September 16, 2024 |

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कैमूर वन्य जीव अभयारण्य में तेंदुए की मौत कैसे हुई? हो गया खुलासा…

Sachchi Baten

Leopard’s death in mirzapur: Kaimur Wildlife Sanctuary is proving to be a crematorium for wildlife

जंगल में मृत मिले तेंदुए की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खड़े हुए सवाल, वन्य जीवों की सुरक्षा से हो रहा खिलवाड़

संतोष देव गिरी, मिर्ज़ापुर। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा से लगे हुए वन क्षेत्र में वन जीवों की सुरक्षा के नाम पर खिलवाड़ किए जा रहे हैं। इनके सुरक्षा और संरक्षण के नाम पर कागजी घोड़े दौड़ाए जा रहें हैं। इसकी हकीकत बीते रविवार को जंगल में मृत अवस्था में तेंदुए के शव मिलने के बाद सामने आई है।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में तेंदुए के शरीर पर चोट के निशान पाए गए हैं। इससे साफ़ हो गया है कि वन्य जीवों को यहां खतरा बना हुआ है। हालांकि वन विभाग के अधिकारी कुछ भी खुलकर जहां बोलने से कतरा रहे हैं। वहीं वन्य जीवों और जंगल की सुरक्षा को लेकर सजग लोगों का कहना है कि तेंदुए की मौत कोई छोटी बात नहीं है, बल्कि यह गंभीर विषय है कि जंगल में आखिरकार उनकी मौत कैसे व किन परिस्थितियों में हुई है। इसकी गहनता से जांच कर कार्रवाई होनी चाहिए। अहम यह भी है कि आखिरकार तेंदुए का शव कई दिनों तक जंगल में पड़ा भी रहा तो उस पर वन विभाग के सुरक्षा प्रहरी की नज़र क्यों नहीं पड़ी?

वन्य सेंचुरी एरिया में तेंदुए की मौत का होना कोई मामूली बात नहीं है। वन और वन्यजीव संरक्षण को लेकर कार्य करने वाले कार्यकर्ता इससे जरा भी सहमत नहीं हैं कि पहाड़ी से कूदने से तेंदुए की मौत हुई होगी। मिर्ज़ापुर का हलिया और ड्रमंडगंज वन रेंज मध्य प्रदेश रीवा, सीधी से लगा हुआ है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के वन जंगल आपस में लगे होने के नाते वन्य जीवों का विचरण होता रहता है। जंगलों-पहाड़ों में लगने वाली आग की घटनाओं, शिकारियों और वन माफियाओं से वन्य जीवों को खतरा बना हुआ रहता है। पूर्व में शिकारियों को जंगल से पकड़ा भी जा चुका है। फिर भी इनकी उपस्थिति बनी रहती है। वाइल्ड लाइफ सेंच्युरी से लगने वाले समीवर्ती गांवों के ग्रामीण बताते हैं कि वन और वन्य जीवों की सुरक्षा पर महज़ खानापूर्ति की जाती है। कार्रवाई के नाम पर आसपास के ग्रामीणों को ही प्रताड़ित किया जाता है। जबकि शिकारियों और वन्य माफियाओं को छुआ तक नहीं जाता है।

यह है पूरा मामला

दरअसल, मिर्ज़ापुर जिले में ड्रमंडगंज वन रेंज के बंजारी कलाॉ पश्चिमी वन क्षेत्र के कंपार्टमेंट नंबर एक में रविवार, 11 फरवरी 2024 को सुबह तेंदुआ मृत अवस्था में मिला था। जंगल की ओर गए चरवाहे दुर्गंध आने पर पास गए तो देखा तेंदुआ मृत पड़ा है। चरवाहों ने गांव में आकर तेंदुए के मृत होने की जानकारी दी। ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी।

