लोकसभा चुनावः मिर्जापुर से अनुप्रिया पटेल को कौन हरा सकता है? जानिए…
मिर्जापुर के सपा नेताओं ने विक्रमादित्य मार्ग पर डाला डेरा
-पूर्व विधायक जगतंबा सिंह पटेल, पूर्व जिलाध्यक्ष शिवशंकर सिंह यादव समेत टिकट के इच्छुक नेता लखनऊ में जमे
-रामराज पटेल, प्रभावती देवी, आरएस बिंद भी टिकटार्थियों की कतार में
राजेश कुमार दुबे, जमालपुर/मिर्जापुर (सच्ची बातें)। मिर्जापुर लोकसभा सीट से सांसद अनुप्रिया पटेल को 2024 के चुनाव में कौन हरा सकता है। इस पर समाजवादी पार्टी में अभी मंथन जारी है। अभी तक सपा प्रमुख अखिलेश यादव को अपनी पार्टी में ऐसा कोई नेता नहीं दिखा, जो अनुप्रिया पटेल को चुनौती दे सके। हालांकि टिकट के लिए मिर्जापुर से कई नेता लखनऊ में डेरा डाले हुए हैं।
मिर्जापुर से टिकट के लिए लखनऊ में डेरा जमाने वालों में प्रमुख रूप से चुनार के पूर्व विधायक जगतंबा सिंह पटेल, किसान नेता रामराज पटेल, सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष शिवशंकर यादव, पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह पटेल, आरएस बिंद आदि हैं।
समाजवादी पार्टी से मिर्जापुर संसदीय सीट पर अपना भाग्य आजमाने के लिए पार्टी के नेता मिर्जापुर जनपद के निवासी सहित प्रदेश के अन्य जनपदों के वरिष्ठ पदाधिकारी भी सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की चौखट पर डेरा डाले हुए हैं।देखना अब यह है कि पार्टी आलाकमान जनपद के व्यक्ति को तवज्जो देते हैं या एक बार फिर से बाहरी व्यक्ति को। तलाश अब भी जारी है।
यहां वहीं कहावत चरितार्थ हो रही है कि एक अनार सौ बीमार है। बता दें कि जब पहली बार वर्ष 2009 में मिर्जापुर सामान्य सीट घोषित की गई तो भी बाहरी व्यक्ति बालकुमार पटेल को टिकट दिया गया। हालांकि वह सांसद चुने गए। वर्ष 2014 में पूर्व मंत्री सुरेन्द्र सिंह पटेल व 2019 में रामचरित्र निषाद मिर्जापुर संसदीय सीट से सपा उम्मीदवार थे। दोनों बाहरी हैं।
इनको अपना दल एस भाजपा गठबंधन की प्रत्याशी अनुप्रिया पटेल ने हरा दिया था। पुनः जीत की हैट्रिक लगाने के लिए अनुप्रिया पटेल वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में मिर्जापुर संसदीय सीट से मैदान कूद चुकी हैं। समाजवादी पार्टी अभी तक अपने प्रत्याशी का चयन ही नहीं कर सकी है। उम्मीदवारी के लिए समाजवादी पार्टी के जनपद के वरिष्ठ नेता व बाहरी नेता अखिलेश यादव की चौखट पर डेरा डाले हुए हैं।
वर्ष 2014 व 2019 में पराजय के बाद समाजवादी पार्टी ने जब समीक्षा की तो मामला सामने उभर कर यह आया था कि सम्पन्न हुए चुनाव में पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की उपेक्षा गई थी। नए पदाधिकारियों को तवज्जो देना भारी महंगा पड़ा था। समाजवादी पार्टी को मिर्जापुर में वर्ष 2014 से लगातार मिलती पराजय के कारण पुराने पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं को दरकिनार करते हुए नये कार्यकर्ताओं को जो कुछ दिन पहले ही पार्टी ज्वाइन किए हैं, उन्हें विभिन्न पदों पर बैठा कर उनके भरोसे 2024 का लोकसभा चुनाव जीतने का प्लान बनाया गया है।
पार्टी आलाकमान ने तो यहां तक नये कार्यकर्ताओं पर भरोसा जताया है कि कुछ लोग जो अभी सक्रिय सदस्य भी नहीं बने हैं, उन्हें भी राष्ट्रीय स्तर पर पदाधिकारी बनाया जा चुका है। अकेले जमालपुर ब्लाक से छह राष्ट्रीय पदाधिकारी बनाकर उन्हें चुनाव जिताने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कमोबेश यही हाल पूरे जनपद का है। इन्हें तवज्जों देना दुर्भाग्य है या कोई नई रणनीति है। यह तो अखिलेश यादव को ही जानकारी होगी, लेकिन नए पदाधिकारी वरिष्ठ व पुराने कार्यकर्ताओं को दरकिनार करते हुए अपनी पूर्व की पार्टी में साथी रहे लोगों को ही साथ लेकर चलने की रणनीति बना रहे हैं। अभी उनका पुराने दल व साथियों से मोह भंग नहीं हुआ है।
इस पर तुर्रा यह कि वे अपने को समाजवादी पार्टी का सच्चा सिपाही होने का दंभ भर रहे हैं। इसके कारण पुराने व आजीवन पार्टी के प्रति समर्पित एवं जुझारू कार्यकर्ता अपनी उपेक्षा मान कर घर बैठना ही मुनासिब समझ रहें हैं। लोकसभा चुनाव में पार्टी व गठबंधन द्वारा किसको प्रत्याशी घोषित किया जाता है। यह यक्ष प्रश्न है।
पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी कोई हो, उसे गठबंधन धर्म का पालन करते हुए नये पुराने सभी को एकजुट करना ही पार्टी व गठबंधन के हित में होगा। अब यह देखना है कि प्रत्याशी कौन होता है और वह कितने लोगों को एकजुट करने में सफल होता है। आंख मूंद कर नए पदाधिकारियों को तवज्जो देना, पुराने व वरिष्ठ पदाधिकारियों की उपेक्षा करना पार्टी के हित में नहीं होगा। सूत्रों से जानकारी मिली है कि मिर्जापुर संसदीय सीट से दावेदारी के लिए मिर्जापुर जनपद सहित प्रदेश के वरिष्ठ नेता नेता पूर्व विधायक जगतम्बा पटेल, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रामराज पटेल, प्रभावती यादव, पूर्व मंत्री सुरेन्द्र सिंह पटेल, आरएस बिन्द सहित कई सामान्य वर्ग व पिछड़े वर्ग के नेता अखिलेश यादव की चौखट पर डेरा डाले हुए हैं।
बहरहाल मौजूदा सांसद अनुप्रिया पटेल की मिर्जापुर में जमीनी पकड़ इस कदर बन गई है कि उनको चुनौती देना आसान नहीं होगा। जातीय समीकरण, विकास कार्य और लगातार जनसंपर्क अभियान उनकी लोकप्रियता का मुख्य कारण है। सपा इनके ही कद का नेता ढूंढ रही है। लेकिन अभी तलाश पूरी नहीं हो सकी है। देखना है यह तलाश कहां जाकर रुकती है।