October 7, 2024 |

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लोकसभा चुनाव 2024- मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक, लोकसभा और विधानसभाओं में महिला आरक्षण बिल को कैबिनेट से मंजूरी

Sachchi Baten

 

नए संसद भवन में रचा जाएगा इतिहास, महिला आरक्षण विधेयक होगा पेश

करीब 27 साल पहले देवेगौड़ा सरकार के समय पहली बार संसद में पेश हुआ था यह विधेयक

 

मोदी कैबिनेट का ऐतिहासिक फैसला, महिला आरक्षण बिल को दी मंजूरी

 

राजेश पटेल, मिर्जापुर (सच्ची बातें)। लोकसभा चुनाव 2024 फतह करने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने मास्ट्रक स्ट्रोक ठोंका है। करीब 27 वर्ष से लंबित लोकसभा व राज्यों की विधानसभाओं के लिए महिला आरक्षण बिल को कैबिनेट से मंजूरी दे दी है। इसका विधेयक संसद के इसी विशेष सत्र में पेश किया जाएगा। जिसे पारित होना ही है। इसके तहत लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में देश की आधी आबादी को 15 वर्ष के लिए 33 फीसद आरक्षण देना है।

बढ़ती महंगाई समेत अन्य कारणों से इस समय देश में सत्ता विरोधी हवा तेज हो रही है। INDIA गठबंधन में शामिल 28 दल इस हवा को आंधी में बदलने में जुटे हैं। इस बीच केंद्र की एनडीए वाली नरेंद्र मोदी की सरकार ने महिला आरक्षण बिल को लेकर जो पहल की है, उससे उसे उम्मीद है कि देश की आधी आबादी खुश हो जाएगी, जो सत्ता विरोधी लहर को थामने में कारगर साबित होगी।

हालांकि संसद का विशेष सत्र आहूत करने के पहले सर्वदलीय बैठक में विपक्ष के अधिकतर नेताओं ने भी इस अध्यादेश को संसद में पेश करने की मांग की थी। इसी क्रम में सोमवार की शाम केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस बिल को मंजूरी दे दी गई। सूत्रों के अनुसार इसे बुधवार 20 सितंबर को नए संसद भवन में पेश किए जाने की संभावना है।

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बता दें कि पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 1998 में लोकसभा में इस विधेयक को आगे बढ़ाया, लेकिन ये फिर भी पारित नहीं हुआ। प्रधानमंत्री वाजपेयी ने 1998 में अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में 33 फीसदी आरक्षण का उल्लेख किया था।

यूपीए-1 की सरकार के दौरान 6 मई, 2008 को इस विधेयक को राज्यसभा में दोबारा पेश किया गया। फिर इसे स्टैंडिंग कमेटी को भेजा गया। स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट 17 दिसंबर, 2009 को प्रस्तुत की गई। केंद्रीय कैबिनेट ने फरवरी 2010 में इस विधेयक को मंजूरी दे दी थी। 9 मार्च, 2010 को राज्यसभा से पारित हो गया, लेकिन लोकसभा में लंबित था। आरजेडी और समाजवादी पार्टी ने जाति के हिसाब से महिला आरक्षण की मांग करते हुए इसका विरोध किया था।

सबसे पहले इसे देवेगौड़ा की सरकार ने संसद में पेश किया था। साल था 1996। तब से लेकर आज तक यह लंबित है। हर चुनाव में यह विषय मुद्दा भी बनता है। अब मोदी सरकार के इस मास्टर स्ट्रोक से विपक्ष के हाथ से एक अहम मुद्दा छिन गया है। इसका फायदा चुनाव में मिलने की संभावना है।

 


Sachchi Baten

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