ग्रामीणों की सूचना पर उप प्रभागीय वनाधिकारी मिर्ज़ापुर शेख मुअज्जम वन विभाग की टीम के साथ बंजारी कलॉ जंगल में पहुंचे थे, जहां पहाड़ पर मृत मिले तेंदुआ के शव को लेकर सुखड़ा पौधशाला पहुंचे। वन विभाग की सूचना पर उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी राधे मोहन ने टीम के साथ सुखड़ा पौधशाला पहुंच शव का पोस्टमार्टम किया।

मिर्जापुर के जंगल में मृत पाए गए तेंदुए की अंत्येष्टि।

 

उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डाक्टर राधेमोहन ने बताया कि तेंदुए की मौत तकरीबन चार-पांच दिन पहले हुई है। इसका बिसरा बरेली स्थित आइवीआर लैब भेजा जाएगा। जहां से जांच रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का पता चल सकेगा। वहीं उप प्रभागीय वनाधिकारी शेख मुअज्जम ने बताया कि ड्रमंडगंज वन रेंज के बंजारी पश्चिमी वन क्षेत्र के कैमूर पहाड़ पर मृत अवस्था में पाए गए नर तेंदुआ का पोस्टमार्टम करवाया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और लैब जांच रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का पता चल सकेगा। दूसरी ओर पशु चिकित्सकों के पैनल की टीम ने पोस्टमार्टम के दौरान पाया कि तेंदुए के शरीर से बदबू आ रही थी, इससे पता चलता है कि उसकी मौत दो से तीन दीन पहले हुई है। तेंदुए के शरीर में खाल और नाखून सुरक्षित रहे हैं। जबकि मुंह (जबड़ा) फटा हुआ था। मृत तेंदुए के शव का पोस्टमार्टम कराकर बिसरा जांच के लिए भेजे जाने के बाद जंगल में ही तेंदुए के शव को जलाकर उसकी अंत्येष्टि कर दी गई है।

सिर में गंभीर चोट, नीचे के जबड़े की हड्डी मिली टूटी

ड्रमंडगंज वन रेंज के बंजारी कलां पश्चिमी वन क्षेत्र में बीते रविवार को मृत अवस्था में मिले तेंदुआ की पीएम रिपोर्ट में सिर में गंभीर चोटें और नीचे की जबड़े की हड्डी टूटी मिली है। वन क्षेत्र में तेंदुआ के मृत पाए जाने के बाद वन विभाग के अधिकारियों ने तीन सदस्यीय पशु चिकित्सकों की टीम से तेंदुआ का पोस्टमार्टम करवाया था। जिसके दो दिन बाद मंगलवार को पशु चिकित्सकों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट वन विभाग को दे दिया। पीएम रिपोर्ट में सिर में गंभीर चोटें और जबड़े की हड्डी टूटी पाई गई है। मृत तेंदुआ के बिसरा जांच के लिए वन विभाग ने आइवीआरआइ लैब बरेली भेजा है। बिसरा रिपोर्ट आने के बाद ही तेंदुए के मौत के वास्तविक कारणों का पता चल पाएगा।

इस संबंध में पोस्टमार्टम करने वाली टीम में शामिल पशु चिकित्साधिकारी डॉ. कमलेश कुमार ने बताया कि मृत तेंदुआ की पीएम रिपोर्ट में सिर में गंभीर चोटें और नीचे के जबड़े की हड्डी टूटी पाई गई है। बिसरा जांच हेतु सैंपल वन विभाग को दे दिया गया है। मिर्ज़ापुर के डीएफओ अरविंद राज मिश्र ने बताया कि तेंदुआ की पीएम रिपोर्ट आ गई है, जिसमें सिर में गंभीर चोट और नीचे की जबड़े की हड्डी टूटी पाई गई है। संभवतः पहाड़ी से कूदने के कारण तेंदुआ को सिर में गंभीर चोटें आई होंगी। फिलहाल बिसरा रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का स्पष्ट पता चल पाएगा।

