बहन का शव छोड़कर गणतंत्र दिवस परेड की सलामी लेने चले गए थे देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद
-घटना 26 जनवरी 1960 की, परेड की सलामी लेकर लौटने के बाद ही बहन की अंत्येष्टि की
राजेश पटेल, मिर्जापुर। देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद को लौहपुरुष नहीं तो, इससे कमतर भी नहीं आंका जा सकता। जिस तरह से सरदार पटेल ने कोर्ट में अपने मुअक्किल के पक्ष में बहस करते पत्नी के निधन के मिले तार को पढ़ऩे के बाद जेब में रखकर बहस पूरी की, उसी तरह से देशरत्न ने भी मां समान बड़ी बहन के शव को छोड़कर गणतंत्र दिवस की परेड में पहुंचने को प्रमुखता दी।