प्रेरक स्टोरी…
पति की मौत के बाद घर में हुई दिक्कत तो अंजू ने उनके ही कारोबार को शुरू कर दिया
रात 10 बजे से भोर चार बजे तक अम्मा की कचौड़ी के शौकीनों की रहती है भीड़
शुद्धता, स्वाद व वाजिब कीमत है अम्मा की पहचान, हैं बहुत स्वाभिमानी
राजीव शर्मा, शाहजहांपुर (सच्ची बातें)। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में रहने वाली अंजू वर्मा ने अपने पति की मौत के बाद हिम्मत नहीं हारी। उनके सामने मुसीबतें पहाड़ की तरह खड़ी थी। चार बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी और ऊपर से घर में रोटी के लाले ऐसे में अंजू ने रात में कचौड़ी बेचना शुरू किया। इसके बाद अब उन्हें लोग “कचौड़ी वाली अम्मा” के नाम से पुकारने लगे हैं।
शाहजहांपुर के कोतवाली के पास सुनहरी मस्जिद के सामने रहने वाली अंजू रात में 10 बजे अपना कचौड़ी की दुकान लगाती हैं। उनकी दुकान रात 10 बजे से शुरू होकर सुबह 3 से 4 बजे तक चलती है।
अंजू वर्मा बताती हैं कि 5 साल पहले उनके पति विनोद वर्मा की हार्ट अटैक से मौत हो जाने के बाद उनके सामने घर को चलाने की दिक्कत हो गई। पति भी कचौड़ी बेचते थे, परंतु उनकी मौत के बाद एक माह तक काम बन्द रहा। घर में खाने की मुसीबत हो गई तो फिर अंजू ने अपने पति के काम को अपना लक्ष्य बना लिया और अब जब बाजार में दुकानें बंद हो जाती हैं। तब अंजू का कचौड़ी का कारोबार शुरू होता है।
रात में दुकान लगाने की एक वजह यह भी है कि उनके पास कोई अपनी जगह नहीं है और रात में दुकानदारों के चबूतरे खाली होते हैं। दूसरे रात में रोड पर खड़े होकर कचौड़ी खाने वाले अध्यापक, पुलिसकर्मी, व्यापारी और नेता सहित सभी वर्गों के लोग होते हैं।
अंजू बताती है कि उनकी तीन बेटियां हैं। पति की मौत के बाद कचौड़ी बेचकर वह अपनी एक बेटी की शादी कर चुकी हैं। सबसे छोटा बेटा 20 साल का है। वह अपनी दिनचर्या के बारे में बताती हैं कि वह सुबह 3 से 4 बजे तक दुकान बंद करती हैं। इसके बाद सोती हैं। फिर दिन में 2 बजे जागती हैं। इसके बाद बाजार से सामग्री इकट्ठा करके फिर 10 बजे उनकी दुकान लग जाती है।
आलू का भर्ता भर कर बनाई गई कचौड़ी तथा सोयाबीन एवं आलू की सब्जी के साथ लहसुन की चटनी के साथ 30 रुपये की चार कचौड़ी देती हैं। इन कचौड़ी तथा सब्जी में वह अपने घर में ही बनाए गए मसालों का प्रयोग करती हैं। इसलिए इनके यहां खाने वालों तथा घरों में पैक करा कर ले जाने वाले ग्राहकों की लाइन लगी रहती है। वह एक रात में पंद्रह सौ से 2000 रुपये तक की बिक्री कर लेती है।
शहर में ही रहने वाले अभिनव गुप्ता एक सामाजिक संस्था चलाते हैं और वह खुद ही कचौड़ी वाली अम्मा की कचौड़ी के मुरीद हैं। वह उन्हें 2019 में मातृ शक्ति के रूप में सम्मानित भी कर चुके हैं। वह बताते हैं कि कचौड़ी वाली अम्मा की दुकान रात में खुलती है। इसलिए उनकी टीम के लोग बराबर अम्मा का ध्यान रखते हैं।
पुलिस अधीक्षक एस आनंद ने बताया कि उन्हें जानकारी है। उन्होंने कोतवाली पुलिस को निर्देश दे रखे हैं कि पुलिस उनकी दुकान की पूरी सुरक्षा करे। एक महिला रात में कचौड़ी की दुकान लगाए, यह अपने आप में बड़ी बात है। कोतवाली में आने वाले प्रत्येक प्रभारी को यह हिदायत रहती है कि चीता पुलिस समय-समय पर कचौड़ी वाली अम्मा की दुकान पर जाकर देखे तथा सुरक्षा की व्यवस्था करे।
भाजपा के जिला महामंत्री अनिल गुप्ता बताते हैं कि उनका पैतृक घर अल्लाहगंज है, जो 60 किलोमीटर दूर है। वह जब भी शाहजहांपुर आते हैं तो सभी काम निपटाने के बाद कचौड़ी वाली अम्मा की दुकान खुलने का इंतजार करते हैं। इसके बाद वह स्वयं कचौड़ खाते हैं एवं अपने घर के लिए पैक करा कर भी ले जाते हैं । वह बताते हैं कि वह चाहते थे कि अंजू वर्मा की आर्थिक रूप से वह मदद करें , परंतु बताया गया कि अम्मा बहुत स्वाभिमानी महिला हैं।
स्वामी सुकदेवानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय के उप प्राचार्य अनुराग अग्रवाल ने बताया कि उनका बाहर खाने का मन होता है तो वह सिर्फ कचौड़ी वाली अम्मा की ही कचौड़ी खाते हैं। क्योंकि उनकी कचौड़ी बहुत ही स्वादिष्ट होती है और मूल्य भी वाजिब लेती हैं। चार कचौड़ी में व्यक्ति का पेट भर जाता है।
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