डीएफओ के इस कथन पर पलटवार करते हुए विंध्य बचाओ अभियान से जुड़े हुए जल-जंगल और वन्य जीवों के सुरक्षित संरक्षण पर कार्य करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता देवादित्यो सिन्हा कहते हैं “आखिरकार पहाड़ी से तेंदुआ क्यूं कूदेगा? और कूद भी गया तो बाकी हड्डियों में भी चोट लगती। लेकिन चोट सिर और जबड़े में ही लगती है?” वह जंगलों में JCB से खुदाई पर भी सवाल उठाते हुए कहते हैं “जंगल में JCB से खुदाई किस लिए किया गया है? जंगल के अंदर ऐसा क्या कार्य हो रहा है की 5 फीट गहरा गड्ढा खोदा जा रहा है? इस पर वन विभाग को स्पष्ट राय सभी के समक्ष रखना चाहिए।”

जंगल में हो रहा है वन संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन

वन सेंचुरी एरिया में जेसीबी मशीन से गहरी खाई खोदी जा रही है। बताया जा रहा है यह सुरक्षा खाई है, दूसरे बाड़ लगाने के लिए गहरी खाई की खुदाई की जा रही है। जो विधि विरुद्ध होना बताया जा रहा है। जानकार हैरानी जताते हुए कहते हैं कि “मजदूरों को काम न देकर जेसीबी मशीन से काम करा कर वन विभाग के अधिकारी मजदूरों के साथ छल कर रहे हैं। जेसीबी मशीन से खाई खुदवाकर कमीशन का खेल चल रहा है। जबकि यही काम यदि आसपास के उन ग्रामीणों से कराया जाता जो मनरेगा श्रमिक हैं या रोजगार के अभाव में भटकने को मजबूर हैं तो कितना बेहतर होता, लेकिन नहीं वन विभाग के अधिकारी ऐसा न कर मशीनीकरण को बढ़ावा देते हुए गरीब मजदूरों को नजरंदाज कर रहे हैं।

गौरतलब है कि जेसीबी मशीनों का उपयोग करके इस तरह गहरी खाई खोदना वन संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन है और इसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र, जैव विविधता और वन्यजीव आवासों को नुकसान होता है। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची 1 के तहत सूचीबद्ध तेंदुए और सांभर जैसे संरक्षित जंगली जानवरों को ऐसी गतिविधियों के कारण प्रतिकूल प्रभाव और यहां तक ​​कि मृत्यु का सामना करते हुए देखना निराशाजनक है। कानून के इस गंभीर उल्लंघन के लिए जिम्मेदार वन अधिकारी को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

कैमूर वन्यजीव विहार में मिर्ज़ापुर से सोनभद्र तक तेंदुए का होता रहा है स्वच्छंद विचरण

कैमूर वन्य जीव विहार के मिर्ज़ापुर और सोनभद्र के जंगलों में कभी तेंदुए सहित कई दुर्लभ वन्य जीवों की बहुतायत संख्या हुआ करती थी, लेकिन कालांतर में जंगलों पहाड़ों में इंसानी आवाजाही बढ़ने, अवैध खनन, जंगलों और पहाड़ों में शिकारियों की बढ़ती आमद ने वन्यजीवों के अस्तित्व पर संकट के बादल खड़े कर दिए हैं। एक समय हुआ करता था कि तेंदुए सहित कई वन्य जीव के पद चिन्ह देखने मात्र से ही लोग दहल जाते थे। अब उनकी संदिग्ध मौत ने सुरक्षा सहित वन विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

गौरतलब हो कि कैमूर वन्य जीव विहार मिर्ज़ापुर का क्षेत्र घोरावल से लेकर शाहगंज के महुअरिया तक फैला हुआ है। इस जंगल में दुर्लभ वन जीव मौजूद है। लोगों के आकर्षण का केंद्र ब्लैक बक (काला हिरन) भी है। 2021 में सोनभद्र के घोरावल के पश्चिमी क्षेत्र से सटे मिर्ज़ापुर जिले के हलिया के जंगल में तेंदुआ के पदचिह्न देखे जाने से ग्रामीणों में जहां दहशत का माहौल उत्पन्न हो गया था, वहीं वन विभाग भी इसको लेकर सतर्कता बरतने के आदेश जारी किए थे।

