September 16, 2024 |

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जानिए आप भी…सूर्य की ही तरह वर्षों से चल रही हैं सूर्य घड़ियां

Sachchi Baten

शाहजहांपुर में दो स्थानों पर लगी हैं सूर्य घड़ियां

 

राजीव शर्मा, शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश)। सौ साल होने को हैं, लेकिन यह सूर्य घड़ी अनवरत चल रही है। कभी भी खराब नहीं हुई। बिल्कुल सटीक समय बताती है। हालांकि इस तरह की घड़ियां देश के कई ऐतिहासिक स्थलों पर देखने को मिलती हैं, लेकिन अभी चर्चा शाहजहांपुर की।

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में अंग्रेजों द्वारा नहर की खोदाई के समय मजदूरों को समय देखने के लिए लगाई गई घड़ी में न तो किसी उपकरण का प्रयोग किया गया है और न ही विद्युत का। धूप छांव से चलने वाली यह घड़ी 100 वर्षों के बाद भी सटीक समय बताती है। लोग अपनी घड़ी का मिलान भी इसी धूप छांव की घड़ी से करते हैं।

जिले के सिधौली थाना अंतर्गत महासिर गांव के पुल पर यह धूप छांव आधारित घड़ी स्थापित है। ग्रामीण बताते हैं कि इलाके के लोग इसी घड़ी से अपनी घड़ी का समय मिलाते हैं। क्योंकि यह घड़ी एकदम सटीक समय देती है। इस घड़ी को देखने के लिए बहुत ही दूर दूर से लोग आते हैं। अचरज से भरी यह घड़ी 100 वर्ष पुरानी हो गई है, लेकिन उसकी चमक तथा समय की चाल अभी भी वैसी ही बनी हुई है।

स्वामी शुकदेवानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विकास खुराना ने बताया कि शताब्दी पूर्व तारे, सूर्य, नक्षत्रों का उपयोग समय को जानने के लिए किया जाता था। इसी क्रम में सूर्य घड़ियां, जल घड़ियां, और रात के लिए उन्नत पहर विज्ञान समुन्नत दशा में था। शाहजहांपुर में भी दो सूर्य घड़ियां आज धरोहर के रूप में हैं और दोनों सटीक समय बताती हैं। शहर के जामा मस्जिद में भी एक सूर्य घड़ी लगी है।

वह बताते हैं कि 1660 के दशक में नवाब अजीज खान के कार्यकाल में बनी जामा मस्जिद में यह घड़ी लगाई गई है। जबकि 1929 में महासिर गांव के पास नहर की खोदाई के लिए मजदूरों को समय देखने के लिए एक घड़ी लगाई गई थी, जिससे उनके घंटों का पारिश्रमिक मिल सके।

खुराना बताते हैं कि जामा मस्जिद में लगी घड़ी सीमेंट और कंक्रीट की बनी है, जबकि महासिर गांव में शारदा बैराज पुल पर लगी घड़ी धातु से बनी है। इनके नीचे लगी प्लेट पर कोण के माध्यम से नंबर उत्कीर्ण हैं और इन्हें 24 बराबर खंडों में बांटा गया है। इनमें प्रत्येक का कोण 3.75 डिग्री होता है। इस प्लेट पर एक तिकोनी प्लेट लगाई गई है, जिसे नोमीन कहा जाता है। जैसे जैसे सूर्य पूर्व से पश्चिम की ओर बढ़ता है, वैसे ही नोमीन की छाया प्लेट पर पड़ती है। इसी से समय का पता लगाया जाता है।

पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार मीणा ने बताया कि अंग्रेजों द्वारा स्थापित की गई महासिर पुल पर स्थित धूप छांव की घड़ी वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित है और यह एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में है। इसकी सुरक्षा के लिए महासिर चौकी की पुलिस पुल पर रात में तैनात रहती है।

 


Sachchi Baten

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