झारखंड : वित्त रहित स्कूल कॉलेजों का वित्तीय वर्ष 2024 -25 के अनुदान की राशि लैप्स होने की आशंका
Sachchi Baten Wed, Mar 26, 2025

एमपी सिंह, रांची। झारखंड के तमाम वित्त रहित स्कूल कॉलेजों का वित्तीय वर्ष 2024 -25 के अनुदान की राशि लैप्स होने की संभावना बढ़ गयी है। रिजर्व बैंक के नोटिफिकेशन के तहत 29 मार्च को 11:00 बजे रात्रि तक ही कोषागार व बैंक खुला रहेगा।30 -31 मार्च को सारे ट्रेजरी (कोषागार ) एवं बैंक बंद रहेंगे। आज 26 मार्च बीत गया, अभी तक जिला कोषागार को अनुदान की राशि नहीं भेजी गई।
संस्थानों के खाते में अनुदान भेजने की प्रक्रिया लंबी
अनुदान भेजने की प्रक्रिया काफी जटिल एवं लंबी है। विभाग राशि जिला शिक्षा पदाधिकारी के खाते में भेजता है और कोषागार में जाता है। राशि जाने के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी बिल बनाते हैं। बिल संस्थाओं के नाम से बनता है। उसके बाद स्कूल कॉलेज द्वारा बैंक खाता के मुख्य पृष्ठ को मांगा जाता है। साथ ही एक ब्लैंक चेक क्रॉस किया हुआ मांगा जाता है।
शिक्षा उप निदेशक से बिल पर कराना होता है काउंटर साइन
बिल बनने के बाद क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक के पास प्रति हस्ताक्षर के लिए जाता है। वहां से लौटने के बाद बिल जिला शिक्षा पदाधिकारी के पास आता है। उसके बाद जिला कोषागार में इंटर कॉलेज, उच्च विद्यालय, संस्कृत विद्यालय एवं मदरसा विद्यालयों के बिल कोषागार में जाता है। वहां जाने के बाद जिला कोषागार ऑफिसर उसे पास करते हैं। तब जाकर संस्थान के बैंक खाते में राशि जाती है।
एक-एक जिला में 25 से 30 संस्थान हैं
रांची में 70 स्कूल कॉलेज इंटर कॉलेज अनुदान के लिए ऑफलाइन आवेदन भरे हैं। गुमला, सिमडेगा के भी बिल प्रति हस्ताक्षर के लिए रांची क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक को भेजते हैं। उसके बाद प्रति हस्ताक्षर के बाद बिल संबंधित जिला को जाता है।
उसके बाद संबंधित जिला के जिला शिक्षा पदाधिकारी राशि को कोषागार में भेजते हैं। गिरिडीह जिला, धनबाद, बोकारो, चतरा जिला के बिल के प्रति हस्ताक्षर के लिए हजारीबाग में क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक के पास बिल भेजते हैं। प्रति हस्ताक्षर के बाद संबंधित जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी पुनः बिल को समीक्षा कर जिला कोषागार में भेजते हैं। यही प्रक्रिया राज्य के सभी जिलों के लिए है। पाकुड़, साहिबगंज के जिला शिक्षा पदाधिकारी प्रति हस्ताक्षर के लिए दुमका भेजते हैं। इस पूरे प्रकरण में दो से तीन दिन लग जाते हैं। ऐसी स्थिति में राशि लैप्स होने की प्रबल संभावना रहती है।
2019-20 में पूरे राज्य की अनुदान राशि इसी कारण लैप्स हुई थी। क्योंकि राशि अंतिम समय में भेजी गई थी। 5 दिन पहले राशि वित्तीय वर्ष 2018-19, 2019-20 में भी भेजी गई और प्रक्रिया के चलते लैप्स हो गई थी। जो 6 माह बाद मिली थी ।
50 से ज्यादा उच्च विद्यालयों का रोका जा रहा अनुदान
