिला जारी है।

इसी बीच अपनी राजनीतिक रुचि की वजह से कई बार अपना दल (एस) के कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री आशीष पटेल कैबिनेट मंत्री उत्तरप्रदेश सरकार से पार्टी ज्वाइन करने को लेकर बात हुई। और, मुझे राष्ट्रीय सचिव युवा मंच की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी।

इसके बाद 2020 में एक और टर्निंग पॉइंट आया। कोविद की वजह से एक साल का लॉकडाउन होने के बाद हमने लखनऊ शिफ्ट होने का मन बना लिया। यह सोच कर कि यहां तो काम चल ही रहा है। अब हम लखनऊ और आस पास के जिलों में भी अपनी शाखाएं खोलेंगे। घर के पास भी रहेंगे और पैरेंट्स की केयर भी जरुरी है।

इसी समय मेरी पत्नी के एमटेक के बाद आईआईटी रुड़की से पीएचडी भी कम्पलीट हो गयी, लेकिन 2021 फरवरी में लखनऊ आने के बाद दूसरी कोरोना की लहर में मेरे प्रेरणास्रोत मेरे पूज्य पिताजी का कोरोना के चलते कोविड इन्फेक्शन से 16 मई 2021 को निधन हो गया।

इस दुःखद घड़ी में सभी वरिष्ठ स्वजनों, परिवारजन एवं ग्रामवासियों ने मेरा बहुत सहयोग किया। ऐसे समय में मेरी बड़ी बहन सुचिता और जीजाजी श्री जय प्रकाश जी और मेरे शुभचिंतकों ने बहुत साहस दिया।

लॉकडाउन खुलने पर हमने अगस्त 2021 में लखनऊ में अपने संस्थान की शाखा प्रारम्भ की। अपनी मेहनत, लगन और विश्वास से हमें सही स्टार्ट मिल गया। मेरे 5 साल के शिक्षण अनुभव एवं 15 साल तक एक संस्थान और उसकी अन्य शाखाओं के संचालन का अनुभव और एजुकेशन फील्ड की नॉलेज को देखते हुए इस दौरान मुझे एक एडुटेक कंपनी से बिज़नेस कंसलटेंट के तौर पर एक अच्छा ऑफर आया।

आप सभी बड़ों के आशीर्वाद से अगस्त 2022 से अपनी शाखा संचालन के साथ ही i30 एडुटेक (बैंगलोर बेस्ड बिज़नेस पार्टनरशिप बाई फ़िल्मस्टार विवेक ओबेरॉय) कंपनी के लिए समस्त उत्तर भारत में बिज़नेस कंसलटेंट के तौर पर सेवाएं दी। मेरे काम से प्रभावित होकर कंपनी में मेरा प्रमोशन कर राजस्थान में अपनी नयी शाखाओं के संचालन की जिम्मेदारी दे दी। जिसको अपने पुरे अनुभव से सुचारु रूप से संचालित कर रहा हूं।

इसके साथ ही साथ सामाजिक कार्यों में अपनी रुचि को देखते हुए कई सामाजिक संगठनों के लिए भी कार्य कर पा रहा हूं। ये पूरा संघर्ष मेरे अनुज पटेल ऋषि उमराव के बिना असंभव था। उसकी सूझबूझ और चीजों को समझने की क्षमता मेरे बहुत काम आयी। आज भी जब मैं कहीं अटकता हूं, मुझे सिर्फ ऋषि और मेरी पत्नी डॉ. रीना सचान की सलाह की जरूरत होती है।

संघर्षों का दौर जारी है और तब तक जारी रहेगा, जब तक मंजिल मिल नहीं जाती। अपने माता पिता के सपनों को साकार करने के साथ ही, समाज के हर उस अंतिम पंक्ति पर खड़े व्यक्ति के आंसू पोंछ पाऊं, जिसे वाकई में जरुरत है। समाज को कुछ पेबैक कर पाऊं , प्रकृति इस काबिल बना दे बस यही कामना करता हूं।

पटेल आशीष उमराव
एकेडमिक & कैरियर मेंटर,
बिज़नेस कंसलटेंट-i30 लर्निंग बैंगलोर,
संचालक-गुरु द्रोणाचार्य नीट & जेईई लर्निंग सेंटर,
युवा राष्ट्रीय सचिव – अपना दल (एस)


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