इसी प्रकार घोरावल क्षेत्र के पेढ़ ग्राम पंचायत के नौगढ़वा के बलुआ बंधी के नजदीक 23 मार्च 2019 की सुबह तेंदुआ ने शौच करके घर लौट रहे रामबाबू गोड़ पर हमला कर दिया था। संयोग से उनकी जान बच गई। उस दिन तेंदुआ को पकड़ने के लिए पुलिस तथा वन विभाग की टीम काफी मशक्कत की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। घोरावल के ही सिरसाई गांव में लगभग 45 वर्ष पहले खेत में तेंदुआ दिखाई पड़ा था। जो कुछ देर बाद उसी गांव के एक स्थानीय व्यक्ति को घायल कर दिया था। कुत्तों के भौंकने से तथा ग्रामीणों के शोर मचाने पर वह दो किलोमीटर दूर स्थित खुटहा के डकहिया चक में एक पीपल के पेड़ पर चढ़ गया था। जो काफी प्रयास के बाद भी वन विभाग के हाथ नहीं लग पाया था। पूर्व की इन घटनाओं को नज़ीर पर लेते हुए तेंदुए की संदिग्ध मौत को लोग पचा नहीं पा रहे हैं। आशंका जताई जा रही है कि कहीं तेंदुए की मौत का कारण शिकारी तो नहीं हैं?

 

वन विभाग की सुरक्षा खांई, वन जीवों के लिए बना जोखिम भरा

जिस दिन जंगल में तेंदुए की लाश मिली, उसी दिन ड्रमंडगंज वन रेंज के डिभोर जंगल में रविवार शाम को वन विभाग द्वारा जेसीबी मशीन से खोदी गई करीब 5 फीट गहरी खांई में गिरकर एक सांभर गंभीर रूप से घायल हो गया। सांभर को घायलावस्था में सुरक्षा खांई में छटपटाते हुए देखकर मौके पर पहुंचे वाचर ने अन्य वाचरों की मदद से रस्सी बांधकर से बाहर निकाला था। सूचना पर देर शाम डिभोर जंगल पहुंची वन विभाग की टीम उपचार हेतु वनरेंज कार्यालय ड्रमंडगंज ले गई थी।

कैमूर वन्य जीव विहार मिर्जापुर के ड्रमंडगंज में घायल सांभर।

 

आसपास के ग्रामीण जंगलों में वन्य जीवों की मौत और उनके घायल होने को बड़ी लापरवाही मानते हुए सीधे तौर पर वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को दोषी ठहराते हैं। ग्रामीणों की मानें तो रेंज कार्यालय में बैठक वन जीवों की सुरक्षा के नाम पर लाखों का खेला हो रहा है। ग्रामीणों की माने तो वन विभाग द्वारा खोदी गई सुरक्षा खांई में गिरकर आए दिन जंगली जानवर घायल हो रहे हैं। यदि खांई खुदवाने की जगह सुरक्षा दीवार बनाई गई होती तो शायद यह घटना नहीं होती। इस संबंध में ड्रमंडगंज वन रेंजर वीरेंद्र कुमार तिवारी ने बताया कि पौधों की सुरक्षा के लिए खोदे गए गड्ढे में गिरकर घायल हुए सांभर का उपचार करवाया जा रहा है, जो अब स्वस्थ है। सुरक्षा दीवार निर्माण के नाम पर जंगल में जेसीबी मशीन से खोदी जा रही गहरी खाई पर भी वन्य जीव प्रेमियों ने सवाल उठाया है कि आखिरकार जंगल में इतनी गहरी खाई खोदने का क्या औचित्य है? दूसरे गहरी खाई की खुदाई से पहले वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर क्या तैयारी की गई? ऐसे अनेक सवाल हैं, जिनके जवाब वन विभाग के मुलाजिमों को देते हुए नहीं बन रहा है।

(मिर्जापुर के संतोषदेव गिरी वरिष्ठ पत्रकार हैं)


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