50 से ज्यादा राज्य सरकार से स्थापना अनुमति प्राप्त उच्च विद्यालयों की अनुदान की राशि रोकी जा रही है। जबकी विगत 15 वर्षों से विद्यालयों को अनुदान की राशि मिलती आ रही है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में भी इन विद्यालयों के लिए विज्ञप्ति निकली है, वे विद्यालय अपना अनुदान प्रपत्र भरकर जिला शिक्षा पदाधिकारी के यहां जमा कर दिए थे । जिला शिक्षा पदाधिकारी ने स्थलीय जांच कर अपनी अनुशंसा स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को भेजी है ।
राज्य अलग होने के बाद 2000 वर्ष से लेकर 2008 तक बिहार नियमावली के अनुसार झारखंड सरकार इन विद्यालयों को स्थापना अनुमति दी थी। इन विद्यालयों को शुरू से ही अनुदान मिलते आ रहा है।
अनुदान अधिनियम 2004 में शर्त है
झारखंड राज्य वित्त रहित शैक्षणिक संस्थान अनुदान अधिनियम 2004 नियमावली 2004 संशोधित नियमावली 2015 में स्पष्ट है कि अनुदान राज्य सरकार से स्थापना अनुमति प्राप्त या स्वाताधारक हो उन्हें अनुदान दिया जाएगा । ये सभी संस्थान राज्य सरकार से स्थापना अनुमति प्राप्त हैं। जब अनुदान नहीं देना था तो उन्हें फॉर्म भरने के लिए विज्ञप्ति क्यों निकली गई। अनुशंसा जिला शिक्षा पदाधिकारी से क्यों कराया गया ? स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के मंत्री रामदास सोरेन के विद्यालय स्वर्गीय निर्मल महतो उच्च विद्यालय घोड़ा बांध जमशेदपुर को भी अनुदान की राशि नहीं मिलेगी। विभागीय मंत्री के स्कूल भी राज्य सरकार से स्थापना अनुमति प्राप्त हैं । उसे भीअनुदान से वंचित किया जा रहा है ।
शासी निकाय के नहीं होने के कारण बहुत से उच्च विद्यालयों, इंटर कॉलेज के अनुदान बिना कारण रोका जा रहा है । शासी निकाय बनाने का काम जैक करता है। प्रत्येक 3 वर्ष के बाद अधिनियम के अनुसार जैक शासी़ निकाय बनाती है। अगर जैक ने शासी निकाय नहीं बनाया तो इसमें इंटर कॉलेज एवं स्कूलों के क्या दोष है? जैक ऐसे विद्यालयों के अनुशंसा क्यों भेजा? सरकार ने इसके लिए जैक पर कौन सी कार्रवाई की है ? जिला शिक्षा पदाधिकारी जब शासी निकाय नहीं था तो अनुशंसा क्यों भेजा ? यह बहुत बड़ी साजिश है। और सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती है। भवन की शर्त के रहने के बाद भी अनुदान रोका गया है। भवन के बारे में ठीक से नहीं देखा गया है ।
वित्त रहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा के कुंदन कुमार सिंह, रघुनाथ सिंह, हरिहर प्रसाद कुशवाहा, फजलुल कादरी अहमद, अरविंद सिंह, गणेश महतो, रेशमा बेक, मनोज तिर्की, पशुपति महतो, मुरारी प्रसाद सिंह, देवनाथ सिंह, नरोत्तम सिंह और रंजीत मिश्रा ने एक बयान जारी कर कहा है कि अगर अनुदान की राशि लैप्स हुई तो वित रहित 10 हजार शिक्षक कर्मचारी शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के आवास का घेराव करेंगे। पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग करेंगे। क्योंकि अनुदान ही इन संस्थाओं में कार्यरत शिक्षक-कर्मचारियों के जीवन यापन का एकमात्र सहारा है ।
विज्ञापन